Madhy Pradesh Politics: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व जज रोहित आर्या ने थामा भाजपा का दामन, कैसा रहा वकालत करियर? सियासत में आते ही बोले...

Madhy Pradesh Politics: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व जज रोहित आर्या ने थामा भाजपा का दामन, कैसा रहा वकालत करियर? सियासत में आते ही बोले...
Last Updated: 15 जुलाई 2024

जस्टिस रोहित आर्या तीन महीने पहले वकालत की कार्यवाई से रिटायर हुए हैं। उन्होंने लगभग दस साल तक न्याय क्षेत्र में अपनी भगीदारी निभाई। उन्होंने अब राजनीति में कदम रखा हैं। वह अपनी न्याय प्रक्रिया के कारण ही सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चित रहे हैं।

जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व जज रोहित आर्या ने सोमवार (15 जुलाई) को भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। बता दें भाजपा की सदस्यता लेने के बाद रोहित आर्या ने अपना राजनीतिक करियर औपचारिक रूप से शुरू किया हैं। इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में जनता को संबोधित करते हुए कहां कि कोर्ट में लोगों को न्याय दिलाने के बाद अब जनता के बीच सक्रिय रहकर लोगों की सेवा करने का मौका मिला हैं।

जनसेवा की बात करते हुए रोहित आर्या ने कहां कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सेवा करने का काम और क्या होगा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राघवेंद्र कुमार शर्मा ने भोपाल में रोहित आर्या को पार्टी की सदस्यता दिलाई।

जस्टिस आर्या का वकालत में शानदार रिकॉर्ड

जस्टिस रोहित आर्या तीन महीने पहले ही अपने पद से रिटायर हुए हैं। उन्होंने एक दशक से भी ज्यादा समय तक न्याय क्षेत्र में अपनी भागीदारी निभाई हैं। बता दें उन्होंने जज रहते हुए कई महत्वपूर्ण और सही फैसले सुनाए, जिस कारण काफी ज्यादा चर्चित रहे। उनकी न्याय प्रक्रिया के कई वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहे हैं।

जस्टिक ने कई मामलो में सुनवाई के बीच ठीक से बहस करने वाले वकीलों को जोरदार फटकार लगाई बल्कि बेबुनियादी काम करने वाले अधिकारियों को आईना भी दिखाया। आरोपियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई करते हुए दिशा-निर्देश भी जारी करते थे।

मुनव्वर फारूकी मामले में सुनाया सही फैसला

जस्टिस रोहित आर्या के द्वारा स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी और एक महिला की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले मामले के आरोपित के खिलाफ सुनाए गए निर्णय की चर्चा सोशल मीडिया पर आज भी काफी वायरल हो रही है। बता दें उन्होंने मुनव्वर को आसानी से बेल नहीं दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन आदेशों को आखिरकार पलट दिया था।

 

 

 

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