Lateral Entry: लेटरल एंट्री विवाद का उठा मुद्दा! क्या कारण थे, जो अब संसदीय समिति करेगी जांच? जानिए पूरा मामला

Lateral Entry: लेटरल एंट्री विवाद का उठा मुद्दा! क्या कारण थे, जो अब संसदीय समिति करेगी जांच? जानिए पूरा मामला
Last Updated: 25 नवंबर 2024

सरकारी विभागों में उच्च पदों के लिए 'लेटरल एंट्री' मामले की संसदीय समिति जांच करेगी। इस साल आरक्षण न होने के कारण इन पदों को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ था, जिसे अब सुलझाने की प्रक्रिया शुरू होगी।

Lateral Entry News: सरकारी विभागों में प्रमुख पदों को भरने के लिए ‘लेटरल एंट्री’ का विवाद एक बार फिर से सुर्खियों में है। 17 अगस्त 2024 को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 45 सरकारी पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिनमें ज्वाइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल के पद शामिल थे। ये पद अनुबंध के आधार पर लेटरल एंट्री के जरिए भरे जाने थे। हालांकि, इसके बाद विपक्षी दलों के विरोध के कारण केंद्र सरकार ने यूपीएससी से इस विज्ञापन को रद्द करने का आदेश दिया था।

'लेटरल एंट्री' की होगी जांच 

अब, इस मुद्दे को लेकर संसदीय समिति जांच करेगी। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी किए गए विवरण के अनुसार, कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय विभाग से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने 2024-25 में सिविल सेवाओं में ‘लेटरल एंट्री’ के विषय को जांच के लिए चुना है। इस साल की शुरुआत में, इन पदों के लिए आरक्षण का प्रावधान न होने को लेकर राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया था।

विपक्ष का विरोध 

विपक्षी दलों के साथ-साथ एनडीए में शामिल कुछ सहयोगी दलों ने भी इस मुद्दे पर विरोध किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, मायावती, और अखिलेश यादव जैसे नेताओं ने आरक्षण के बिना लेटरल एंट्री का विरोध किया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने यूपीएससी से विज्ञापन रद्द करने को कहा।

क्या है लेटरल एंट्री प्रक्रिया?

लेटरल एंट्री के तहत भर्ती आमतौर पर किसी विशेष क्षेत्र के विशेषज्ञों के लिए की जाती है, और इन नियुक्तियों पर अभी तक कोई आरक्षण लागू नहीं है। अब तक, 63 नियुक्तियां लेटरल एंट्री के माध्यम से की गई हैं, जिनमें से 35 नियुक्तियां निजी क्षेत्र से हुई हैं। वर्तमान में 57 अधिकारी विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में कार्यरत हैं।

लेटरल एंट्री की प्रक्रिया की शुरुआत

केंद्र सरकार ने 2018 से विशेष कार्यों के लिए लेटरल एंट्री के माध्यम से व्यक्तियों को नियुक्त करना शुरू किया है। यह प्रक्रिया आमतौर पर सीमित अवधि के लिए होती है और इसमें सिविल सेवा परीक्षा प्रक्रिया के बजाय सीधे भर्ती की जाती है।

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