हर साल 29 अक्टूबर को वर्ल्ड स्ट्रोक डे मनाया जाता है। यह दिन स्ट्रोक के प्रति जागरूकता फैलाने और इसके लक्षणों, रोकथाम, और उपचार के बारे में जानकारी देने के लिए समर्पित है। आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास और इसका महत्व।
खराब जीवनशैली का प्रभाव मौसम के बदलाव में सबसे अधिक दिखाई देता है। वर्तमान में जब हल्की सर्दी का मौसम आ चुका है, तब अधिकांश लोग सर्दी, जुकाम और गले की समस्याओं से परेशान हैं। इसके अतिरिक्त, दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण ने समस्याओं को और बढ़ा दिया है। ऐसे में स्वस्थ रहने के लिए उचित सावधानियां बरतना आवश्यक है।
वर्ल्ड स्ट्रोक डे का इतिहास
वर्ल्ड स्ट्रोक डे को पहली बार 2004 में वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन (WSO) द्वारा मनाया गया। इसका मुख्य उद्देश्य आम लोगों को स्ट्रोक के लक्षणों, जोखिम कारकों और बचाव के तरीकों के बारे में जागरूक करना था। 2006 में इस दिन को आधिकारिक मान्यता मिली, और तब से हर साल 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन को हर साल एक विशेष थीम के साथ मनाने का प्रयास किया जाता है, ताकि जागरूकता को अधिकतम स्तर पर बढ़ाया जा सके। वर्ल्ड स्ट्रोक डे न केवल स्ट्रोक के प्रति जागरूकता फैलाने का दिन है, बल्कि यह उन उपायों पर भी ध्यान केंद्रित करता है जो इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या को रोकने में मदद कर सकते हैं।
वर्ल्ड स्ट्रोक डे की थीम
इस साल वर्ल्ड स्ट्रोक डे की थीम GreaterThanStroke Active Challenge रखी गई है। यह थीम इस बात पर जोर देती है कि कैसे शारीरिक सक्रियता और खेलों के माध्यम से स्ट्रोक के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
इस थीम के अंतर्गत लोगों को प्रेरित किया जाएगा कि वे अपनी दैनिक दिनचर्या में सक्रियता को शामिल करें, जिससे न केवल स्वास्थ्य में सुधार हो सके, बल्कि स्ट्रोक के जोखिम को भी कम किया जा सके। खेलों के माध्यम से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य को भी सुदृढ़ करता है, जो स्ट्रोक की रोकथाम में महत्वपूर्ण है।
वर्ल्ड स्ट्रोक डे का महत्व
स्ट्रोक एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क में रक्त की नलिकाएँ रुक जाती हैं या फट जाती हैं। जब रक्त की नलिकाएँ फटती हैं या रुकती हैं, तो मस्तिष्क तक ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो जाती है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएँ मरने लगती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्ट्रोक का समय पर इलाज नहीं किया जाता है, तो यह शारीरिक विकलांगता का कारण बन सकता है।
इतना ही नहीं, गंभीर मामलों में स्ट्रोक के कारण व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। विश्व स्ट्रोक डे के अवसर पर, स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों को पहचानने के लिए 'FAST' (Face, Arms, Speech, Time) जैसे अभियानों का संचालन किया जाता है। इस अभियान में चेहरे, हाथों, बोलने की क्षमता और समय को प्राथमिकता दी जाती है। अगर किसी का चेहरा अचानक झुक जाता है, हाथ उठाने में कठिनाई होती है या बोलने में समस्या आती है, तो तुरंत अस्पताल जाकर डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।
स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं?
एकतरफा कमजोरी या लकवा: शरीर के एक हिस्से में कमजोरी या असामान्य रूप से सुस्ती।
वाचाघात: बोलने में कठिनाई या स्पष्टता की कमी।
अस्पष्ट बोलना (डिसार्थ्रिया): शब्दों का सही उच्चारण करने में कठिनाई।
चेहरे के एक तरफ की मांसपेशियों पर नियंत्रण खोना: चेहरे का एक हिस्सा झुकना या सुन्न होना।
धुंधला या दोहरा दिखाई देना (डिप्लोपिया): दृष्टि में असामान्यता।
समन्वय की हानि या भद्दापन (एटैक्सिया): चलने या किसी वस्तु को पकड़ने में कठिनाई।
चक्कर आना या सिर चकराना: असंतुलन या हल्की चक्कराहट महसूस होना।
मतली और उल्टी: पेट में असहजता या उल्टी की भावना।
गर्दन में अकड़न: गर्दन के मांसपेशियों में कठोरता।
दौरे पड़ना और भ्रम की स्थिति: अचानक दौरे आना या मानसिक स्थिति में बदलाव।
भूलने की बीमारी: अचानक याददाश्त में कमी।
सिरदर्द: आमतौर पर अचानक और गंभीर सिरदर्द।
बेहोश हो जाना: अनियंत्रित रूप से होश खो देना।