आज भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और भारतीय राजनीति के अहम शख्सियत श्री लाल कृष्ण आडवाणी का 97वां जन्मदिन है। उन्हें भारतीय राजनीति में एक प्रमुख रणनीतिकार और भाजपा के 'पितृ पुरुष' के रूप में जाना जाता है। आडवाणी जी का राजनीतिक सफर असाधारण रहा है, और उन्होंने भारतीय राजनीति में कई अहम मोड़ों पर नेतृत्व प्रदान किया। उनका योगदान केवल भाजपा तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज और राजनीति को एक नया दृष्टिकोण दिया है।
आडवाणी जी ने अपनी राजनीति की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से की थी, और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी के माध्यम से भारतीय राजनीति में अपनी पहचान बनाई। उनकी नेतृत्व क्षमता और दूरदृष्टि ने भाजपा को एक सशक्त पार्टी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी 'अयोध्या आंदोलन' और 'इंडिया शाइनिंग' जैसे अभियानों ने भाजपा को एक राष्ट्रीय शक्ति के रूप में स्थापित किया।
इसके अलावा, उन्होंने 1998-2004 तक केंद्र सरकार में गृह मंत्री के रूप में कार्य किया, और इस दौरान उन्होंने भारत की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए। उनका 'पाकिस्तान के साथ दोस्ती' का संदेश भी आज क समय में प्रासंगिक बना हुआ है।
आडवाणी जी का राजनीतिक जीवन न केवल संघर्षों और उपलब्धियों से भरा हुआ है, बल्कि उन्होंने हमेशा अपने सिद्धांतों के साथ राजनीति की। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा, और वे भारतीय राजनीति में एक मजबूत प्रेरणा बने रहेंगे।
लाल कृष्ण आडवाणी का परिचय
लाल कृष्ण आडवाणी भारतीय राजनीति के एक महान नेता और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संस्थापक सदस्य हैं, जिनका भारतीय राजनीति में अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान है। आडवाणी जी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची (जो अब पाकिस्तान में स्थित है) में हुआ था। भारतीय राजनीति में उनकी भूमिका भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बढ़ते प्रभाव और राष्ट्रवाद की विचारधारा को मजबूती से स्थापित करने में अहम रही है।
शुरुआत और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ाव आडवाणी जी का राजनीतिक जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़कर शुरू हुआ था। RSS से उनके विचारधारा की प्रेरणा मिली और इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी। आडवाणी जी के लिए संघ का आदर्श और उसका उद्देश्य हमेशा उनकी राजनीति का मार्गदर्शन करता रहा।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना और योगदान आडवाणी जी को भारतीय जनता पार्टी के 'पितृ पुरुष' के रूप में पहचाना जाता है। वह पार्टी के पहले अध्यक्ष भी रहे और उन्होंने पार्टी को अपनी दूरदृष्टि और कड़ी मेहनत से भारत में एक शक्तिशाली राजनीतिक दल बना दिया। 1980 में जनता पार्टी के टूटने के बाद उन्होंने भाजपा की स्थापना की, और इसे एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित किया।
महत्वपूर्ण राजनीतिक पहल और अभियान आडवाणी जी ने 1990 में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण आंदोलन की शुरुआत की, जिसे भाजपा के राष्ट्रीय उत्थान की दिशा में एक मील का पत्थर माना जाता है। इस आंदोलन ने भाजपा को एक व्यापक जनसमर्थन दिलवाया और पार्टी का विकास तेज़ी से हुआ। इसके अलावा, उनका नेतृत्व भारत के भीतर और बाहर भी भारत के हितों की रक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण साबित हुआ।
उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में कार्यकाल आडवाणी जी ने 1998 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार में उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में कार्य किया। गृह मंत्री के तौर पर उन्होंने भारत की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके कार्यकाल के दौरान भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए कई कड़े कदम उठाए गए।
सम्मान और पुरस्कार आडवाणी जी को 2015 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण, भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें उनके जीवन भर के योगदान के लिए कई अन्य पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं।
आधिकारिक जीवन आडवाणी जी का जीवन एक समर्पित और सिद्धांतों से प्रेरित रहा है। उन्होंने हमेशा अपने विचारों और सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उनका जीवन एक संघर्ष और समर्पण की कहानी है, जिसने भारतीय राजनीति में नया मोड़ दिया। आडवाणी जी का भारतीय राजनीति में योगदान अनमोल और अविस्मरणीय रहेगा।
वर्तमान में, आडवाणी जी भारतीय राजनीति के एक वरिष्ठ और सम्मानित नेता के रूप में माने जाते हैं, और उनकी राजनीतिक सोच, दृष्टिकोण और निर्णयों ने भारतीय जनता पार्टी को एक शक्तिशाली राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित किया।
लाल कृष्ण आडवाणी का राजनीतिक सफर की शुरुआत
लाल कृष्ण आडवाणी का राजनीतिक सफर 1940 के दशक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ने के साथ शुरू हुआ। उनका जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में स्थित है। विभाजन के समय परिवार भारत आ गया और आडवाणी जी ने दिल्ली में अपनी पढ़ाई पूरी की।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से शुरुआत
आडवाणी जी का प्रारंभिक जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों से प्रभावित हुआ था। वे अपने छात्र जीवन से ही संघ से जुड़े और यहां से उन्हें भारतीय समाज, संस्कृति और राजनीति के बारे में गहरी समझ मिली। उनका मानना था कि भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद की विचारधारा को अधिक बल देने की आवश्यकता है, और इसके लिए उन्होंने राजनीति को एक साधन के रूप में चुना।
जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी का गठन
आडवाणी जी का राजनीतिक करियर 1950 में भारतीय जनसंघ (BJS) से जुड़कर शुरू हुआ। जनसंघ की स्थापना पं. दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी, और आडवाणी जी भी इसके संस्थापक सदस्य थे। जनसंघ में उनका कार्य विशेष रूप से पार्टी के विचारों को फैलाने, संगठन को मजबूत करने और उसे जनता तक पहुँचाने का था।
जनसंघ के विकास में भूमिका: आडवाणी जी का जनसंघ में योगदान बहुत अहम था। वे पार्टी के प्रचारक और विचारक बने और जल्द ही पार्टी के एक महत्वपूर्ण चेहरे के रूप में उभरे। 1967 में आडवाणी जी ने भारतीय जनसंघ के सचिव के रूप में कार्य शुरू किया, और इसके बाद वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। उनकी मेहनत और रणनीतिक दृष्टिकोण के कारण जनसंघ का आधार और विस्तार बढ़ता गया।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गठन
1977 में जब आपातकाल (1975-77) की घोषणा के बाद जनता पार्टी के गठबंधन ने इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार को हराया, तो जनसंघ भी इस गठबंधन का हिस्सा बन गया। इसके बाद जनसंघ ने 1980 में भारतीय जनता पार्टी के रूप में फिर से अपनी पहचान बनाई। आडवाणी जी इस पार्टी के संस्थापक सदस्य थे और पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
राजनीतिक विचारधारा और दर्शन
आडवाणी जी की राजनीति का मुख्य आधार भारतीय संस्कृति, राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व था। उन्होंने हमेशा देश की एकता, अखंडता और स्वाभिमान को महत्व दिया। वे राष्ट्रीय सुरक्षा, सशक्त भारत और सामाजिक समरसता के पक्षधर रहे।
राम जन्मभूमि आंदोलन और भाजपा का उभार
1990 में आडवाणी जी ने राम जन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़े नेता के रूप में स्थापित किया। उनका यह आंदोलन भाजपा के लिए एक टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ, क्योंकि इसने पार्टी को हिन्दू मतदाताओं में प्रमुख रूप से लोकप्रिय बना दिया। इसके बाद भाजपा का जनाधार तेजी से बढ़ा और 1990 के दशक में पार्टी ने एक नई दिशा अपनाई।
आडवाणी जी की नेतृत्व में भाजपा ने 1998 में एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) के तहत सरकार बनाई और आडवाणी जी गृह मंत्री बने।
लाल कृष्ण आडवाणी: सम्मान और पुरस्कार
1. पद्म विभूषण (2015)
भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला पद्म विभूषण भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। 2015 में उन्हें यह सम्मान उनके समग्र योगदान और भारतीय राजनीति में उनके असाधारण कार्य के लिए दिया गया। आडवाणी जी को यह सम्मान उनकी बौद्धिक क्षमता, राजनीतिक दूरदर्शिता और राष्ट्र निर्माण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को मान्यता देने के रूप में प्रदान किया गया।
2. पद्म भूषण (2001)
आडवाणी जी को 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया, जो भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। यह सम्मान उन्हें उनके राजनीतिक योगदान और भारतीय जनता पार्टी (BJP) को एक प्रमुख राष्ट्रीय दल के रूप में स्थापित करने में उनके योगदान के लिए मिला।
3. लोकमत नेशन बिल्डर अवार्ड (2014)
2014 में उन्हें लोकमत नेशन बिल्डर अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनकी राजनीतिक स्थिरता और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान के लिए प्रदान किया गया।
4. सबसे लंबे समय तक भाजपा अध्यक्ष (1993-2004)
लाल कृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहे। उनका यह कार्यकाल पार्टी को मजबूती देने और उसे भारत के सबसे प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक बनाने में अहम साबित हुआ।
5. भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान
आडवाणी जी का योगदान भारतीय राजनीति में न केवल पार्टी निर्माण तक सीमित रहा, बल्कि उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक समरसता जैसे विषयों पर अपने विचारों से भारतीय राजनीति को नई दिशा दी।
6. सम्मानित सांसद
लाल कृष्ण आडवाणी ने भारतीय संसद में अपनी लंबी सेवा के दौरान कई बार संसद की कार्यवाही में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे राज्यसभा और लोकसभा दोनों के सदस्य रहे हैं, और उनकी संसद में सक्रिय भूमिका के लिए उन्हें सम्मानित किया गया है।
7. गांधीवादी दर्शन और हिन्दुत्व विचारधारा को एकजुट करने का प्रयास
आडवाणी जी ने गांधीवाद और हिन्दुत्व के सिद्धांतों को एकजुट करने का प्रयास किया। वे भारतीय राजनीति में एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित हुए जिनका दृष्टिकोण न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी संतुलित था।
8. अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिष्ठा
आडवाणी जी की प्रतिष्ठा सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्हें कई देशों से सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए, जो उनके राजनीतिक कद और वैश्विक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।