Death anniversary of Madhav Singh Solanki: भारतीय राजनीति के महान नेता और KHAM सिद्धांत के प्रेरक, जिनका योगदान आज भी किया जाता है याद

Death anniversary of Madhav Singh Solanki: भारतीय राजनीति के महान नेता और KHAM सिद्धांत के प्रेरक, जिनका योगदान आज भी किया जाता है याद
Last Updated: 14 घंटा पहले

Madhav Singh Solanki: माधवसिंह सोलंकी की पुण्य तिथि 9 जनवरी को मनाई जाती है। माधव सिंह सोलंकी का जन्म 30 जुलाई 1927 को गुजरात के एक कोली परिवार में हुआ था। उनके जीवन की शुरुआत एक साधारण परिवेश से हुई, लेकिन उनकी राजनीतिक यात्रा ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक मजबूत पहचान दिलाई। सोलंकी का परिवार परंपरागत रूप से कृषि कार्य से जुड़ा था, और उनके बड़े बेटे, भरतसिंह माधवसिंह सोलंकी, भी एक प्रमुख राजनीतिज्ञ हैं। माधव सोलंकी ने राजनीति में कदम रखते हुए गुजरात के समाजिक-आर्थिक परिवेश को समझा और अपनी राजनीति को उसी अनुसार ढाला।

KHAM सिद्धांत और गुजरात की राजनीति में बदलाव

माधव सिंह सोलंकी को खास तौर पर KHAM सिद्धांत के लिए जाना जाता है, जिसे उन्होंने 1980 के दशक में गुजरात में लागू किया। KHAM का मतलब था - K क्षत्रिय, H हिंदू, A आदिवासी और M मुसलमान। इस सिद्धांत के आधार पर, सोलंकी ने गुजरात में जातीय और धार्मिक समुदायों को एकजुट किया और सत्ता में अपनी पकड़ मजबूत की। इस रणनीति के तहत उन्होंने सत्ता में आकर विभिन्न समुदायों को प्रोत्साहित किया, जिससे उनकी राजनीतिक ताकत को बल मिला। KHAM फॉर्मूला के कारण गुजरात में नए राजनीतिक समीकरण बने, और सोलंकी ने अपनी पार्टी को मजबूत किया।

मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल और विवाद

1981 में, सोलंकी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल की शुरुआत की। उनके नेतृत्व में गुजरात सरकार ने बक्शी आयोग की सिफारिशों के आधार पर सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू की। यह कदम सोलंकी की सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, लेकिन इस निर्णय के बाद राज्य में आरक्षण विरोधी आंदोलन भी हुआ। यह आंदोलन दंगों में बदल गया और इसके परिणामस्वरूप सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई।

हालांकि, इन घटनाओं के बावजूद, सोलंकी ने 1985 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन वे 1986 में फिर से चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 182 विधानसभा सीटों में से 149 सीटों पर विजय प्राप्त की, जो आज तक का गुजरात विधानसभा चुनावों में एक अभूतपूर्व रिकॉर्ड है। इस समय, सोलंकी को क्षत्रिय, दलित, आदिवासी और मुसलमानों का समर्थन प्राप्त था, जिससे उनकी राजनीति में एक नया विस्तार हुआ।

बोफोर्स विवाद

माधव सिंह सोलंकी का नाम बोफोर्स घोटाले से भी जुड़ा है। 1992 में, सोलंकी स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच में भाग लेने गए थे, जहां उन्होंने स्विस विदेश मंत्री रेने फेलबर से मुलाकात की। सीबीआई के अनुसार, इस मुलाकात के दौरान सोलंकी ने उन्हें बताया कि "भारत में घोटाले की जांच से कोई नतीजा नहीं निकला है और आपसी सहायता का अनुरोध राजनीतिक विचारों पर आधारित था।" इस घटना ने सोलंकी की राजनीतिक छवि को कुछ हद तक नुकसान पहुंचाया, लेकिन वे भारतीय राजनीति में एक मजबूत नेता बने रहे।

अंतिम समय और अवदान

माधव सिंह सोलंकी का योगदान भारतीय राजनीति में हमेशा याद रहेगा। वे न केवल एक कुशल नेता थे, बल्कि उन्होंने गुजरात के विकास और राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सोलंकी ने भारतीय राजनीति को न केवल अपने सिद्धांतों से प्रभावित किया, बल्कि उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने की कोशिश की, जो उनके नेतृत्व की एक बड़ी विशेषता थी।

9 जनवरी 2021 को माधव सिंह सोलंकी का निधन हो गया, जिससे भारतीय राजनीति के एक युग का समापन हुआ। उनका जीवन और कार्य भारतीय राजनीति में हमेशा एक प्रेरणा के रूप में रहेगा।

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