भारत-पाकिस्तान तनाव के चलते पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने की समयसीमा दी गई है। सार्क वीजा की समयसीमा खत्म हो गई, जबकि मेडिकल वीजा की समयसीमा आज समाप्त हो रही है।
Chandigarh: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण, पाकिस्तानी नागरिकों को भारत से बाहर जाने के लिए एक निर्धारित समयसीमा दी गई थी। इस समयसीमा का आज, 27 अप्रैल को समापन हो रहा है। पाकिस्तान से आने वाले अधिकांश नागरिक अब अपनी वतन वापसी के लिए अटारी बॉर्डर पर कतार में खड़े हैं। सार्क वीजा पर आए पाकिस्तानी नागरिकों को 26 अप्रैल तक भारत छोड़ने का समय दिया गया था, जबकि मेडिकल वीजा पर आए लोगों के लिए यह समयसीमा आज समाप्त हो रही है।
अटारी बॉर्डर पर बढ़ती भीड़
अटारी सीमा पर वाहन लंबी कतारों में खड़े हैं। पाकिस्तानी नागरिक अपने वतन वापसी के लिए बेहद उत्सुक हैं, वहीं, भारतीय नागरिक भी अपने रिश्तेदारों को विदा करने के लिए पहुंचे हैं। यह स्थिति काफी भावुक भी है, जैसे कि सरिता नाम की किशोरी ने बताया कि उसकी मां भारतीय नागरिक हैं, लेकिन भारतीय पासपोर्ट धारक होने के कारण उन्हें साथ जाने की अनुमति नहीं दी जा रही। सरिता का परिवार 29 अप्रैल को होने वाली एक रिश्तेदार की शादी में भाग लेने भारत आया था, लेकिन अब उन्हें बिछड़ने का दुःख सहना पड़ रहा है।
वीजा की समाप्ति पर पाकिस्तानी नागरिकों की परेशानी
पाकिस्तानी नागरिकों ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि वे भारत में अपने रिश्तेदारों से मिलने आए थे, लेकिन अब समयसीमा के कारण उन्हें बिना मिलने के ही लौटना पड़ रहा है। जैसलमेर के एक व्यक्ति ने बताया कि उसके मामा-मौसी 36 साल बाद उससे मिलने आए थे, लेकिन अब वे भारत में रिश्तेदारों से मिलने का सपना अधूरा छोड़कर वापस लौट रहे हैं। एक और पाकिस्तानी नागरिक ने कहा कि उनका 45 दिन का वीजा 15 अप्रैल को शुरू हुआ था, और अब उन्हें समयसीमा के खत्म होने के बाद भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
भारतीय सरकार की चेतावनी
भारत सरकार ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जिन पाकिस्तानी नागरिकों ने समयसीमा का उल्लंघन किया, उन्हें नए आव्रजन और विदेशी अधिनियम, 2025 के तहत कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
पाकिस्तानी नागरिकों का दर्द
पेशावर के जनम राज (70) ने अपनी दर्द भरी कहानी सुनाई। वह रिश्तेदारों से मिलने 45 दिन के वीजा पर भारत आए थे, लेकिन अब उन्हें लौटने के लिए मजबूर किया जा रहा है। दिल्ली के मोहम्मद आरिफ ने कहा कि वह अपनी मौसी को अटारी बॉर्डर पर छोड़ने आए थे। उन्होंने आतंकवादियों की कड़ी निंदा की और कहा कि ऐसे लोगों को सार्वजनिक रूप से फांसी दी जानी चाहिए। कराची के मोहम्मद सलीम भी अपने साथियों के साथ पाकिस्तान लौटने के लिए मजबूर हो गए।