भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 24 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन उपभोक्ताओं के अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का कार्य करता है। यह दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अधिनियमन की भी याद दिलाता है, जिसने उपभोक्ताओं को सुरक्षा, सूचना, विकल्प, निवारण और निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार प्रदान किया। इस दिन का उद्देश्य उपभोक्ताओं को अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचाने के लिए जागरूक करना हैं।
National Consumer Rights Day का इतिहास
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस का इतिहास 1986 से शुरू होता है। 24 दिसंबर 1986 को भारतीय संसद ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को मंजूरी दी थी। यह अधिनियम उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए लागू किया गया था। इस कानून के तहत उपभोक्ताओं को विभिन्न अधिकार दिए गए, जैसे कि सुरक्षा, सूचना, विकल्प, निवारण और निष्पक्ष सुनवाई। इसे लागू करने का उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना और उन्हें बाजार के दुरुपयोग से बचाना था।
National Consumer Rights Day की थीम
हर साल इस दिन के लिए एक विशेष थीम निर्धारित की जाती है। उदाहरण के लिए, वर्ष 2023 की थीम "ई-कॉमर्स और डिजिटल व्यापार के युग में उपभोक्ता संरक्षण" थी। इस साल की थीम अभी घोषित नहीं की गई है, लेकिन यह उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा से संबंधित रहेगी। यह डिजिटल युग में उपभोक्ताओं को होने वाले धोखाधड़ी और शोषण से बचाने के उपायों पर आधारित होगी।
National Consumer Rights Day का महत्व
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की पारिती को याद दिलाता है, जो उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा का ऐतिहासिक कदम था। इस दिन उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित किया जाता है, ताकि वे शोषण, धोखाधड़ी और अनैतिक व्यापार प्रथाओं से बच सकें।
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस क्यों मनाते हैं?
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और उन्हें न्याय के लिए उपलब्ध कानूनी उपायों के बारे में बताना है। यह दिन उपभोक्ताओं को सूचित निर्णय लेने के लिए प्रेरित करता है और उन्हें उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए जागरूक करता है। इस दिन का आयोजन उपभोक्ताओं के छह प्रमुख अधिकारों के महत्व को उजागर करने के लिए किया जाता है, जिनमें सुरक्षा, सूचना, विकल्प, निवारण, उपभोक्ता शिक्षा और सुनवाई का अधिकार शामिल हैं।
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस कैसे मनाते हैं?
· सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा जागरूकता अभियान: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत लोगों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करने के लिए अभियान चलाए जाते हैं।
· उपभोक्ता फोरम और न्यायालयों में ओपन-हाउस सत्र: उपभोक्ताओं को शिकायत निवारण प्रक्रिया के बारे में जानकारी देने के लिए ओपन-हाउस सत्र आयोजित किए जाते हैं।
· न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान: उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देने के लिए न्यूज चैनल और सोशल मीडिया पर कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
· पुरस्कार और सम्मान: उत्कृष्ट उपभोक्ता कार्यकर्ताओं और संगठनों को पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता हैं।
स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताएं: निबंध और पोस्टर-मेकिंग प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, ताकि युवा पीढ़ी को उपभोक्ता अधिकारों के बारे में जागरूक किया जा सके।
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
· उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986: यह अधिनियम उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए पारित किया गया था।
· आधिकारिक संशोधन: 2019 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में संशोधन किए गए थे, ताकि उपभोक्ताओं को और अधिक अधिकार मिल सकें।
· डिजिटल युग में उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा: राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस डिजिटल युग में उपभोक्ताओं को ऑनलाइन घोटालों, नकली सामान और गोपनीयता उल्लंघन से बचाने पर जोर देता हैं।
· सशक्त उपभोक्ता समाज का निर्माण: यह दिवस उपभोक्ताओं, व्यवसायों और नीति निर्माताओं के बीच विश्वास को बढ़ावा देने का कार्य करता हैं।
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन उपभोक्ताओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा को सुनिश्चित करने के लिए मनाया जाता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और इसके तहत दिए गए अधिकारों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि उपभोक्ताओं को बाजार में अनुचित प्रथाओं से बचाया जा सके।