वास्तुकला का खजाना:मुगल साम्राज्य ने भारत को स्थापत्य कला की अद्भुत धरोहर दी, आइए जाने कोनसे ऐतिहासिक स्मारक शामिल हैं।

वास्तुकला का खजाना:मुगल साम्राज्य ने भारत को स्थापत्य कला की अद्भुत धरोहर दी,  आइए जाने कोनसे ऐतिहासिक स्मारक शामिल हैं।
Last Updated: 1 घंटा पहले

मुगल साम्राज्य (1526-1857) के दौरान भारत में वास्तुकला का एक सुनहरा दौर आया, जिसे दुनिया भर में अपनी अद्वितीयता, भव्यता और सुसंस्कृत डिज़ाइन के लिए जाना जाता है। मुगल वास्तुकला का विकास एक मिश्रण था, जिसमें भारतीय, फारसी, इस्लामी और तुर्की शैलियों का समागम देखने को मिला। इसके प्रमुख उदाहरण ताजमहल, लाल किला, और फतेहपुर सीकरी जैसे अद्भुत स्मारक हैं।

 

विशेषताएँ:

मुगल वास्तुकला में संगमरमर, बलुआ पत्थर और अन्य महंगे पत्थरों का व्यापक उपयोग हुआ।

बड़े-बड़े गुंबद, मीनारें, सुंदर मेहराब और विस्तृत बगीचे मुगल इमारतों की पहचान हैं।

इस वास्तुकला में "चारबाग" की डिजाइन प्रमुख थी, जो इस्लामी मान्यताओं के अनुसार स्वर्ग के बगीचे को दर्शाती है।

जटिल नक्काशी, कुरान की आयतें, और सुंदर जालीदार काम मुगलकालीन इमारतों को और भव्य बनाते थे।

क्या आप जानते हैं?

ताजमहल (आगरा):

निर्माण: मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में ताजमहल बनवाया। इसका निर्माण 1632 में शुरू हुआ और 1653 में पूरा हुआ।

प्रेरणा: ताजमहल की डिज़ाइन फारसी, इस्लामी, और भारतीय स्थापत्य कला का मिश्रण है। इसे सफेद संगमरमर से बनाया गया है, जो प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

मूल्य: ताजमहल के निर्माण में लगभग 20,000 मजदूर और शिल्पकारों ने काम किया। इसे बनाने में लगभग 32 मिलियन रुपये का खर्च आया था (17वीं सदी में)

अनूठी विशेषता: ताजमहल दिन में तीन बार रंग बदलता है। सुबह गुलाबी, दिन में सफेद और रात में सुनहरा नजर आता है।

लाल किला (दिल्ली):

निर्माण: इसे मुगल सम्राट शाहजहां ने 1638 में बनवाना शुरू किया था और 1648 में इसका निर्माण पूरा हुआ।

सामग्री: यह किला लाल बलुआ पत्थर से बना है, जो इसे "लाल किला" के नाम से प्रसिद्ध बनाता है।

महत्व: लाल किला सिर्फ एक सैन्य किला नहीं था, बल्कि यह मुगल दरबार और प्रशासन का केंद्र भी था। आजादी के बाद 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले से तिरंगा फहराया जाता है।

आकर्षण: लाल किले में खास महल, रंग महल, दीवान--आम, और दीवान--खास जैसे भव्य भवन हैं, जहाँ मुगल शासक अपने दरबार का आयोजन करते थे।

 

फतेहपुर सीकरी (आगरा के पास):

निर्माण: इसे मुगल सम्राट अकबर ने 1571 में बनवाया था और यह मुगल साम्राज्य की अस्थायी राजधानी थी। हालाँकि पानी की कमी के कारण इसे छोड़ दिया गया।

विशेषता: फतेहपुर सीकरी की डिज़ाइन फारसी और भारतीय स्थापत्य कला का मिश्रण है। यह परिसर पूरी तरह से लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है।

दर्शनीय स्थल: यहाँ का बुलंद दरवाज़ा, जो 54 मीटर ऊँचा है, दुनिया के सबसे ऊँचे प्रवेश द्वारों में से एक है। जामा मस्जिद, शेख सलीम चिश्ती की दरगाह, पंच महल और दीवान--खास भी यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं।

जानकारी: अकबर ने इस शहर को अपने बेटे सलीम (जहांगीर) की जन्मस्थली के रूप में बनाया था, क्योंकि यहाँ सूफी संत शेख सलीम चिश्ती ने अकबर को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया था।

मुगल वास्तुकला की अन्य खास बातें:

बगीचों का निर्माण: मुगल वास्तुकला में बगीचों का बहुत महत्व था। चारबाग (चार बागों वाला डिजाइन) इस्लामिक स्वर्ग के प्रतीक के रूप में बनाया जाता था। ताजमहल और हुमायूँ के मकबरे के चारों ओर चारबाग डिजाइन का सबसे सुंदर उदाहरण हैं।

जल वितरण प्रणाली: मुगल इमारतों में जटिल जल वितरण प्रणाली का उपयोग होता था, जिससे फव्वारे और बगीचों में पानी की आपूर्ति की जाती थी।

पियटा ड्यूरा: यह मुगलकालीन नक्काशी की विशेष शैली थी, जिसमें संगमरमर पर बहुमूल्य पत्थरों की जड़ाई की जाती थी। ताजमहल पर इस शैली का बेहतरीन उदाहरण देखने को मिलता है।

रोचक तथ्य:

शाहजहां ने ताजमहल को बनाने के बाद लाल बलुआ पत्थर का काला ताजमहल बनवाने का सपना देखा था, लेकिन इसे पूरा नहीं किया जा सका।

लाल किले में मुगल सम्राटों के शासनकाल के दौरान एक "दीवान--खास" नामक विशेष कक्ष था, जहाँ केवल महत्वपूर्ण मंत्रियों और सलाहकारों के साथ ही बैठकें होती थीं। इसमें एक खास सिंहासन था जिसे "तख्त--ताउस" कहा जाता था, जिस पर बहुमूल्य पत्थरों की जड़ाई थी।

फतेहपुर सीकरी का पंच महल पाँच मंजिला इमारत है, जिसमें कोई दीवार नहीं है, केवल स्तंभों का उपयोग किया गया है।

 

मुगलकालीन वास्तुकला भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है। इसकी भव्यता, वास्तुशिल्पीय नवीनता और कला का अनुपम संगम इसे विश्व धरोहरों में अद्वितीय स्थान दिलाता है।

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