अगर आप ऐसे निवेश विकल्प की तलाश में हैं जहां रिस्क कम हो, टैक्स पर छूट मिले और रिटर्न भी स्थिर बना रहे, तो मल्टी-एसेट फंड्स आपके लिए एक समझदारी भरा विकल्प हो सकते हैं।
मई 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 2.8 फीसदी पर आ गई है। यह स्तर फरवरी 2019 के बाद सबसे कम है। खाने-पीने की चीज़ों के दामों में गिरावट और बेहतर मानसून को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है।
महंगाई के इस गिरते स्तर ने निवेशकों के लिए नई उम्मीदें पैदा की हैं। जब बाजार में अस्थिरता हो और ब्याज दरें स्थिर हों, ऐसे समय में सही निवेश विकल्प ढूंढना जरूरी हो जाता है।
ग्लोबल माहौल में दिख रही कमजोरी
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक माहौल कमजोर बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2025 में वैश्विक विकास दर का अनुमान घटाकर 2.8 फीसदी कर दिया है। इसके पीछे व्यापारिक तनाव, नीतिगत अनिश्चितता और मांग में सुस्ती जैसे कारण हैं।
इस माहौल में भारत की स्थिति अपेक्षाकृत मजबूत है। ग्रामीण मांग, शहरी खपत और निवेश में सुधार के चलते भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी के आसपास रहने का अनुमान है।
बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच Multi-Asset Funds को मिल रही मजबूती
2024 में शेयर बाजार ने अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन अब जब बाजार ऊंचाई पर है और उतार-चढ़ाव की संभावनाएं बढ़ी हैं, ऐसे में निवेशकों की दिलचस्पी फिर से Multi-Asset Allocation Funds की तरफ बढ़ने लगी है।
ये फंड्स निवेश को इक्विटी, डेट और कमोडिटी जैसे अलग-अलग एसेट्स में बांटते हैं। जब किसी एक एसेट क्लास में कमजोरी आती है, तो दूसरी एसेट क्लास उसका संतुलन बना लेती है। इससे जोखिम कम होता है और रिटर्न की संभावना बनी रहती है।
बाजार के अनुसार रणनीति बदलने की क्षमता
Multi-Asset Funds की सबसे खास बात यह है कि ये बाजार के अनुसार अपने पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकते हैं। अगर बाजार में गिरावट आती है, तो ये फंड्स इक्विटी से हटकर डेट या गोल्ड में अलोकेशन बढ़ा सकते हैं।
इस लचीलापन के कारण यह फंड्स उन निवेशकों के लिए उपयोगी हैं जो न तो ज्यादा जोखिम उठाना चाहते हैं और न ही रोज़ाना बाजार की चाल पर नजर रखना चाहते हैं।
टैक्स में भी मिल सकता है फायदा
Multi-Asset Funds टैक्स के नजरिए से भी फायदेमंद हो सकते हैं। अगर इन फंड्स में इक्विटी का अनुपात 65 फीसदी या उससे अधिक रखा जाए, तो ये इक्विटी म्यूचुअल फंड की कैटेगरी में आते हैं।
इसका मतलब यह हुआ कि इनसे होने वाला कैपिटल गेन लंबे समय में केवल 10 फीसदी टैक्स के दायरे में आता है, जबकि अन्य निवेश विकल्पों पर टैक्स दर ज्यादा हो सकती है।
कुछ फंड्स डेरिवेटिव्स का इस्तेमाल करके इक्विटी हिस्से को हेज भी करते हैं ताकि पोर्टफोलियो में अस्थिरता कम हो, और टैक्स छूट भी बनी रहे।
सोने में निवेश की बढ़ती उपयोगिता
गोल्ड एक बार फिर निवेशकों के पोर्टफोलियो में जगह बना रहा है। जब शेयर बाजार में ऊंचाई देखने को मिलती है और ब्याज दरें स्थिर हो जाती हैं, तो गोल्ड एक सुरक्षित और संतुलित विकल्प बनकर उभरता है।
गोल्ड की खास बात यह है कि इसकी चाल इक्विटी और डेट से अलग होती है। इससे निवेश पोर्टफोलियो में विविधता बनी रहती है और वैश्विक संकट या आर्थिक तनाव के समय निवेश सुरक्षित रहता है।
लंबी अवधि वालों के लिए अच्छा विकल्प
Multi-Asset Allocation Funds खास तौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं जो अपने बच्चों की पढ़ाई, रिटायरमेंट या घर खरीदने जैसे लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए निवेश करना चाहते हैं।
इन फंड्स में निवेश से एक ओर टैक्स की बचत होती है, वहीं दूसरी ओर बाजार में अस्थिरता के समय नुकसान का खतरा कम हो जाता है।
2024 के ट्रेंड से मिली सीख
पिछले साल यानी 2024 में बाजार की तेज़ी के चलते डाइवर्सिफिकेशन का लाभ सीमित रह गया था, क्योंकि इक्विटी ने सभी एसेट क्लास को पीछे छोड़ दिया था। लेकिन अब जब बाजार महंगे स्तर पर है और आगे अस्थिरता बढ़ने की संभावना है, ऐसे में विविध पोर्टफोलियो की जरूरत और बढ़ गई है।
Multi-Asset Funds यही संतुलन बनाते हैं। ये इक्विटी, डेट और कमोडिटी के बीच एक संतुलित रेखा खींचते हैं जो बाजार के हर रूप में काम करती है।
नए निवेशकों के लिए भी सहज विकल्प
जो निवेशक बाजार में नए हैं और सीधे शेयरों या किसी एक एसेट क्लास में पैसा लगाने से हिचकिचाते हैं, उनके लिए Multi-Asset Allocation Funds एक आसान रास्ता हो सकते हैं।
इन फंड्स का प्रबंधन प्रोफेशनल फंड मैनेजर्स करते हैं, जो समय-समय पर बाजार का आकलन करके निवेश में बदलाव करते रहते हैं।