Farmers Protest: सरकार ने नहीं सुनी तो होगी सख्त कार्रवाई, केंद्र को 2 दिन का अल्टीमेटम, 8 दिसंबर को दिल्ली कूच करेंगे किसान

Farmers Protest: सरकार ने नहीं सुनी तो होगी सख्त कार्रवाई, केंद्र को 2 दिन का अल्टीमेटम, 8 दिसंबर को दिल्ली कूच करेंगे किसान
अंतिम अपडेट: 06-12-2024

आज 101 किसानों के जत्थे ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली मार्च बुलाया था, लेकिन शंभू बॉर्डर पर सुरक्षाबलों ने उन्हें रोक लिया। इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया।

Farmers Protest: पंजाब और हरियाणा सीमा के शंभू बॉर्डर से 101 किसानों का एक जत्था शुक्रवार को दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू किया। यह मार्च किसानों की लंबित मांगों को लेकर था, जिसमें प्रमुख रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी, फसलों की सही कीमत, और अन्य कृषि संबंधित अधिकारों की मांग शामिल थी।

किसानों का यह जत्था शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करने के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच मार्च करने की योजना बना रहा था, लेकिन किसानों को रास्ते में ही सुरक्षा बलों द्वारा रोक लिया गया। किसानों का कहना था कि वे लंबे समय से सरकार से अपनी समस्याओं का समाधान चाह रहे हैं, और अगर उनकी आवाज नहीं सुनी गई तो उनका आंदोलन और तेज हो सकता है।

सुरक्षा बलों ने किसानों को रोका

किसान जत्था जब शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर बढ़ा तो सुरक्षाबलों ने उन्हें बहुस्तरीय अवरोधकों से रोक दिया। सुरक्षाकर्मियों ने जब किसानों से आगे न बढ़ने की अपील की तो किसानों ने इसे अस्वीकार कर दिया। इसके बाद, जब कुछ किसान इन अवरोधकों तक पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। इस दौरान किसान संगठनों का दावा है कि 15 किसान घायल हुए हैं, जिनमें से 8 को गंभीर चोटों के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायल किसानों में से कुछ की चोटें आंसू गैस के गोले के प्रभाव के कारण हुई थीं, जबकि अन्य किसानों को अवरोधकों से टकराने के कारण चोटें आईं।

8 दिसंबर को होगा दिल्ली कूच

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि 8 दिसंबर को किसान एक बार फिर दिल्ली कूच करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से बातचीत के लिए हमने उन्हें एक अंतिम अवसर दिया है और अगर हमारी मांगों पर चर्चा नहीं होती है तो किसानों का आंदोलन और तेज होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि कृषि मंत्री से ही उनकी बैठक होनी चाहिए, क्योंकि वे ही इस मामले को लेकर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। पंधेर ने यह भी कहा कि पंजाब में बीजेपी का विरोध करेंगे और बीजेपी के नेताओं को काले झंडे दिखाएंगे, ताकि सरकार को यह संदेश मिले कि किसानों की मांगों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

किसानों की आंसू गैस से घायल होने की जानकारी

किसान नेताओं ने यह भी बताया कि हरियाणा पुलिस द्वारा दागे गए आंसू गैस के गोले की वजह से 5-6 किसान घायल हो गए, जिन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया। इन घटनाओं के बाद किसानों ने अपना आंदोलन फिलहाल स्थगित कर दिया है और अब वे बैठक करके अपनी अगली रणनीति तय करेंगे। नेताओं ने यह भी कहा कि हालात को देखते हुए मार्च को वापस लिया गया, ताकि घायल किसानों को उचित इलाज मिल सके और आंदोलन को फिर से मजबूती से शुरू किया जा सके।

13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं किसान

किसान संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा, 13 फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। ये किसान अपने आंदोलन के लिए विभिन्न तरीकों से संघर्ष कर रहे हैं, जिसमें उनके मार्च और प्रदर्शन शामिल हैं। किसानों की मुख्य मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी, कृषि सुधार विधेयकों को रद्द करने की मांग और किसानों की विभिन्न समस्याओं का समाधान शामिल है। सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर मार्च करने से रोके जाने के बाद भी किसानों ने अपनी आवाज उठाने का रास्ता नहीं छोड़ा और उन्हें अब दिल्ली कूच करने का नया कार्यक्रम तय किया है।

प्रदर्शनकारियों ने लो अवरोधक हटाने की कोशिश

मार्च की शुरुआत में किसान जत्थे ने लोहे की जाली और कंटीले तारों को हटाने की कोशिश की, और कुछ किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से लोहे की कीलें भी उखाड़ दीं। इस दौरान सुरक्षाबल किसानों से यह कहते हुए नजर आए कि वे आगे न बढ़ें, क्योंकि इसके लिए उनकी अनुमति नहीं थी। किसानों ने इन अवरोधकों को पार करने के लिए संघर्ष किया, और कुछ किसानों ने सुरक्षा बलों से झगड़ा भी किया। एक प्रदर्शनकारी सुरक्षा बल के स्थान पर चढ़ गया, जिसे बाद में नीचे उतारा गया। इसके बावजूद, किसानों ने अपनी आवाज बुलंद की और अपने हक के लिए लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया।

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