जे. जयललिता की पुण्यतिथि 5 दिसंबर को मनाई जाती है। यह दिन उनके निधन की सालगिरह के रूप में याद किया जाता है, जो 5 दिसंबर 2016 को हुआ था। जयललिता, जो तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और प्रसिद्ध राजनेता थीं, की पुण्यतिथि पर उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस दिन तमिलनाडु और देशभर में उनके योगदान को याद किया जाता है, और उन्हें ‘अम्मा’ के रूप में सम्मानित किया जाता है, जो उनके समर्थकों के बीच एक प्यार भरा संबोधन था।
जया की यात्रा जयललिता की जीवनगाथा
जयललिता जयराम, भारतीय राजनीति की एक महान हस्ती, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं और उनके संघर्षमय जीवन को इतिहास में याद रखा जाएगा। उनका जन्म 24 फरवरी 1948 को मैसूर राज्य (अब कर्नाटक) के पांडवपुरा में हुआ था। वह एक ब्राह्मण परिवार से थीं, और उनके पिता जयराम का निधन होने के बाद उनकी मां संध्या ने तमिल सिनेमा में अभिनय करने का निर्णय लिया।
प्रारंभिक जीवन और फिल्मी करियर
जयललिता की शिक्षा बंगलौर और चेन्नई में हुई, जहां उन्होंने स्टेला मारिस कॉलेज में पढ़ाई की। लेकिन उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और मात्र 15 वर्ष की आयु में कन्नड़ फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई। इसके बाद उन्होंने तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में अभिनय किया। 1965 से 1972 तक उन्होंने लगभग 300 फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें उनकी सबसे प्रसिद्ध जोड़ी एम.जी. रामचंद्रन (MGR) के साथ थी। उनके अभिनय के कई पुरस्कार भी मिले, जिनमें तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवार्ड फॉर बेस्ट एक्ट्रेस, फिल्मफेयर अवार्ड और रशियन फिल्म फेस्टिवल अवार्ड शामिल थे।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
1982 में जयललिता ने ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) से राजनीति में कदम रखा और एम.जी. रामचंद्रन के साथ काम करना शुरू किया। 1984 में उन्होंने राज्यसभा में प्रवेश किया, और जल्द ही उन्होंने पार्टी में प्रमुख स्थान प्राप्त किया। 1987 में रामचंद्रन के निधन के बाद, जयललिता ने खुद को उनकी राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी घोषित किया और अन्नाद्रमुक की अगुवाई की।
मुख्यमंत्री बनने का सफर
1991 में, जयललिता ने तमिलनाडु की पहली निर्वाचित महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनकी सरकार ने महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू कीं, जैसे 'क्रैडल बेबी स्कीम' और महिला पुलिस थानों की स्थापना। हालांकि उनके राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप भी शामिल थे, लेकिन वह फिर भी जनता के दिलों में अम्मा के रूप में स्थापित हो गईं।
आखिरी समय और निधन
5 दिसंबर 2016 को, जयललिता का निधन चेन्नई के अपोलो अस्पताल में हुआ। वह लंबे समय से बीमार थीं, और कार्डियक अरेस्ट के कारण उनका निधन हुआ। उनके निधन से पहले ही उनकी पार्टी एआईएडीएमके ने उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में फिर से स्वीकार किया था। उनके निधन के बाद, तमिलनाडु में उनके समर्थकों ने उन्हें सच्चे नेता के रूप में याद किया, और उनकी विरासत आज भी जिंदा हैं।
जयललिता की राजनीति का सफर न केवल संघर्षों और विवादों से भरा था, बल्कि उन्होंने अपने समर्थकों के बीच ‘अम्मा’ के नाम से एक मजबूत पहचान बनाई। उन्होंने महिलाओं और गरीबों के लिए कई योजनाएं बनाई, और उनकी राजनीति में उनका ध्यान हमेशा समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण पर था। उनके निधन के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को उनकी पार्टी एआईएडीएमके ने सहेजने की कोशिश की, और आज भी तमिलनाडु में उनकी छवि एक महान नेता के रूप में देखी जाती हैं।
जयललिता ने अपने जीवन में जो भी किया, उसमें एक उद्देश्य था—तमिलनाडु के लोगों की भलाई। उनका जीवन एक उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति अपने संघर्षों, आकांक्षाओं और समर्पण से समाज में बदलाव ला सकता है। चाहे वह फिल्मी दुनिया हो या राजनीति, जयललिता ने हमेशा अपने समर्थकों के दिलों में खास स्थान बनाया।