विश्व सिलंबम दिवस, जिसे हर साल 22 नवम्बर को मनाया जाता है, एक ऐसा दिन है जो सिलंबम, एक प्राचीन भारतीय मार्शल आर्ट, को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने और इसे बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है। सिलंबम, जो मुख्य रूप से दक्षिण भारत के तमिलनाडु क्षेत्र में उत्पन्न हुआ, अब पूरी दुनिया में प्रचलित है और इसे मार्शल आर्ट्स के शौकिनों के बीच एक सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। यह दिन इस पारंपरिक कला को न केवल संरक्षित करने का अवसर है, बल्कि इसे एक आधिकारिक ओलंपिक खेल बनाने के उद्देश्य से भी मनाया जाता है।
सिलंबम का इतिहास
सिलंबम का इतिहास दो हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। यह मार्शल आर्ट चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से शुरू हुआ था और इसका नाम तमिल शब्द 'सिलम' से लिया गया है, जिसका अर्थ 'पहाड़ी' होता है, और 'बामू' जो बांस से बने हथियार का संकेत देता है। सिलंबम में मुख्य रूप से बांस की छड़ी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे पानी में डुबोकर और पीटकर मजबूत किया जाता है। यह कला शरीर के प्रत्येक हिस्से के विकास पर ध्यान केंद्रित करती है और आत्मरक्षा के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक संतुलन पर जोर देती है।
विश्व सिलंबम एसोसिएशन और उसका योगदान
विश्व सिलंबम एसोसिएशन (WSA) 1999 में स्थापित हुआ था और इसका उद्देश्य सिलंबम के प्राचीन कलाओं को संरक्षित करना और इसे दुनिया भर में प्रचारित करना था। इस एसोसिएशन ने सिलंबम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाने के लिए कई कदम उठाए, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन और विभिन्न देशों में इसे एक औपचारिक खेल के रूप में मान्यता दिलवाना। वर्तमान में, सिलंबम के अभ्यासकर्ता पांच महाद्वीपों में फैले हुए हैं और यह खेल अब 25 से अधिक देशों में प्रचलित हो चुका है।
विश्व सिलंबम दिवस का उद्देश्य
विश्व सिलंबम दिवस का मुख्य उद्देश्य इस प्राचीन कला के प्रति जागरूकता फैलाना और इसे वैश्विक मंच पर स्थापित करना है। यह दिन सिलंबम की महत्ता, इसके शारीरिक और मानसिक लाभ, और इसके प्रति सम्मान को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। इसके साथ ही, यह दिन सिलंबम को ओलंपिक खेलों में शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिन खेल के प्रति उत्साही लोगों को एकजुट करता है और उन्हें इस मार्शल आर्ट को जानने और समझने का एक मौका देता है।
कैसे मनाएं विश्व सिलंबम दिवस
इस दिन को मनाने के लिए, आप सिलंबम के बारे में अधिक जान सकते हैं, इसे लाइव देख सकते हैं या इसके बारे में ऑनलाइन सामग्री का अध्ययन कर सकते हैं। सिलंबम के प्रदर्शन और प्रतियोगिताओं का आयोजन विभिन्न स्थानों पर किया जाता है, जहां लोग इस खेल को देख सकते हैं और इसमें भाग भी ले सकते हैं। अगर आप किसी प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकते तो आप इंटरनेट पर सिलंबम से संबंधित वीडियो और प्रशिक्षण सामग्री देख सकते हैं।
सिलंबम के बारे में कुछ रोचक तथ्य
सिलंबम का प्रशिक्षण फुटवर्क से शुरू होकर विभिन्न हथियारों की तकनीकों तक जाता है।
सिलंबम में बांस की छड़ियों का इस्तेमाल होता है, जिन्हें विशेष तरीके से तैयार किया जाता है।
1950 और 1960 के दशक में अभिनेता एमजी रामचंद्रन की फिल्मों में सिलंबम के दृश्य दर्शाए गए थे, जिसने इसे आधुनिक लोकप्रियता दिलाई।
सिलंबम में तकनीक
सिलंबम में अपने विरोधियों को गिराने के लिए कई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें 'लॉक्स' या 'पूट्टू' कहा जाता है।
विश्व सिलंबम दिवस न केवल इस प्राचीन मार्शल आर्ट के महत्व को मान्यता देता है, बल्कि यह हमारे पारंपरिक खेलों की समृद्धि और उनकी वैश्विक पहचान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह हमें न केवल भारतीय सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ता है, बल्कि इसे आधुनिक खेलों के रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।