Lok Sabha Election 2024: केपी के उलटफेर से रोमांचक बना जालंधर सीट पर चुनावी मुकाबला, सगे समधियों के बीच कड़ी जंग

Lok Sabha Election 2024: केपी के उलटफेर से रोमांचक बना जालंधर सीट पर चुनावी मुकाबला, सगे समधियों के बीच कड़ी जंग
Last Updated: 23 अप्रैल 2024

कांग्रेस के साहसिक नेता पूर्व मंत्री पूर्व सांसद मोहिंदर कुमार सिंह केपी ने बीते दिन कांग्रेस का दामन छोड़कर शिरोमणि अकाली दल से रिश्ता बना लिया हैं. वह अब जालंधर से शिअद के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मेडम में नजर आएंगे।

चंडीगढ़: कांग्रेस पार्टी के लिए हर दिन की तरह सोमवार (२२ अप्रेल) का दिन भी बड़े झटके वाला ही रहा। क्योकि करीब 50-60 दशक तक कांग्रेस पार्टी का झंडा थामकर घर-घर घूमने वाले केपी परिवार ने पार्टी को त्याग दिया हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे और पूर्व मंत्री पूर्व सांसद मोहिंदर कुमार सिंह केपी ने कांग्रेस को त्याग कर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का दामन थाम लिया और जालंधर से प्रत्याशी बनकर उत्तरे हैं। केपी का पार्टी छोड़कर जाना कांग्रेस के साथ-साथ जालंधर से पार्टी के प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत कुमार सिंह चन्नी के लिए निजी रूप से बहुत बड़ा झटका हैं। सबसे बड़ी खास बात तो यह है कि केपी और चन्नी आपस में सगे समधी भी हैं।

चन्नी और केपी के बीच होगा मुकाबला

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार Subkuz.com ने बताया कि मोहिंदर कुमार सिंह केपी और चरणजीत कुमार सिंह चन्नी आपस में समधी (father-in-law) हैं। केपी की बेटी का विवाह चन्नी के भतीजे के साथ हुआ है। बताया कि आपातकाल के समय जब कांग्रेस दो टुकड़ो में भट गई और इंदिरा गांधी राजनीति में  काफी ज्यादा कमजोर हो गई थीं, तब केवल जालंधर ही ऐसा क्षेत्र था जहां पर पूर्व प्रधानमंत्री के पांव डगमगाए नहीं थे। उस समय पहले चौधरी परिवार और उसके बाद केपी परिवार इंदिरा गांधी के समर्थक बने थे। लगभग 70 दशक तक दोआबा के दलित लैंड पर कांग्रेस का दबदबा रहा।

सुशील रिंकू ने थामा BJP का दामन

जानकारी के मुताबिक मास्टर गुरबंता कुमार सिंह की तीन पीढ़ी और केपी की दो पीढ़ियों ने कांग्रेस का सहयोग किया। इस बार लोकसभा का टिकट नहीं मिलने के कारण चौधरी संतोख कुमार सिंह की पत्नी करमजीत कौर ने भारतीय जनता पार्टी और मोहिंदर कुमार सिंह केपी ने शोरोमणि अकाली दल का साथ देने के लिए चले गए हैं। इनके अलावा वंचितों के नेता के रूप में निखर कर सामने आने वाले सुशील कुमार रिंकू पहले आप और उसके बाद भाजपा में शामिल हो गए।

केपी को नहीं दिया पार्टी ने टिकट

सूत्रों ने बताया कि केपी का लंबे समय से कांग्रेस के साथ अनबन चल रही थी। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने केपी को टिकट भी नहीं दिया था। इसके साथ ही उनका अपमान भी हुआ, क्योंकि पार्टी ने पहले केपी को आदमपुर सीट से टिकट देने का फैसला लिया था. नामांकन के अंतिम दिन केपी रिटर्निंग ऑफिसर के कार्यालय के बाहर फॉर्म जमा कराने पहुंच भी गए लेकिन पार्टी की टिकट देने वाले बदल गए और वहां नहीं पहुंचे थे। अंतिम समय पर बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में आए सुखविंदर कुमार कोटली को टिकट दे दिया गया। उस समय से ही केपी कांग्रेस की बैठकों में नदारद रहते थे।

बताया कि चौधरी के साथ-साथ केपी परिवार के द्वारा कांग्रेस से नाता तोड़ने से पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत कुमार सिंह चन्नी के लिए चुनाव मैदान में मुकाबला तगड़ा हो गया है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुशील रिंकू कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए और केपी कांग्रेस को त्याग कर शिअद में शामिल हो गए। जालंधर में सबसे अधिक 40 प्रतिशत वोट दलित आबादी के है। इसलिए यहां पर कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।

 

 

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