जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर लगने वाला 18% GST हटाने की दिशा में सहमति बन रही है। मंत्रियों के समूह (GoM) की बैठकों में लगभग सभी राज्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। परिषद की मंजूरी के बाद ग्राहकों को बीमा प्रीमियम पर सीधी राहत मिलेगी और बीमा योजनाएं सस्ती हो जाएंगी।
GST News: बिहार के उपमुख्यमंत्री और मंत्रियों के समूह (GoM) के संयोजक सम्राट चौधरी ने बताया कि जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर GST छूट देने को लेकर राज्यों के बीच सहमति बन गई है। वर्तमान में इन पर 18% GST लगता है, लेकिन केंद्र ने प्रस्ताव रखा है कि इसे पूरी तरह हटा दिया जाए। बैठक में यह भी चर्चा हुई कि कर छूट का लाभ सीधे पॉलिसीधारकों तक पहुँचे और प्रीमियम महंगा न हो। GoM अपनी रिपोर्ट GST परिषद को सौंपेगा, जिसकी मंजूरी के बाद यह आम जनता के लिए बड़ी राहत साबित होगी।
वर्तमान में 18 प्रतिशत GST
अभी जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर 18 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी लगाया जाता है। बीमा कंपनियां यह टैक्स पॉलिसीधारकों से वसूलती हैं, जिसके कारण प्रीमियम की रकम बढ़ जाती है। केंद्र सरकार ने सुझाव दिया है कि बीमा को पूरी तरह से जीएसटी से मुक्त किया जाए। इस कदम से प्रीमियम पर लगने वाला टैक्स खत्म हो जाएगा और बीमा योजनाएं आम आदमी के लिए अधिक किफायती बनेंगी।
GoM की बैठकों में बनी सहमति
जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर गठित मंत्रियों के समूह के संयोजक और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि इस प्रस्ताव पर सहमति बन रही है। सूत्रों के मुताबिक, समूह की कई दौर की बैठकों में राज्यों ने एक स्वर में कहा है कि बीमा जैसी जरूरी सेवा पर टैक्स बोझ नहीं होना चाहिए।
बैठक में यह चिंता भी जताई गई कि टैक्स छूट का लाभ सीधे ग्राहकों तक पहुंचे। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि दरों में बदलाव का उल्टा असर पॉलिसीधारकों पर न पड़े।
परिषद को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
मंत्रियों का समूह जल्द ही अपनी रिपोर्ट जीएसटी परिषद को सौंपेगा। परिषद की अगली बैठक में इस पर अंतिम फैसला हो सकता है। अगर मंजूरी मिल जाती है तो जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर से टैक्स पूरी तरह हटा लिया जाएगा। यह फैसला लागू होते ही प्रीमियम भुगतान करने वाले ग्राहकों को सीधे फायदा मिलेगा।
ग्राहकों को कैसे मिलेगा फायदा
बीमा प्रीमियम पर टैक्स खत्म होने से ग्राहकों को हर साल प्रीमियम की रकम पर बड़ी बचत होगी। उदाहरण के तौर पर, अभी अगर किसी व्यक्ति को 20,000 रुपये का प्रीमियम देना होता है तो उस पर 18 प्रतिशत टैक्स यानी 3,600 रुपये अतिरिक्त चुकाने पड़ते हैं। टैक्स हटने पर ग्राहक को केवल 20,000 रुपये ही देने होंगे। यह बचत सीधे ग्राहकों की जेब में जाएगी।
सामाजिक सुरक्षा को मिलेगा बढ़ावा
हालांकि सभी राज्य इस प्रस्ताव के पक्ष में हैं, लेकिन कुछ राज्यों ने चिंता जताई है कि टैक्स छूट से राजस्व पर असर पड़ सकता है। चूंकि बीमा क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में टैक्स हटाने से राज्यों को जीएसटी कलेक्शन में कमी हो सकती है। इसके बावजूद बहुमत का मानना है कि यह कदम समाज के बड़े हिस्से के हित में है।
केंद्र सरकार का मानना है कि बीमा सेवाओं को टैक्स मुक्त करना सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक लोग स्वास्थ्य और जीवन बीमा से जुड़ें ताकि आकस्मिक परिस्थितियों में उन्हें आर्थिक मदद मिल सके।
GoM में कौन-कौन मंत्री शामिल
जीएसटी दरों में संरचनात्मक सुधार के लिए गठित मंत्रियों का समूह इस समय कई अहम विषयों पर काम कर रहा है। इस समूह के संयोजक बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी हैं। इनके अलावा उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह, पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, कर्नाटक के राजस्व मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा और केरल के वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल सदस्य हैं।
बीमा क्षेत्र पर संभावित असर
विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी छूट का असर बीमा क्षेत्र पर सकारात्मक होगा। अभी भारत में जीवन और स्वास्थ्य बीमा का दायरा तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन बड़ी आबादी अभी भी बीमा से दूर है। टैक्स हटने से प्रीमियम सस्ता होगा और अधिक लोग बीमा योजनाओं से जुड़ पाएंगे। इससे बीमा कंपनियों का ग्राहक आधार बढ़ेगा और लोगों की वित्तीय सुरक्षा भी मजबूत होगी।