अगर आपको हाल ही में यह महसूस हो रहा है कि पेशाब करने में परेशानी हो रही है, धार पहले जैसी तेज नहीं रही, बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता है या मूत्राशय पूरी तरह खाली नहीं हो रहा—तो सतर्क हो जाइए। ये संकेत आपके शरीर के अंदर हो रहे एक बड़े बदलाव की चेतावनी हो सकते हैं, जिसे बेनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BPH) यानी प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना कहा जाता है।
पेशाब की धार कमजोर क्यों होती है?
पुरुषों के शरीर में एक छोटी सी ग्रंथि होती है—प्रोस्टेट। यह मूत्राशय के ठीक नीचे स्थित होती है और पेशाब की नली (यूरेथ्रा) को चारों तरफ से घेरे रहती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह ग्रंथि धीरे-धीरे बढ़ने लगती है, जिससे यूरेथ्रा पर दबाव बनता है और पेशाब का बहाव धीमा पड़ने लगता है। यही स्थिति BPH कहलाती है।
कैसे पहचानें खतरे के संकेत?
डॉक्टरों के अनुसार, पेशाब की धार कमजोर होने के साथ ये लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं:
- पेशाब शुरू करने में देर या दिक्कत
- पेशाब के बाद भी अधूरा खालीपन महसूस होना
- बार-बार पेशाब की इच्छा, खासकर रात को
- पेशाब टपक-टपक कर आना
- पेशाब रुक-रुक कर आना
ये सभी संकेत बताते हैं कि प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ रही है और मूत्रमार्ग को संकुचित कर रही है।
कितने लोग होते हैं प्रभावित?
भारत में 45 वर्ष की उम्र के बाद पुरुषों में यह समस्या आम होती जा रही है। एक मेडिकल सर्वे के मुताबिक, देश में 14% तक पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने की स्थिति पाई गई है। वहीं, 85% से ज्यादा पुरुष रात में बार-बार पेशाब जाने (नॉक्चुरिया) की समस्या से जूझते हैं, लेकिन इलाज के लिए डॉक्टर के पास नहीं जाते। यही लापरवाही उन्हें भविष्य में किडनी फेलियर तक पहुंचा सकती है।
पेशाब का बहाव रुकने से क्या हो सकता है?
अगर आप पेशाब की धार कमजोर होने की समस्या को नज़रअंदाज करते हैं, तो यह समस्या कई जटिल बीमारियों में तब्दील हो सकती है:
- मूत्राशय में संक्रमण (UTI)
- पेशाब रुकना (Urinary Retention)
- गुर्दे पर दबाव और खराबी (Hydronephrosis)
- किडनी फेल होना
- पथरी बनना
इनमें से कुछ बीमारियां समय पर इलाज न हो, तो जानलेवा भी साबित हो सकती हैं।
डॉक्टर कैसे करते हैं जांच?
BPH की पुष्टि के लिए डॉक्टर निम्नलिखित जांच करते हैं:
- IPSS स्कोरिंग टेस्ट – पेशाब संबंधी लक्षणों की गंभीरता जानने के लिए।
- डिजिटल रेक्टल एग्ज़ामिनेशन (DRE) – प्रोस्टेट के आकार और स्थिति की जांच के लिए।
- अल्ट्रासाउंड और यूरिन टेस्ट – मूत्राशय और प्रोस्टेट की कार्यक्षमता जांचने के लिए।
- PSA टेस्ट – प्रोस्टेट कैंसर की आशंका को दूर करने के लिए।
पेशाब की धार सुधारने के 4 असरदार उपाय
1. लाइफस्टाइल में सुधार
- रात में सोने से पहले पानी, चाय, कॉफी या शराब का सेवन न करें।
- फाइबर युक्त डाइट लें ताकि कब्ज न हो, क्योंकि यह प्रोस्टेट पर दबाव बढ़ा सकती है।
- रोजाना 30 मिनट की वॉक या योग करें।
- पेशाब को रोके नहीं, समय पर जाएं।
2. दवाओं का सेवन
डॉक्टर प्रोस्टेट की मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाएं या प्रोस्टेट का आकार कम करने वाली दवाएं लिखते हैं। इनसे पेशाब के बहाव में सुधार आता है और रात की नींद बेहतर होती है।
3. मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया
अगर दवाओं से लाभ न मिले, तो डॉक्टर TUMT, UroLift या TUNA जैसे नॉन-सर्जिकल विकल्प देते हैं। इन प्रक्रियाओं में पेशाब की नली को खोला जाता है ताकि मूत्र का बहाव बेहतर हो सके।
4. सर्जरी
ज्यादा गंभीर स्थिति में डॉक्टर TURP (Transurethral Resection of Prostate) या HoLEP जैसी सर्जरी की सलाह देते हैं, जो आजकल बेहद सुरक्षित और कारगर मानी जाती हैं।
कब दिखाएं डॉक्टर को?
अगर आपको नीचे दिए लक्षणों में से कोई भी लगातार महसूस हो रहा है:
- पेशाब की धार बहुत पतली हो गई है
- पेशाब के बाद भी अधूरा-सा लगता है
- टॉयलेट जाने की बार-बार जरूरत पड़ती है
अगर पेशाब से जुड़ी ये समस्याएं लगातार बनी हुई हैं, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। यह प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने का संकेत हो सकता है, जो आगे चलकर गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। समय रहते डॉक्टर से जांच और इलाज करवाना आपकी सेहत के लिए जरूरी कदम है।