हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, खासकर जब बात कुमारी सैलजा की नाराजगी की आती है। सिरसा से सांसद और पार्टी की दिग्गज नेता कुमारी सैलजा के मुद्दे को हल करने में कांग्रेस सफल नहीं हो पाई है। उनके असंतोष के चलते पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपना हरियाणा दौरा रद्द कर दिया है।
Haryana: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के संदर्भ में कांग्रेस पार्टी की समस्या बढ़ती जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 90 टिकटों में से 72 टिकट अपने समर्थकों को दिलाने में सफलता प्राप्त की है, और अब चुनाव प्रचार का पूरा दारोमदार उन्हीं पर टिका हुआ है।
हालांकि, पार्टी को अपनी वरिष्ठ दलित नेता कुमारी सैलजा की नाराजगी को दूर करने में कठिनाई हो रही है। सैलजा के असंतोष के कारण कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को हरियाणा का अपना दौरा स्थगित कर दिया है। यह स्थिति पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण है।
खरगे ने अपना अंबाला दौरा किया रद्द
कुमारी सैलजा की नाराजगी के कारण कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपना अंबाला दौरा रद्द कर दिया। खरगे सोमवार को सैलजा के पुराने संसदीय क्षेत्र में जाने वाले थे, लेकिन जब उन्हें यह जानकारी मिली कि सैलजा कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी, तो उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर दौरा स्थगित करने का निर्णय लिया।
कुमारी सैलजा ने कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के हरियाणा दौरे की किसी भी जानकारी होने से इनकार किया है। हालांकि, उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि अगले कुछ दिनों में वह चुनावी प्रचार में सक्रिय रूप से भाग लेंगी।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी साझा की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी अपनी रणनीति को पुनः निर्धारित करने में जुटी है और सैलजा को शामिल करने के प्रयास कर रही है।
खरगे को यात्रा के दौरान जनसभाएं करनी थी आयोजित
अध्यक्ष मल्लिकार्जुन को सोमवार को अंबाला शहर और करनाल के घरौंडा में जनसभाएं संबोधित करनी थीं। लेकिन उनकी गैरमौजूदगी में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इन सभाओं को संबोधित किया।
कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, खरगे की तबीयत खराब होने के कारण डॉक्टरों ने उन्हें दो दिन आराम करने की सलाह दी थी। हालांकि, खरगे हरियाणा के दौरे पर आना चाहते थे, लेकिन जब पार्टी को यह जानकारी मिली कि कुमारी सैलजा वहां मौजूद नहीं होंगी, तो पार्टी ने किरकिरी से बचने के लिए दौरा स्थगित करने का फैसला किया।
अब उम्मीद की जा रही है कि खरगे के हरियाणा दौरे का नया कार्यक्रम बुधवार के बाद तैयार किया जाएगा, और कांग्रेस नेतृत्व को तब तक सैलजा को मनाने की कोशिश करने की उम्मीद है।
सैलजा क्यों हुई नाराज?
सैलजा की नाराजगी के कई कारण कांग्रेस नेतृत्व और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ सैलजा की नाराजगी की कई वजहें हैं। सैलजा हिसार जिले की उकलाना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा रखती थीं। उन्होंने अपनी इस इच्छा को कांग्रेस हाईकमान के समक्ष रखा, लेकिन उन्हें चुनावी मैदान में उतारने से मना कर दिया गया।
इसके अलावा, सैलजा अपने करीबी सहयोगी डॉ. अजय चौधरी को नारनौंद से टिकट दिलाने में भी असफल रहीं। डॉ. चौधरी के अलावा, सैलजा ने लगभग दो दर्जन दावेदारों की एक सूची कांग्रेस हाईकमान को प्रस्तुत की थी, लेकिन अंततः केवल चार निवर्तमान विधायकों सहित सैलजा के सिर्फ 10 समर्थकों को ही टिकट मिला, जिससे उनकी नाराजगी और बढ़ गई है।
मुख्यमंत्री पद को लेकर बढ़ी चिंता
कुमारी सैलजा और भूपेंद्र हुड्डा के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर भी खींचतान देखने को मिल रही है। सैलजा ने कई बार सार्वजनिक रूप से यह प्रश्न उठाया है कि राज्य में दलित मुख्यमंत्री क्यों नहीं हो सकता, जिससे उनकी मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षाएं स्पष्ट होती हैं।
इस स्थिति ने कांग्रेस में शक्ति संतुलन को प्रभावित किया है, जहां हुड्डा ने अपने समर्थकों को अधिक से अधिक टिकट दिलाने में सफलता हासिल की है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा को सैलजा को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया है।
कांग्रेस नेता ने दिया आश्वासन
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कुमारी सैलजा से फोन पर बातचीत की, जिसमें उन्होंने सैलजा को आश्वासन दिया कि चुनाव नतीजों के बाद उनके राजनीतिक कद का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
हालांकि सैलजा अभी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अगले कुछ दिनों में चुनाव प्रचार में सक्रिय रहने का निर्णय लिया है। सैलजा की सक्रियता से दलित मतदाताओं में कांग्रेस के प्रति भरोसा बढ़ाने की उम्मीद है, क्योंकि हरियाणा में लगभग 22 प्रतिशत दलित मतदाता हैं। यदि सैलजा प्रचार में भाग नहीं लेंगी, तो इससे पार्टी के प्रति दलित मतदाताओं का रुख प्रभावित हो सकता है। इसलिए, सैलजा का चुनावी समर में उतरना कांग्रेस के लिए आवश्यक साबित होगा।