फरहान अख्तर के निर्माण में बनी फिल्म अग्नि (Agni), ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है। अगर आप भी इस एक्शन थ्रिलर का आनंद लेने की सोच रहे हैं, तो फिल्म देखने से पहले इसका रिव्यू जान लेना अच्छा रहेगा। राहुल ढोलकिया ने सात साल बाद इस फिल्म से बतौर निर्देशक कमबैक किया है। फिल्म की कहानी एक फायरमैन की है, जो न सिर्फ आग बुझाने में, बल्कि समाज में अपनी जगह बनाने के संघर्ष से भी जूझ रहा हैं।
कहानी और निर्देशक की दृष्टि
फिल्म की कहानी मुंबई के लोअर परेल क्षेत्र की है, जहां एक फायरब्रिगेड की टीम शहर के विभिन्न हिस्सों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए अपनी जान को खतरे में डालकर काम करती है। फिल्म में प्रतीक गांधी ने विट्ठल राव, एक फायरमैन के भूमिका में दम दिखाया है, जो अपने पेशेवर जीवन में आने वाली कठिनाइयों से जूझते हुए अपने परिवार और समाज में सम्मान पाने की कोशिश करता है। फिल्म का मुख्य संदेश इस पेशे के लोगों के संघर्ष को उजागर करना है, जिन्हें आमतौर पर वह सम्मान और स्वीकृति नहीं मिलती, जिसके वे हकदार होते हैं।
राहुल ढोलकिया, जो पहले रईस जैसी फिल्म का निर्देशन कर चुके हैं, ने इस फिल्म में भी दमकलकर्मियों के कर्तव्य और उनके जज्बे को दर्शाने की कोशिश की है। फिल्म में विट्ठल राव की भूमिका में प्रतीक गांधी ने जोरदार अभिनय किया है, जिसमें उनका संघर्ष और कर्तव्य निभाने का जुनून साफ नजर आता हैं।
स्टार कास्ट और अभिनय
फिल्म में दिव्येंदु शर्मा, सैयामी खेर, सई ताम्हणकर और जितेंद्र जोशी जैसे कलाकारों ने भी बेहतरीन अभिनय किया है। दिव्येंदु शर्मा ने पुलिसवाले समित की भूमिका को बखूबी निभाया है, जो पूरी फिल्म में अपने स्वार्थ और पुलिस प्रशासन के पक्ष से खुद को दर्शाता है। सैयामी खेर ने अवनि, महिला फायरमैन के किरदार में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है, और सई ताम्हणकर ने विट्ठल की पत्नी का रोल किया है, जो अपने पति के पेशे से परेशान रहती है। इन सभी कलाकारों का अभिनय फिल्म को अलग लेवल तक ले जाता हैं।
सिनेमेटोग्राफी और निर्देशन
फिल्म की सिनेमेटोग्राफी को के.यू. मोहनन ने शानदार तरीके से पर्दे पर उतारा है। मुंबई की गलियों और फायर स्टेशन के वातावरण को पूरी तरह से सजीव किया गया है। रचना मंडल और बिधान गुहा ने भी फिल्म के सेट डिज़ाइन में अपनी मेहनत दिखाई है, जिससे फिल्म में प्रामाणिकता का अहसास होता हैं।
कहानी में थोड़ी कमी
हालांकि फिल्म की शुरुआत काफी दमदार होती है और कुछ जगहों पर कहानी में रोमांच और इंटेन्सिटी का अहसास होता है, लेकिन कुछ जगहों पर कहानी थोड़ी भटक जाती है। विशेष रूप से, जब फिल्म एक्शन से ज्यादा थ्रिलर और रहस्य की ओर बढ़ती है, तो कहानी थोड़ी कमजोर हो जाती है। ढोलकिया और सह-लेखक विजय मौर्य की पटकथा थोड़ी सी कन्फ्यूजिंग हो सकती है, और यह फिल्म को एक सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद नहीं करती।
फिल्म का संदेश
फिल्म अग्नि अपने संदेश के साथ सफल रहती है। यह दर्शाती है कि फायरमैन सिर्फ आग बुझाने वाले नहीं होते, बल्कि वे समाज के वास्तविक नायक होते हैं, जो अपनी जान को जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाते हैं। फिल्म हमें यह भी समझाती है कि हर पेशे का अपना महत्व और सम्मान होना चाहिए, चाहे वह फायरमैन हो, पुलिसवाला हो या कोई अन्य सुरक्षा कर्मी।
अगर आप एक्शन थ्रिलर और समाजिक संदेश की फिल्में पसंद करते हैं, तो अग्नि जरूर देखें। फिल्म में कुछ कमियां हो सकती हैं, लेकिन इसके बावजूद यह हमें अपनी सुरक्षा बलों की महत्ता और उनके संघर्ष को समझाती हैं।