Bihar Bhumi Survey 2024: बिहार में भूमि सर्वे के खिलाफ बढ़ा विरोध, नितीश सरकार को मिली चेतावनी

Bihar Bhumi Survey 2024: बिहार में भूमि सर्वे के खिलाफ बढ़ा विरोध, नितीश सरकार को मिली चेतावनी
Last Updated: 11 घंटा पहले

बिहार में भूमि सर्वेक्षण का कार्य तेजी से जारी है। इस दौरान कुछ क्षेत्रों में सर्वे के खिलाफ विरोध जताने की आवाज उठने लगी है। यहां तक कि किसान नेताओं ने भूमि सर्वे के संबंध में नीतीश सरकार को चेतावनी तक दे दी है। उन्होंने कहा है कि यदि भूमि सर्वे को नहीं रोका गया, तो पूरे राज्य में आंदोलन शुरू हो सकता है।

Bihar Bhumi Survey: संयुक्त किसान जन अभियान समिति के बैनर तले किसानों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें किसानों ने सरकार द्वारा किए जा रहे भूमि सर्वेक्षण को रोकने के लिए एक आवेदन पत्र प्रस्तुत किया। इस आवेदन को किसान नेता डॉ. श्यामनंदन शर्मा सहित कई किसानों ने मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री, प्रमंडलीय आयुक्त, डीसीएलआर और सीओ को सौंपा।

किसान नेता डॉ.श्यामनंदन शर्मा ने बताया कि वर्तमान में चल रहा विशेष भूमि सर्वेक्षण तब तक जारी नहीं रहना चाहिए जब तक कि राजस्व विभाग किसानों को उनकी जमीन से संबंधित सभी कागजात का अद्यतन नहीं कर देता। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि भूमि सर्वेक्षण का कार्य नहीं रोका गया, तो किसान चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

नेता ने सरकार से की मांग

मिली जानकारी के अनुसार, नेता ने सरकार से मांग की है कि राजस्व विभाग को चाहिए कि वह गांव में कैंप लगाकर भूमि से संबंधित अद्यतन अभिलेख उपलब्ध कराए। उन्होंने कहा कि इसके बिना किसानों का सर्वे कार्य बाधित हो रहा है। जमीनदारों द्वारा सरकार को दिया गया जमीनदारी रिटर्न का दस्तावेज, जमाबंदी और रजिस्टर-2 जो जीर्ण-शीर्ण होकर फट चुका है और ऋुटिपूर्ण है, उसे सुधारने की आवश्यकता है। इसके लिए हर पंचायत में राजस्व कर्मचारियों को कैंप लगाना चाहिए ताकि खतिहान को लेकर उचित जानकारी उपलब्ध कराई जा सके।

साथ ही, सरकारी पंचायत में नियुक्त अमीन भी किसानों के सवालों का सही उत्तर नहीं दे पा रहे हैं। इस अवसर पर किसान नेता डॉ. श्यामनंदन शर्मा, अशोक सिंह, सुरेश सिंह, चंद्रमोहन सिंह और अन्य किसानों ने भाग लिया।

सर्वे के दौरान दस्तावेज बनी चुनौती

फुलवारीशरीफ अंचल कार्यालय में लगभग दो हजार जमाबंदी पिछले छह वर्षों से लॉक पड़ी हैं। लोग अपनी जमीन की दाखिल-खारिज कराने के लिए अंचल से लेकर डीसीएलआर कार्यालय तक दौड़ लगा रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। परिमार्जन से जुड़ी दिक्कतें भी सामने रही हैं। सर्वे के दौरान सबसे बड़ी चुनौती दस्तावेजों की है।

कुछ लोगों के कागजात उर्दू में हैं, जबकि दूसरों के कागजात कैथी लिपि में हैं, जिससे उन्हें समझ पाना आम लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है। इस कारण दस्तावेज पढ़वाने के लिए भीड़ लगी हुई है, लेकिन पढ़ाई में मदद करने वाले नहीं मिल रहे हैं। जो मिलते हैं, वे इतनी रकम मांगते हैं कि रैयतों को सोचने पर मजबूर होना पड़ता है।

अशरफ कमाल खां की जमीन की जमाबंदी भी लॉक है। उनकी एक जमीन का परिमार्जन भी रुका हुआ है। आवेदन देने के बाद, डीसीएलआर कार्यालय की दौड़ आम आदमी के लिए एक कठिनाई बन गई है। उन्हें अपनी जमीन का सर्वे कराना है, और इस वजह से वे परेशान हैं।

डीसीएलआर कर सकता हैं जमाबंदी को अनलॉक

मीठापुर के नागेंद्र कुमार जमाबंदी की स्थिति के कारण दाखिल-खारिज नहीं करवा पा रहे हैं। वे बताते हैं कि डीसीएलआर के यहां आवेदन करने के लिए वकील पांच हजार रुपये की फीस मांग रहे हैं। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया में छह महीने का समय लगेगा। इतनी बड़ी राशि वे कहां से लाएं? उनके भाई पहले ही दाखिल-खारिज करवा चुके हैं, जबकि दोनों का प्लैट एक ही है।

जब नागेंद्र ने दाखिल-खारिज के लिए आवेदन देने की कोशिश की, तो उन्हें पता चला कि जमाबंदी लॉक है। अंचलाधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि वर्ष 2017 में बिहार के कुछ क्षेत्रों में जमाबंदी पर रोक लगाई गई थी। इसे अनलॉक करने का अधिकार डीसीएलआर के पास है।

 

 

 

 

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