मलेशिया के तेरेंगानु प्रांत ने जुम्मे की नमाज न पढ़ने पर दो साल जेल और जुर्माना का नया कानून लागू किया। विवाद बढ़ा, आलोचक इसे मानवाधिकार उल्लंघन मान रहे हैं।
Malaysia: मलेशिया, जो मुस्लिम बहुल देश है, में नागरिक कानून के साथ-साथ शरिया कानून भी लागू होता है। अब तेरेंगानु प्रांत ने ऐसा नया कानून लागू किया है, जो शुक्रवार की नमाज न पढ़ने वालों के लिए गंभीर सजा की धमकी देता है। इस कदम ने देश में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद खड़ा कर दिया है।
जुम्मे की नमाज न पढ़ने पर दो साल तक की जेल
तेरेंगानु राज्य की नई शरिया व्यवस्था के तहत बिना कोई वैध कारण बताए जुम्मे की नमाज न पढ़ने वाले मुसलमानों को दो साल तक की जेल और 3,000 रिंगिट (लगभग 61,817 रुपये) तक का जुर्माना या दोनों सहना पड़ सकता है। यह नियम इसी हफ्ते लागू किया गया। इससे पहले, लगातार तीन शुक्रवार की नमाज न पढ़ने पर अधिकतम छह महीने की जेल या 1,000 रिंगिट (लगभग 20,606 रुपये) तक जुर्माना हो सकता था।
मस्जिदों और जनता के माध्यम से नियम की निगरानी
नए नियमों की जानकारी नमाजियों को मस्जिदों के साइनबोर्ड के जरिए दी जाएगी। इसके अलावा, तेरेंगानु के धार्मिक गश्ती दल और इस्लामिक मामलों के विभाग के अधिकारी इसकी निगरानी करेंगे। प्रांत सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कानून केवल गंभीर उल्लंघनों के मामले में लागू होगा, लेकिन आलोचक इसे अत्यंत कठोर और मानवाधिकारों के खिलाफ मान रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय आलोचना और मानवाधिकारों का सवाल
एशिया ह्यूमन राइट्स एंड लेबर एडवोकेट्स (AHRLA) के निदेशक फिल रॉबर्टसन ने कहा कि यह कानून इस्लाम के छवि के लिए हानिकारक है। उनका कहना है कि धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता में यह भी शामिल है कि कोई व्यक्ति धार्मिक कार्यों में हिस्सा न ले। उन्होंने प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से इस कानून के तहत दी जाने वाली सजा को वापस लेने की अपील की।
प्रांत के अधिकारियों का पक्ष
तेरेंगानु विधान सभा के सदस्य मुहम्मद खलील अब्दुल हादी ने स्पष्ट किया कि दो साल की सजा केवल गंभीर मामलों में दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जुम्मे की नमाज मुसलमानों में आज्ञा पालन का प्रतीक है और धार्मिक अनुशासन बनाए रखने में मदद करती है। उनका कहना है कि यह नियम केवल समाज में धार्मिक चेतना और अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए है।
क्या है कानून का इतिहास और संशोधन
जुम्मे की नमाज न पढ़ने के लिए कानून पहली बार 2001 में लागू हुआ था। 2016 में इसमें संशोधन किया गया ताकि रमजान का सम्मान न करने और सार्वजनिक रूप से महिलाओं को परेशान करने जैसे अपराधों पर कठोर सजा दी जा सके। अब तेरेंगानु में इसे और सख्त बनाकर मुसलमानों के धार्मिक कर्तव्यों को अनिवार्य किया गया है।
मलेशिया की दोहरी कानूनी व्यवस्था
मलेशिया में मुस्लिम आबादी लगभग दो-तिहाई है और यह देश दोहरी कानूनी व्यवस्था के तहत चलता है। यहां शरिया अदालतें मुसलमानों के निजी और पारिवारिक मामलों पर अधिकार रखती हैं, जबकि नागरिक कानून पूरे देश में समान रूप से लागू होता है। यह कानून दोनों व्यवस्था के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती पेश करता है।