प्रतिभा पाटिल का जन्मदिन 19 दिसंबर को मनाया जाता है। वे 19 दिसंबर 1934 को महाराष्ट्र के जलगांव जिले में जन्मी थीं। भारत के 60 वर्षों के इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त करने वाली प्रतिभा देवीसिंह पाटिल न केवल भारतीय राजनीति की एक अहम हस्ती रही हैं, बल्कि उन्होंने सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी अपनी छाप छोड़ी है। उनके जीवन का हर पहलू संघर्ष, सफलता और समाज सेवा से भरा हुआ हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
महाराष्ट्र के जलगांव जिले में 19 दिसंबर 1934 को जन्मीं प्रतिभा पाटिल का प्रारंभिक जीवन साधारण और सादगी से भरा था। उनके पिता नारायणराव पाटिल ने उनकी शिक्षा को प्राथमिकता दी। प्रतिभा ने जलगांव के मूलजी जेठा कॉलेज से स्नातकोत्तर (एमए) की डिग्री प्राप्त की और मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की।
शैक्षिक उपलब्धियों के साथ ही वह खेलों में भी आगे रहीं। टेबल टेनिस में उन्होंने कई विश्वविद्यालय स्तर की प्रतियोगिताएं जीतीं। उनकी बहुमुखी प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें कॉलेज क्वीन का खिताब भी दिलाया।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
27 वर्ष की उम्र में 1962 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर एदलाबाद निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीता। महाराष्ट्र की राजनीति में प्रतिभा पाटिल ने एक मजबूत नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई।
1967 से 1972 के बीच महाराष्ट्र सरकार में उपमंत्री रहते हुए उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यटन, और आवास विभाग संभाला। इसके बाद उन्होंने 1972 से 1978 तक कैबिनेट मंत्री के रूप में समाज कल्याण, स्वास्थ्य, और शिक्षा जैसे मंत्रालयों का कार्यभार संभाला।
1985 में वे राज्यसभा की उपसभापति बनीं और संसद में कई अहम मुद्दों पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की।
भारत की पहली महिला राष्ट्रपति
2007 में प्रतिभा पाटिल ने भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी भैरोंसिंह शेखावत को तीन लाख से अधिक मतों से हराकर यह ऐतिहासिक जीत हासिल की।
राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल (2007-2012) अनेक उपलब्धियों से भरा रहा। उन्होंने अपने नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण और सामाजिक विकास को प्राथमिकता दी।
ऑर्डर ऑफ एज्टेक ईगल सम्मान
2019 में, प्रतिभा पाटिल को मेक्सिको सरकार के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'ऑर्डेन मेक्सिकाना डेल एग्वेला एज्टेका' से नवाजा गया। यह सम्मान पाने वाली वह भारत की दूसरी राष्ट्रपति बनीं। इससे पहले यह सम्मान राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन को दिया गया था।
यह पुरस्कार मेक्सिको के राजदूत मेल्बा प्रिआ ने पुणे में आयोजित एक विशेष समारोह में उन्हें प्रदान किया। यह सम्मान उनके अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने और भारत-मेक्सिको के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए दिया गया।
सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान
प्रतिभा पाटिल ने महिला कल्याण और शिक्षा के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य किए। उन्होंने जलगांव में महिला विकास महामंडल, कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास, और दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण विद्यालय की स्थापना की।
इसके साथ ही, उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान और कृषि के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए किसान विज्ञान केंद्र की स्थापना की।
महत्वपूर्ण विवाद
उनके कार्यकाल के दौरान कुछ विवाद भी हुए। एक बार उन्होंने राजस्थान में परदा प्रथा के ऐतिहासिक कारणों को लेकर बयान दिया, जिसे इतिहासकारों और राजनीतिक दलों ने आलोचना का केंद्र बनाया। इसके अलावा उनके पति पर भी कुछ आरोप लगे, जिनमें स्कूल प्रबंधन और अन्य मामलों में गड़बड़ी शामिल थी।
प्रेरणा का स्रोत
प्रतिभा पाटिल का जीवन न केवल भारतीय महिलाओं के लिए बल्कि सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका संघर्ष, समर्पण, और नेतृत्व हमें दिखाता है कि साधारण पृष्ठभूमि से आकर भी असाधारण उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं।