एक दंपति गुजारा भत्ता पाने के लिए दर्ज की याचिका, इलाहाबाद हाईकोर्ट मे सुनवाई के दौरान कहा - महसूस होता हैं....

एक दंपति गुजारा भत्ता पाने के लिए दर्ज की याचिका, इलाहाबाद हाईकोर्ट मे सुनवाई के दौरान कहा - महसूस होता हैं....
Last Updated: 4 घंटा पहले

Allhabad: लगता है कि कलयुग का समय गया है, जब 75-80 वर्ष के दंपति एक-दूसरे से गुजारा भत्ता प्राप्त करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। यह दिलचस्प टिप्पणी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भरण-पोषण से संबंधित एक मामले में की। कोर्ट ने पति की याचिका पर पत्नी को नोटिस जारी किया है और साथ ही यह आशा जताई है कि अगली तारीख पर दोनों किसी समझौते के साथ पेश होंगे

Allhabad: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भरण-पोषण से जुड़े एक मामले में टिप्पणी की है। न्यायालय ने कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि कलयुग चुका है, 75 से 80 वर्ष के दंपति एक-दूसरे के खिलाफ गुजारा भत्ता प्राप्त करने के लिए कानूनी संघर्ष कर रहे हैं।"

हालांकि, कोर्ट ने पति की याचिका पर पत्नी को नोटिस जारी किया है। साथ ही, उन्होंने यह उम्मीद जताई है कि अगली सुनवाई पर दोनों पक्ष किसी समझौते पर पहुँचेंगे। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने अलीगढ़ के निवासी मुनेश कुमार गुप्ता की याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

अदालत को उचित धनराशि निर्धारित करने का हैं अधिकार

यह याचिका दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अंतर्गत पारित आदेश की वैधता को चुनौती देने के लिए प्रस्तुत की गई है। इस धारा के तहत अदालत को भरण पोषण के लिए उचित राशि निर्धारित करने का अधिकार प्राप्त है।

फैमिली कोर्ट ने 3 हजार रुपए देने का दिया आदेश

फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया है कि पति को हर महीने पत्नी को 3 हजार रुपए देना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा है कि नोटिस को सामान्य तरीके से भेजने के साथ-साथ हेंड-टू-हेंड सेवा के माध्यम से भी दिया जा सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद हाई कोर्ट में होने की संभावना है। याचिका के अधिवक्ता

सुनील कुमार शुक्ला ने बताया कि दोनों पिछले कुछ समय से अलग रह रहे हैं। याचिका को लगभग 15 हजार रुपए पेंशन मिलती है और कोर्ट ने प्रतिवादी (पत्नी) को प्रति माह 3 हजार रुपए देने का आदेश दिया है। प्रतिवादी अपने छोटे बेटे के साथ उस घर में रह रही है जिसे याचिका ने कभी उसके नाम से बनवाया था, जबकि याचिका बड़े बेटे के साथ किराए के घर में रह रहा है।

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