Bombe: बलात्कार मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट का अहम फैसला, 'महिला का होटल में जाना शारीरिक संबंध की सहमति नहीं माना जा सकता'

Bombe: बलात्कार मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट का अहम फैसला, 'महिला का होटल में जाना शारीरिक संबंध की सहमति नहीं माना जा सकता'
Last Updated: 11 नवंबर 2024

बॉम्बे हाई कोर्ट की गोवा पीठ ने अहम निर्णय में कहा कि एक महिला का पुरुष के साथ होटल का कमरा बुक करना और वहां जाना, इसका मतलब नहीं कि उसने शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति दी है, यह फैसला जज भारत पी देशपांडे ने सुनाया।

High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट की गोवा पीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि एक महिला का पुरुष के साथ होटल में कमरा बुक करना और वहां जाना, इसका मतलब नहीं कि उसने शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति दी है। यह फैसला जज भारत पी देशपांडे ने सुनाया और मार्च 2021 में हुए एक बलात्कार मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को कैंसिल किया, जिसमें आरोपी के खिलाफ मामला रोक दिया गया था।

बॉम्बे हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

बॉम्बे हाई कोर्ट की गोवा पीठ ने एक अहम फैसले में कहा है कि यदि कोई महिला एक पुरुष के साथ होटल के कमरे में जाती है, तो इसका यह मतलब नहीं है कि उसने शारीरिक संबंध बनाने के लिए अपनी सहमति दी है। यह फैसला जज भारत पी देशपांडे ने सुनाया और इससे जुड़े मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोपी के खिलाफ चलाए गए मामले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ बलात्कार का मामला फिर से खोलने का आदेश दिया।

महिला की सहमति पर बड़ा रुख

कोर्ट ने कहा कि भले ही महिला पुरुष के साथ होटल के कमरे में गई थी, इसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कमरे में जाना और साथ रहने का मतलब यह नहीं होता कि महिला ने शारीरिक संबंध बनाने की स्वीकृति दी है। ट्रायल कोर्ट ने इस बात को आधार मानते हुए आरोपी को राहत दी थी, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस फैसले को गलत ठहराया।

ट्रायल कोर्ट का आदेश

ट्रायल कोर्ट ने माना था कि महिला और आरोपी दोनों ने होटल का कमरा बुक किया था और महिला उसी कमरे में गई थी, इसलिए यह मान लिया गया कि महिला ने शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति दे दी थी। इस आधार पर ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को डिस्चार्ज कर दिया और मामला बंद कर दिया था। हालांकि, हाई कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए फैसले को रद्द कर दिया।

मामला क्या था?

यह मामला मार्च 2020 का है, जब महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी गुलशेर अहमद ने उसे विदेश में नौकरी दिलवाने का झांसा देकर होटल के कमरे में बुलाया। महिला का कहना था कि आरोपी ने कमरे में जाने के बाद उसे धमकाकर बलात्कार किया। जब आरोपी बाथरूम गया, तब महिला कमरे और होटल से भाग गई और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी ने धोखे से उसे कमरे में बुलाया और शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डाला।

महिला का बयान और पुलिस कार्रवाई

महिला ने पुलिस को बताया कि आरोपी ने जान से मारने की धमकी दी और उसके बाद बलात्कार किया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और आरोपी के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया।

कोर्ट का महत्वपूर्ण कदम

इस फैसले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि महिला का होटल में जाना, सिर्फ यह संकेत नहीं देता कि उसने शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति दी है। कोर्ट का यह कदम बलात्कार के मामलों में महिलाओं की सहमति की सही परिभाषा देने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यह फैसला इस बात को उजागर करता है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में सहमति और अधिकारों का सम्मान जरूरी है।

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