Lok Sabha Election: उत्तर प्रदेश की इस सीट पर जातीय समीकरण का खेल, भाजपा और सपा के बिगड़े हालात

Lok Sabha Election: उत्तर प्रदेश की इस सीट पर जातीय समीकरण का खेल, भाजपा और सपा के बिगड़े हालात
Last Updated: 17 अप्रैल 2024

समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन में यूपी की एक सीट सपा के पक्ष में थी। भारतीय जनता पार्टी ने शाक्य समाज और समाजवादी पार्टी ने यादव समाज जबकि बहुजन समाज पार्टी ने मुस्लिम समाज के उम्मीदवार पर दाव खेला हैं।

बदायूं: लोकसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी ने इस बार मुस्लिम उम्मीदवार पर दाव खेला है। पिछले चुनाव को छोड़कर लगातार छह बार समाजवादी पार्टी की जीत की प्रमुख वजह मुस्लिम और यादव गठजोड़ बनता आ रहा है। पिछले चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के वोटरों का झुकाव भी भारतीय जनता पार्टी की ओर था, क्योंकि बसपा का उस समय कोई उम्मीदवार मैदान में दिख रहा था नहीं था।

राजनीतिक जानकारों ने Subkuz.com को बताया कि बहुजन समाज पार्टी ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. बसपा भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी दोनों दलों के समीकरण को डगमगा सकती है। पिछले चुनाव में बसपा का कोई उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं था, जिसके कारण उनके वोट भाजपा के हक में गए. लेकिन इस बार मुस्लिम जाति के उम्मीदवार पर दाव खेलकर दोनों दलों के सामने बहुत बड़ी चुनौती पेश की हैं।

बदायूं सीट पर बसपा के हालात

बदायूं संसदीय सीट पर बहुजन समाज पार्टी को अभी तक जीत नसीब नहीं हुई, लेकिन पिछले कई चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए प्रतिद्वंद्वी दलों को कड़ी चुनौती देने में सफल हुई हैं। जिले की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी वर्ष 1996 में सामने आई थी। इस चुनाव में बसपा ने 1,53,286 वोट हासिल करने में सक्षम हुई थी।

बताया कि साल 1998 के चुनाव में भी बसपा ने 1,10,118 वोट हासिल किए थे। साल 2004 के चुनाव में बसपा को मात्र 76,185 वोट हासिल हुए। जबकि 2009 के चुनाव में 2,05,315 वोट और साल 2014 के चुनाव में बसपा को 1,57,125 वोट प्राप्त किया था। तथा साल 2019 के चुनाव में समजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन किया था और यह सीट सपा के अधिकार में गई थी।

बसपा ने बिगाड़ा चुनाव का समीकरण

जानकारी के अनुसार पिछले चुनावों के परिणाम को देखते हुए बसपा को बहुत ज्यादा हल्के में लिया जा रहा था। पिछले चुनाव में बसपा का कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं होने के कारण पार्टी के परंपरागत वोटरों में बंटवारा देखने को मिला था। कुछ वोट सपा के पक्ष में तो कुछ ने भाजपा के साथ मोह बना लिया था। सपा की बड़ी ताकत यादव और मुस्लिम है। लेकिन इस बार बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारकर सपा की मुश्किले बढ़ा दी हैं।

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