Jammu Kashmir Accession Day 2024: नई सुबह, नई उम्मीद और जम्मूवासियों की भावनाएं

Jammu Kashmir Accession Day 2024: नई सुबह, नई उम्मीद और जम्मूवासियों की भावनाएं
Last Updated: 1 दिन पहले

जम्मू-कश्मीर, 26 अक्टूबर 2024: आज विलय दिवस के मौके पर जम्मू-कश्मीर में जगह-जगह रैली, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह द्वारा जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय करने के ऐतिहासिक फैसले की स्मृति में हर साल इस दिन को विशेष रूप से मनाया जाता है। इस अवसर पर जम्मू के लोगों का कहना है कि बीते 76 वर्षों में जम्मू-कश्मीर में जिस तरह से तरक्की हुई है, वह पाकिस्तान के लाहौर और इस्लामाबाद जैसे शहरों में भी देखने को नहीं मिली। हालांकि, आम लोग राजनीतिक रूप से सशक्त महसूस कर रहे हैं, लेकिन चारों ओर असुरक्षा की भावना भी बनी हुई है।

प्रदेश भर में विभिन्न कार्यक्रम: विलय दिवस के अवसर पर आज पूरे प्रदेश में स्कूलों, स्थानीय संगठनों और समुदायों द्वारा विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इन आयोजनों में भव्य रैलियाँ, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और श्रद्धांजलि सभाएँ शामिल रहीं, जहाँ लोग उन वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर की रक्षा और विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर लोगों ने एकता और अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए संकल्प लिया। ये आयोजन न केवल ऐतिहासिक महत्व के प्रतीक हैं बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच राष्ट्रीयता और समर्पण की भावना को भी मजबूत कर रहे हैं। समारोहों में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, समाजसेवी संगठन, और धार्मिक संस्थाएँ भी शामिल हो रही हैं।

बलिदानियों को विशेष श्रद्धांजलि: जम्मू-कश्मीर के विलय दिवस पर शहीदों की स्मृति में विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए। लोगों ने वीर सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी वीरता को याद किया, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर इस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की। श्रद्धांजलि सभा में बलिदानियों की वीरगाथा सुनाई गई, जिससे लोगों में देशभक्ति और वीरता का सम्मान बढ़ा। इस तरह के कार्यक्रम आज की पीढ़ी को प्रेरित करने के उद्देश्य से भी आयोजित किए जाते हैं।

ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह और मकबूल शेरवानी के अद्वितीय योगदान: ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह और मकबूल शेरवानी के अद्वितीय साहस और बलिदान को याद करते हुए लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इन दोनों ने अपने साहस और निस्वार्थ सेवा से जम्मू-कश्मीर की रक्षा की। ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह ने पाकिस्तानी सेना और कबायलियों के हमले का दृढ़ता से मुकाबला किया, जबकि मकबूल शेरवानी ने अपनी राष्ट्रभक्ति और प्रेरणादायक नेतृत्व से लोगों को एकजुट किया। उनके बलिदान और निस्वार्थ सेवा को जम्मू-कश्मीर के लोग अपना कर्ज मानते हैं और उनकी स्मृति में उन्हें नमन करते हैं।

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति गंभीर संकट में: पाकिस्तान इन दिनों गहरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। बढ़ती महंगाई, भारी कर्ज का बोझ और विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के चलते पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दिवालियापन की कगार पर पहुंच चुकी है। मुद्रा मूल्य में लगातार गिरावट, बजट घाटे, और अस्थिर नीतियों के कारण वहां आम नागरिकों के जीवन में भारी कठिनाई हो रही है। पाकिस्तान के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है ताकि उसकी अर्थव्यवस्था स्थिर हो सके और वह विकास की राह पर लौट सके।

जम्मू-कश्मीर में विकास और स्थिरता का उदाहरण: पिछले 76 वर्षों में जम्मू-कश्मीर ने जो प्रगति की है, वह न केवल भारत बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे में इस क्षेत्र में विशेष उन्नति हुई है। यहां की स्थानीय सरकारों ने लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अनेक योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है, जिससे छोटे कस्बों और गांवों तक भी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच हुई है। सुरक्षा बलों की प्रभावी उपस्थिति से जम्मू-कश्मीर में स्थिरता बनी हुई है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के असुरक्षा और आतंकवाद से प्रभावित माहौल के विपरीत है। जम्मू-कश्मीर की यह प्रगति इस क्षेत्र के लोगों के लिए गर्व का प्रतीक है, और एक उदाहरण है कि किस तरह विकास और स्थिरता को प्राथमिकता देकर समाज को एक नई दिशा दी जा सकती है।

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