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कौन होगा बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष? निर्मला सीतारमण, डी. पुरंदेश्वरी और वनथी श्रीनिवासन के नाम रेस में सबसे आगे

कौन होगा बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष? निर्मला सीतारमण, डी. पुरंदेश्वरी और वनथी श्रीनिवासन के नाम रेस में सबसे आगे

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में लगभग ढाई साल की देरी हो चुकी है। हालांकि अब संकेत मिल रहे हैं कि इसी महीने सत्ताधारी पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है। 

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद इन दिनों देश की सियासत में चर्चा का सबसे बड़ा विषय बना हुआ है। करीब ढाई साल की देरी के बाद जुलाई महीने में पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने की संभावना जताई जा रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि संगठनात्मक स्तर पर राज्यों में नेतृत्व बदलाव के बाद अब केंद्रीय नेतृत्व पर फोकस किया जा रहा है। ऐसे में यह सवाल सबसे अहम है कि क्या भाजपा को पहली बार कोई महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलेगी, या फिर पार्टी एक बार फिर ओबीसी नेता पर भरोसा जताएगी?

दरअसल, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में इस बार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि दक्षिण भारत से आने वाली और मोदी सरकार की प्रमुख चेहरा रही निर्मला सीतारमण महिला सशक्तिकरण के लिहाज से भी पार्टी की मजबूत दावेदार मानी जा रही हैं। 33% महिला आरक्षण कानून के बाद पार्टी किसी महिला को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर एक बड़ा संदेश देना चाहती है, और इसमें निर्मला सीतारमण का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है।

दक्षिण भारत से दो और महिला नेताओं का नाम भी उभरा

सीतारमण के अलावा आंध्र प्रदेश की पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डी. पुरंदेश्वरी भी रेस में हैं। पुरंदेश्वरी कई भाषाओं की जानकार हैं और राष्ट्रीय स्तर पर अनुभवी मानी जाती हैं। वह पहले भी पार्टी में कई प्रमुख पद संभाल चुकी हैं। उनके अलावा तमिलनाडु की वनथी श्रीनिवासन का नाम भी सामने आया है, जो पेशे से वकील हैं और तमिलनाडु विधानसभा में कोयंबटूर दक्षिण से विधायक हैं। 

वनथी भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुकी हैं और 2022 में पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य बनी थीं। यदि इनमें से किसी का नाम फाइनल होता है, तो भाजपा के इतिहास में यह पहली महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगी।

ओबीसी फैक्टर बना बड़ी वजह

हालांकि, भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी अभी ओबीसी कार्ड खेलने के ज्यादा करीब है। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का नाम अंतिम समय में तेजी से उभरा है। उन्होंने कहा कि पार्टी अगले कुछ सालों में जिन बड़े राज्यों बिहार (2025), पश्चिम बंगाल (2026) और उत्तर प्रदेश (2027) में चुनाव लड़ने जा रही है, वहां ओबीसी समीकरण बहुत निर्णायक होगा। ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य पर भरोसा जताना पार्टी के लिए रणनीतिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है।

धर्मेंद्र प्रधान का नाम भी इस रेस में है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि मौर्य का संगठन और संघ दोनों के साथ अच्छा तालमेल है, इसलिए उनकी दावेदारी ज्यादा मजबूत मानी जा रही है।

जेपी नड्डा का बढ़ा कार्यकाल अब खत्म होने की कगार पर

भाजपा के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनावों और फिर कई विधानसभा चुनावों के कारण उनके कार्यकाल को बार-बार बढ़ाया जाता रहा। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव और राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने के बाद अब भाजपा नेतृत्व पर दबाव है कि नए अध्यक्ष का ऐलान जल्द किया जाए। संसद में भी विपक्ष ने इस देरी को लेकर तंज कसे थे।

अब जब लगभग सभी राज्यों में संगठन की नई टीम बन चुकी है, तो पार्टी जुलाई में ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराने की दिशा में आगे बढ़ रही है। भाजपा मुख्यालय में बीते कुछ दिनों में जेपी नड्डा, बीएल संतोष और निर्मला सीतारमण की मुलाकातें भी इसी सिलसिले में चर्चा का विषय बनी हैं।

भाजपा के लिए यह फैसला न केवल राजनीतिक, बल्कि प्रतीकात्मक तौर पर भी बहुत मायने रखता है। यदि महिला चेहरा अध्यक्ष बनता है, तो यह 33% महिला आरक्षण कानून के बाद पार्टी का बड़ा स्टैंड होगा। वहीं, ओबीसी नेता को अध्यक्ष बनाकर भाजपा सामाजिक समीकरण साधने की रणनीति को और पुख्ता कर सकती है।

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