बस्ती जनपद में राजनीति की शुरुआत राम चरित्र पांडेय और देशराज कुमार नारंग से होती है। रामचरित्र पांडेय कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता थे वहीं देशराज नारंग औद्योगिक घराने से तालुकात रखते थे।
बस्ती: उत्तर प्रदेश की बस्ती संसदीय सीट पर सभी राजनीतिक दल जीत दर्ज करने के लिए चौधरी मतों को साधने में लगे हुए है। भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी तीनों दल इस सीट पर अपना-अपना दावा कर रहे हैं। सपा और बसपा ने जहां इसी चौधरी जाति से प्रत्याशी उतारा है तो वहीं भाजपा बिरादरी के नेताओं के जरिया बनाकर इस वर्ग को साधने में जुटी हुई है। इस क्षेत्र के कई राजनीतिक दिग्गजों ने अपना खेमा बदला हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि बस्ती सीट पर किसकी चौधराहट कायम होगी, चौधरी किसके पक्ष में मतदान करेंगे? बस्ती लोकसभा सीट पर सपा ने पूर्व मंत्री रामप्रसाद चौधरी को और बसपा ने लवकुश कुमार पटेल को चुनावी मैदान में उतारा हैं।
सूत्रों ने Subkuz.com को बताया कि भारतीय जनता पार्टी ने जिला पंचायत अध्यक्ष संजय कुमार चौधरी, बस्ती सदर के पूर्व विधायक दयाराम कुमार चौधरी सहित अन्य नेताओं के बलबूते पर चौधरी मतों को साधने के जुगाड़ में जुटी हुई है। बसपा प्रत्याशी युवा है इसलिए पार्टी इस जाति के युवाओं में अपनी मजबूत पकड़ मानती हैं। रामप्रसाद चौधरी पिछली बार विधानसभा 2022 के चुनाव में अपने पुत्र कविंद्र कुमार चौधरी को कप्तानगंज से जीताने में सफलता प्राप्त की थी।
बस्ती सीट पर धुरंधरों की प्रतिष्ठा दांव पर
अधिकारी ने बताया कि बस्ती सीट पर स्थानीय नेताओं के बीच खूब उठापटक देखने को मिली है। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष दयाशंकर कुमार मिश्र भाजपा से नाराजगी जताते हुए पहले ही बसपा में गए। उन्हें बसपा से टिकट भी मिला था, लेकिन पर्चा दाखिल करने के बाद उनका टिकट कट गया था। भाजपा प्रत्याशी की राह रोकने के लिए अब उन्होंने सपा की साइकिल की सवारी कर ली हैं।
बताया कि पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह और उनके छोटे भाई बृजकिशोर सिंह ने भाजपा जॉइन कर ली है। दल बदलने के बाद इस दिग्गज नेता की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। इसके साथ ही हरैया के विधायक अजय कुमार सिंह और रुधौली के पूर्व विधायक संजय कुमार जायसवाल के लिए अपनी सियासी रसूख साबित करने की बहुत बड़ी चुनौती हैं।
जानें बस्ती सीट का इतिहास
जानकारी के मुताबिक बस्ती में राजनीति की शुरुआत स्वतंत्रता के बाद राम चरित्र पांडेय और देशराज कुमार नारंग के समर्थन में हुई थी। दोनों नेता बड़ी हस्तियों के रूप में जाने जाते थीं। रामचरित्र पांडेय कांग्रेस के नेता थे. वहीं देशराज नारंग औद्योगिक घराने से तालुकात रखते थे। हरैया तहसील में सुरेंद्र कुमार प्रताप, नारायण पांडेय और सुखपाल सिंह पांडेय का दबदबा था। 90 के दशक से रामप्रसाद चौधरी और राज किशोर सिंह ने अपनी चमक बिखरी थी।
बताया कि साल 2014 के चुनाव में बस्ती से पूर्व डीआइजी श्यामलाल कमल चुनाव जीत कर सांसद चुने गए थे। भाजपा के झंडे तले श्रीराम चौहान ने यहां से तीन बार सांसद रह चुके है। बसपा के लालमणि प्रसाद भी यहां से सांसद बने। 2009 में लोकसभा सीट के सामान्य होने के बाद राम प्रसाद चौधरी ने भतीजे अरविंद कुमार चौधरी को सांसद बनाया गया। उसके बाद हरीश कुमार द्विवेदी लगातार दो बार इस सीट से सांसद चुने गए।