महाराष्ट्र में गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का कहर जारी है। मुंबई में पहली मौत दर्ज हुई, जिससे राज्य में मरने वालों की संख्या 8 पहुंच गई। पुणे में मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
Guillain-Barre syndrome: महाराष्ट्र में गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस दुर्लभ बीमारी से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ गया है। बुधवार को मुंबई में GBS से पीड़ित 53 वर्षीय मरीज की नायर अस्पताल में मौत हो गई। मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया था, लेकिन डॉक्टरों की कोशिशों के बावजूद उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। मुंबई में GBS संक्रमण से यह पहली मौत है, जबकि पूरे महाराष्ट्र में अब तक 8 लोग इस बीमारी के चलते दम तोड़ चुके हैं।
मुंबई के वडाला के रहने वाले थे मरीज
नायर अस्पताल के डीन डॉ. शैलेश मोहिते ने बताया कि मृतक वडाला का रहने वाला था और BMC के बीएन देसाई अस्पताल में वार्ड बॉय के रूप में कार्यरत था। लंबे समय से तबीयत खराब होने के कारण उसे अस्पताल में भर्ती किया गया था, लेकिन इलाज के दौरान बुधवार सुबह उसकी मौत हो गई।
पुणे में भी बढ़ रही GBS के मरीजों की संख्या
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, पुणे क्षेत्र में GBS के संदिग्ध और पुष्ट मामलों की संख्या 197 तक पहुंच गई है। हाल ही में इस बीमारी के 5 और नए मरीज सामने आए हैं। इनमें से 2 मरीज नए मामले हैं, जबकि 3 पुराने मामलों को अब कन्फर्म किया गया है।
GBS के मरीजों का हाल: ICU में 50, 20 वेंटिलेटर पर
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, GBS के 197 मामलों में से 172 मरीजों का इलाज चल रहा है। इनमें से 40 मरीज पुणे नगर निगम के हैं, 92 मरीज पीएमसी के नए जोड़े गए गांवों से, 29 मरीज पिंपरी-चिंचवाड़ से, 28 पुणे ग्रामीण से और 8 अन्य आश्रय गृहों से हैं। अब तक 104 मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है, जबकि 50 मरीज ICU में भर्ती हैं और 20 मरीज वेंटिलेटर पर हैं।
GBS कैसे करता है शरीर पर असर?
GBS एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम पेरिफेरल नर्व्स पर हमला करती है। इससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, हाथ-पैरों में संवेदना कम हो जाती है और मरीज को सांस लेने या निगलने में दिक्कत होने लगती है।
समय पर जांच और इलाज है जरूरी
डॉक्टर्स का कहना है कि GBS एक गंभीर लेकिन इलाज योग्य बीमारी है। अगर समय रहते सही जांच और इलाज किया जाए, तो मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। इस बीमारी में पेरिफेरल नर्व्स डैमेज हो जाती हैं, जिससे शरीर कमजोर पड़ने लगता है। ऐसे में शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।