भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। यह न केवल अपनी विस्तृत संरचना के कारण अद्वितीय है, बल्कि इसमें भारत के लोकतंत्र, नागरिक अधिकारों, न्याय व्यवस्था, और संघीय ढांचे को बहुत ही विस्तृत रूप से समझाया गया है।
भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति का नेतृत्व डॉ. भीमराव आंबेडकर ने किया था, जिन्हें "संविधान निर्माता" के रूप में जाना जाता है।
विस्तार में:
शुरुआत और निर्माण: भारतीय संविधान को 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और यह 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ। इसे बनाने में लगभग 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे, और इस प्रक्रिया में 389 सदस्य शामिल थे।
संरचना:
भारतीय संविधान में 395 मूल अनुच्छेद (अब 448 से अधिक) और 12 अनुसूचियाँ शामिल थीं, जिन्हें समय-समय पर संशोधन के माध्यम से बदला गया है। इसकी तुलना में, अमेरिका का संविधान मात्र 7 अनुच्छेदों और 27 संशोधनों के साथ आता है। इस विस्तार के कारण यह दुनिया का सबसे विस्तृत संविधान बन गया।
विविधता की अभिव्यक्ति:
भारतीय संविधान में सभी प्रकार की विविधता, जैसे धर्म, भाषा, क्षेत्र और संस्कृति को ध्यान में रखा गया है। इसमें संघीय व्यवस्था, स्वतंत्रता, समानता, और न्याय जैसे महत्वपूर्ण विषयों कोयह पूरी तरह से स्पष्ट रूप से समझाया गया है।
धारा और अनुसूचियाँ:
अनुच्छेद (Articles): यह संविधान के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करते हैं, जैसे नागरिक अधिकार, सरकार की शक्तियाँ, और न्यायिक प्रक्रिया।
अनुसूचियाँ (Schedules): ये विशेष प्रावधानों को संगठित रूप से प्रस्तुत करती हैं, जैसे अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों से संबंधित प्रावधान।
संशोधन प्रक्रिया:
भारतीय संविधान एक लचीला दस्तावेज है, जिसे समय के साथ बदलते समाज और जरूरतों के अनुसार संशोधित किया जा सकता है। अब तक इसमें 100 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं। इसके विपरीत, कुछ देशों के संविधान बहुत कठोर होते हैं, जिनमें संशोधन करना कठिन होता है।
अधिकार और कर्तव्य:
भारतीय संविधान नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है, जिनमें स्वतंत्रता, समानता और शिक्षा का अधिकार शामिल है। इसके साथ ही, यह नागरिकों के कर्तव्यों को भी रेखांकित करता है, जैसे संविधान का पालन करना और देश की एकता और अखंडता की रक्षा करना।
विभिन्न स्रोतों से प्रेरित:
भारतीय संविधान को विभिन्न देशों के संविधानों से प्रेरणा मिली है, जैसे ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली, अमेरिका का मौलिक अधिकारों का विचार, और आयरलैंड का नीति निर्देशक सिद्धांत।
भारतीय संविधान की लंबाई और विस्तार इसे विशेष बनाते हैं और इसके माध्यम से एक बहु-सांस्कृतिक, बहु-धार्मिक और बहुभाषी देश के सभी नागरिकों को न्याय, समानता और स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है।