Hindi Diwas 2024: 14 सितंबर हिंदी दिवस! हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है या राजभाषा, आइए जानें

Hindi Diwas 2024: 14 सितंबर हिंदी दिवस! हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है या राजभाषा, आइए जानें
Last Updated: 14 सितंबर 2024

हिंदी भारत में सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है और विश्व में तीसरे स्थान पर है। यह केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि एक भावनाओं और विचारों का माध्यम है, जिसकी सहायता से लोग अपनी बातें दूसरों तक पहुँचाते हैं। हिंदी के इसी महत्व को उजागर करने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस (Hindi Diwas 2024) मनाया जाता है। इस विशेष अवसर पर आइए जानते हैं कि हिंदी देश की राष्ट्रभाषा है या राजभाषा।

Hindi Diwas 2024: हिंदी केवल एक भाषा है, बल्कि यह भारतीय समाज के जज्बातों और भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम भी है, जो देश के विभिन्न हिस्सों को एक साथ जोड़ती है। हिंदी की इसी व्यापकता और अहमियत को सम्मानित करने के लिए हर साल 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और इसे समझने-समझाने पर जोर देना है, ताकि देश के भीतर इसकी महत्वता और भी बढ़े।

हालांकि, हिंदी भारत के अधिकांश हिस्सों में बोली जाती है, और इसे देश की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा माना जाता है, लेकिन तकनीकी रूप से यह भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है। संविधान के अनुसार, हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है। यह एक आम भ्रम है कि हिंदी राष्ट्रभाषा है, लेकिन भारत में इतनी भाषाई विविधता है कि किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित करना संभव नहीं हो पाया है।

हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बल्कि राजभाषा है

दरअसल, हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया था, और इसी की याद में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। लेकिन यह एक आम भ्रांति है कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। सच यह है कि भारत के पास कोई आधिकारिक राष्ट्रभाषा नहीं है। संविधान के अनुसार, हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला है, कि राष्ट्रभाषा का।

हिंदी को क्यों नहीं मिला राष्ट्रभाषा का दर्जा ?

अगर आप भी हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा मानते हैं, तो यह जानना जरूरी है कि भारत की कोई आधिकारिक राष्ट्रभाषा नहीं है। भारत के संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि भारत की आजादी के बाद जब संविधान निर्माण की प्रक्रिया चल रही थी, तब भाषा के मुद्दे पर काफी चर्चा हुई थी। संविधान सभा में कुछ लोग हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के पक्ष में थे, जबकि कुछ इसके खिलाफ थे।

इस विरोध का कारण यह था कि भारत एक बहुभाषी और विविधताओं से भरा देश है, जहां सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं। एक भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित करने से अन्य भाषाओं और संस्कृतियों की अनदेखी का खतरा था। इसलिए, भाषा के इस जटिल मसले पर व्यापक विचार-विमर्श के बाद, यह निर्णय लिया गया कि हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया जाएगा।

राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर

1. राजभाषा - राजभाषा वह भाषा होती है, जिसका उपयोग सरकार और प्रशासनिक कामकाज के लिए किया जाता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार, हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों को राजभाषा का दर्जा दिया गया है, ताकि सरकारी कामकाज में सुविधा हो सके। यानी सरकारी दफ्तरों में इन भाषाओं का उपयोग किया जा सकता है।

2. राष्ट्रभाषा - राष्ट्रभाषा वह भाषा होती है, जो पूरे देश को सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में जोड़ती है। आमतौर पर राष्ट्रभाषा वह भाषा होती है जिसे देश की सबसे महत्वपूर्ण या व्यापक बोली जाने वाली भाषा माना जाता है। लेकिन भारत जैसा बहुभाषी देश होने के कारण संविधान ने किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता नहीं दी है। देश की विभिन्न भाषाई विविधताओं का सम्मान करते हुए भारत के पास कई भाषाओं को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई है, जिनमें हिंदी प्रमुख है।

 

 

 

 

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