Death anniversary of Nalini Jaywant: भारतीय सिनेमा की महान अभिनेत्री का यादगार योगदान, जानें उनके फिल्मी करियर के बारे में

Death anniversary of Nalini Jaywant: भारतीय सिनेमा की महान अभिनेत्री का यादगार योगदान, जानें उनके फिल्मी करियर के बारे में
Last Updated: 5 घंटा पहले

नलिनी जयवंत की पुण्यतिथि 22 दिसंबर को मनाई जाती है। उनका निधन 22 दिसंबर 2010 को मुंबई में हुआ था। 18 फरवरी 1926 को मुंबई में जन्मी नलिनी जयवंत ने भारतीय सिनेमा में अपने अभिनय से एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया। वह एक ऐसी अभिनेत्री थीं, जिन्होंने 1940 और 1950 के दशकों में हिंदी फिल्मों में अपनी अभिनय प्रतिभा का जलवा दिखाया। छह साल की उम्र में ऑल इंडिया रेडियो मुंबई स्टेशन के बाल सभा कार्यक्रम में गाने गा कर अपने करियर की शुरुआत की। दस साल की उम्र में वह स्कूल के नाटकों में अभिनय करने लगीं। उनकी अभिनय यात्रा तब और गति पकड़ने लगी जब उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर के नाटक "श्रीमतीजी" में मुख्य भूमिका निभाई।

नलिनी की मौसी, रतन बाई, एक मशहूर मराठी गायिका और अभिनेत्री थीं, जो नलिनी के जीवन में एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाला करती थीं। नलिनी का परिवार सिनेमैटोग्राफी से जुड़ा हुआ था और उनके चचेरे भाई कुमारसेन समर्थ ने जर्मनी से सिनेमैटोग्राफी की पढ़ाई की थी, जिसने नलिनी को फिल्मों में अभिनय करने के लिए प्रेरित किया।

नलिनी जयवंत का करियर

नलिनी जयवंत का फिल्मी करियर 1941 में महबूब खान की फिल्म "बहन" से शुरू हुआ। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया, लेकिन 1950 के दशक में उन्हें विशेष पहचान मिली। "समाधि" (1950) और "संग्राम" (1950) जैसी फिल्मों में उनके अभिनय ने उन्हें स्टार बना दिया। इन फिल्मों में उन्होंने नायक के साथ प्रमुख भूमिका अदा की और दर्शकों को अपनी अभिनय क्षमता से मंत्रमुग्ध किया।

नलिनी जयवंत को 1950 के दशक में फिल्मफेयर द्वारा फिल्मों की सबसे खूबसूरत महिला करार दिया गया था, जबकि अभिनेता दिलीप कुमार ने उन्हें "अब तक की सबसे महान अभिनेत्री" कहा। उन्होंने अपने करियर में "काला पानी" (1958), "मुनीमजी" (1955), "रेलवे प्लेटफार्म" (1955) जैसी प्रमुख फिल्मों में काम किया।

नलिनी के साथ अभिनय करने वाले प्रमुख अभिनेता थे अशोक कुमार, त्रिलोक कपूर और बलराज साहनी, जिनके साथ उन्होंने कई हिट फिल्मों में अभिनय किया। उनके अभिनय में सहजता और गहराई थी, जो उन्हें अन्य अभिनेत्रियों से अलग करती थी। 1958 की फिल्म "काला पानी" में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला।

व्यक्तिगत जीवन और विवाह

नलिनी जयवंत की शादी 1940 के दशक में निर्देशक वीरेंद्र देसाई से हुई थी। बाद में उन्होंने अभिनेता प्रभु दयाल से शादी की, जिनके साथ उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया। हालांकि, उनके निजी जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, और बाद में उन्होंने खुद को समाज से थोड़ा दूर कर लिया।

मृत्यु और विरासत

22 दिसंबर 2010 को नलिनी जयवंत का निधन हुआ। उनका निधन मुंबई के चेंबूर स्थित उनके बंगले पर हुआ। उनके निधन के बाद, उनके पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से एकांत जीवन जी रही थीं और उनके संपर्क में कोई नहीं था। उनके निधन के तीन दिन बाद उनका शव एम्बुलेंस द्वारा ले जाया गया, जिससे उनकी मृत्यु के बारे में लोगों को पता चला।

नलिनी जयवंत की फिल्मोग्राफी

नलिनी जयवंत की फिल्मों में उनका अभिनय विशेष रूप से सराहा गया। उनकी कुछ प्रमुख फिल्में हैं।

"नास्तिक" (1983)

"बंदिश" (1980)

"काला पानी" (1958)

"मुक्ति" (1960)

"आवाज़" (1956)

"मुनीमजी" (1955)

"सलोनी" (1952)

उनकी फिल्मों का समृद्ध योगदान भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमिट रहेगा।

पुरस्कार और सम्मान

नलिनी जयवंत को उनके उत्कृष्ट अभिनय के लिए कई पुरस्कार मिले। 1959 में उन्हें फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार "काला पानी" के लिए मिला। इसके अलावा, 2005 में उन्हें दादा साहब फाल्के अकादमी लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी मिला, जो उनके फिल्मी करियर की महत्वपूर्ण उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करता हैं।

नलिनी जयवंत भारतीय सिनेमा की एक प्रमुख अभिनेत्री थीं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और अद्वितीय अभिनय से फिल्म इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया। उनका योगदान केवल हिंदी सिनेमा में बल्कि भारतीय कला और संस्कृति में भी अनमोल रहेगा। उनकी फिल्मों ने ना केवल उनके समय के दर्शकों को आकर्षित किया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित किया। उनका जीवन और करियर आज भी सिनेप्रेमियों के दिलों में जीवित रहेगा।

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