साइंटिस्ट पीटर हिग्स का 94 वर्ष की उम्र में निधन, नोबेल विनर हिग्स 'गॉड पार्टिकल' के खोजकर्त्ता रहे

साइंटिस्ट पीटर हिग्स का 94 वर्ष की उम्र में निधन, नोबेल विनर हिग्स  'गॉड पार्टिकल' के खोजकर्त्ता रहे
Last Updated: 11 अप्रैल 2024

ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी (फिजिसिस्ट) पीटर हिग्स का 94 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने हिग्स-बोसोन पार्टिकल यानी 'गॉड पार्टिकल' की खोज की थी।

Peter Higgs : नोबेल पुरस्कार से सम्मानित 94 वर्ष के वैज्ञानिक पीटर हिग्स का सोमवार (8 अप्रैल) को निधन हो गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग ने उनकी निधन की जानकारी दी। कई सालो से इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। उन्होंने फिजिक्स के माध्यम से यह समझाया कि ब्रह्मांड में द्रव्यमान कैसे है। इसके लिए 2013 में उन्हें फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

हिग्स ने 'गॉड पार्टिकल' के लिए बताया

subkuz.com को मिली जानकारी के अनुसार, पीटर हिग्स ने 1960 के दशक में हिग्स बोसॉन 'गॉड पार्टिकल' के होने की भविष्यवाणी की थी। बताया जा रहा है कि लगभग 50 साल चली वैज्ञानिकों की रिसर्च ने 2012 में इस पर जानकारी हासिल की थी। यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (CERN) के लॉर्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) में चले प्रयोगों ने 2012 में हिग्स को सही साबित किया। 2012 के पहले तक हिग्स बॉसन या गॉड पार्टिकल विज्ञान की एक अवधारणा ही थी। उसके बाद 2013 में उन्हें फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। जानकारी के मुताबिक, इस उपलब्धि के बाद हिग्स बोसॉन या 'गॉड पार्टिकल' की खोज ने पीटर हिग्स को मैक्स प्लांक और अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिकों की टक्कर में ला दिया था।

साइंटिस्ट पीटर हिग्स का जन्म

पीटर हिग्स का जन्म 29 मई, 1929 को इंग्लैंड के न्यूकैसल में हुआ था। बताया जा रहा है कि उनके पिता BBC में साउंड इंजीनियर की पोस्ट पर थे। जब हिग्स का पूरा परिवार ब्रिस्टल में रहने लगा तो उसने कोटहेम ग्रामर स्कूल में खुद को बेहद प्रतिभाशाली छात्र के रुप में सिद्ध किया। स्कूली शिक्षा पूर्ण होने के बाद हिग्स ने इंग्लैंड के किंग्स कालेज में फिजिक्स विज्ञान की पढ़ाई की। उस समय भौतिकी विषय में उनकी रूचि बढ़ने लगी और नए विकल्प सैद्धांतिक भौतिकी को चुना।

कई पुरस्कारों से नवाजा गया

subkuz.com को मिली रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीटर हिग्स को 1997 में सैद्धांतिक भौतिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए डिरेक मेडल दिया गया। इसी साल उनको यूरोपीय भौतिकी समिति ने उच्च और कणीय ऊर्जा के लिए सम्मानित किया। इनके अलावा 2004 में वोल्फ फाउंडेशन ने हिग्स को भौतिक शास्त्र के वोल्फ पुरस्कार से भी सम्मानित किया।

हिग्स बोसॉन या गॉड पार्टिकल क्या है?

बता दें कि 'गॉड पार्टिकल' की खोज में भारत का भी खास योगदान रहा। 'हिग्स बोसोन' का 'हिग्स' ब्रिटिश फिजिक्स वैज्ञानिक पीटर हिग्स के नाम पर है। वहीं, 'बोसोन' भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस के नाम पर है। बताया गया कि जुलाई 2012 के न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में बोस को 'फादर ऑफ गॉड पार्टिकल' बताया गया था।

हिग्स बोसॉन सिद्धांत 1964 में अस्तिव में आया। इस सिद्धांत के आधार पर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक फील्ड बनी हुई है जिसे हिग्स फील्ड के नाम से जाना जाता है। इस फील्ड में कण एक-दूसरे के इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं जब इन कणों में द्रव्यमान होता है तो ये आपस में एकत्रित हो जाते हैं। सिद्धांन्त के अनुसार, ये द्रव्यमान हिग्स बोसॉन कणों की वजह से आता है। अगर किसी कण में द्रव्यमान नहीं होगा तो वो अकेले घूमता रहेगा। इस दौरान बताया कि बिना द्रव्यमान के हमारा कोई अस्तित्व नहीं रह जाएगा। जो कुछ भी ब्रह्माण्ड में एक्जिस्ट करता है सबमें द्रव्यमान जरूर होता है और इसके होने का कारण गॉड पार्टिकल ही है।

हिग्स बोसॉन के बिग बैंग

हिग्स बोसॉन के सिद्धांत ने बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड कैसे बना, इस संबंध में बताया कि इस सिद्धांत के अस्तित्व में आने के बाद से ब्रह्मांड को जानने समझने के लिए एक नयी दिशा मिल गई। इन कानों को पहले-पहल हिग्स कण के नाम से भी जाना जाता था लेकिन लियोन लेडरमैन ने एक किताब लिखी जिसके बाद से इस कण को 'गॉड पार्टिकल' के नाम से जाना जाने लगा।

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