सट्टा बाजार नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला के मुकाबले अमित शाह पर अधिक भरोसा जताता है। मुंबई और जयपुर के फलौदी सट्टा बाजार में भाजपा को लेकर उम्मीदें अधिक हैं। भाजपा पर तीन रुपये का सट्टा लगाया गया है, जबकि नेकां पर पांच रुपये का सट्टा किया गया है।
Jammu: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के परिणामों से पहले सट्टा बाजार में हलचल तेज हो गई है। मुंबई और जयपुर के फलौदी सट्टा बाजार ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर अपने दांव लगाए हैं। इस सट्टा बाजार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए ढाई से तीन रुपये का भाव निर्धारित किया गया है। यह भाव केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नाम पर लगाया गया है।
जम्मू का सट्टा बाजार
इसका मतलब यह है कि सट्टा बाजार को उम्मीद है कि अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद प्रदेश में कई बदलाव आए हैं, जो लोगों को पसंद आ रहे हैं। सट्टा बाजार का मानना है कि जम्मू-कश्मीर के जम्मू संभाग में भाजपा को बढ़त मिल सकती है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सट्टा बाजार के भाव शेयर मार्केट के फ्यूचर-ऑप्शन की तरह ही परिवर्तनशील और अस्थिर होते हैं।
ये हवा के रुख के साथ अंतिम क्षणों में पल-पल बदलते रहते हैं। सट्टा बाजार को नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) से एक नई उम्मीद है। बाजार के विशेषज्ञ मानते हैं कि नेकां का मुस्लिम मतदाताओं में मजबूत आधार है और इस पार्टी ने पिछले 10 वर्षों में अपनी छवि को सुधारने की दिशा में काफी मेहनत की है।
नेकां की संभावनाओं को आंका
सट्टा बाजार ने कश्मीर संभाग में नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) की संभावनाओं को चार से पांच रुपये के भाव पर आंका है। यह कीमत पार्टी के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला के नाम पर निर्धारित की गई है। बाजार को यह उम्मीद है कि नेकां मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में पिछले चुनावों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। वहीं, तीसरा और सबसे कम भाव छह से सात रुपये पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती पर लगा है। सट्टा बाजार का मानना है कि पीडीपी अपनी पुरानी छवि को बनाए रखने में असफल रही है। इसके परिणामस्वरूप, लोगों के बीच पार्टी के प्रति विश्वास में कमी आई है।
अनुच्छेद 370 के बाद किए गए बदलाव
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले सट्टा बाजार में भाजपा, नेकां, और पीडीपी को लेकर अनुमान लगाए जा रहे हैं। भाजपा पर ढाई से तीन रुपये का भाव लगाया गया है, जिसे अनुच्छेद 370 के बाद किए गए बदलावों के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया माना जा रहा है। नेकां को मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन से चार से पांच रुपये का भाव मिला है, जबकि पीडीपी और महबूबा मुफ्ती की कमजोर स्थिति को देखते हुए उनका भाव छह से सात रुपये रखा गया है। निर्दलियों पर भी 10 से 15 रुपये का भाव लगाया गया है।
बाजार में अलग-अलग पार्टियों का दावा
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के चलते सट्टा बाजार और शेयर बाजार में अनिश्चितता का माहौल है। जम्मू-कश्मीर बैंक, जो 1 अक्टूबर 1938 को स्थापित हुआ था, चुनाव की घोषणा के बाद से कमजोर प्रदर्शन कर रहा है। नेकां, कांग्रेस और भाजपा बहुमत का दावा कर रहे हैं, जबकि पीडीपी किंगमेकर की भूमिका की बात कर रही है। इस असमंजस ने आम लोगों के बीच भी असर डाला है, जिससे बैंक के शेयर में गिरावट देखी जा रही है।
जम्मू बैंक का शेयर चुनाव
जम्मू-कश्मीर बैंक का शेयर चुनाव से पहले 114 रुपये से गिरकर 100 रुपये पर आ गया है। सत्ता के साथ बैंक का गहरा नाता है, और इसके इतिहास में कई घोटाले सामने आ चुके हैं। एलजी प्रशासन ने अनुच्छेद 370 हटने के बाद घोटालों को उजागर किया था, जिससे कई अधिकारी भी निकाले गए। जम्मू-कश्मीर में केवल चार कंपनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं, और इनमें राजनीतिक दखल कम है, हालांकि सट्टा बाजार के भाव अनिश्चित रहते हैं।