महाराष्ट्र में 52 फीसदी ओबीसी मतदाता हैं, जिनका प्रभाव विदर्भ क्षेत्र की 62 विधानसभा सीटों पर है। वहीं, मराठा वोट बैंक करीब 28 फीसदी है, जो राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Maharashtra Elections: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में अब सिर्फ कुछ दिन रह गए हैं, और सभी राजनीतिक दल अपने प्रचार में पूरी ताकत लगा रहे हैं। हर पार्टी अपने-अपने मुद्दे उठा रही है और जनता से वादे कर रही है। हालांकि, इन सब मुद्दों के बीच एक महत्वपूर्ण मुद्दा, मराठा आरक्षण, धीरे-धीरे नजरअंदाज हो रहा है। पहले इसे चुनावी गेम चेंजर माना जा रहा था, लेकिन अब यह चर्चा से बाहर होता दिख रहा है। इस मुद्दे के राजनीतिक प्रभाव को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
मराठा और ओबीसी आरक्षण
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 की तारीखों के करीब आते ही एक महत्वपूर्ण मुद्दा जो सबकी चर्चा में था, वह है मराठा और ओबीसी आरक्षण। हालांकि, चुनावी प्रचार के दौरान यह मुद्दा धीरे-धीरे छिपता हुआ दिख रहा है, जबकि दोनों समुदायों के वोट बैंक का राज्य की राजनीति में गहरा प्रभाव है। हालांकि, राजनीतिक दल इन मुद्दों को उठाते हैं, लेकिन इसे पूरी तरह से अपनी चुनावी रणनीति में अपनाने से बचते नजर आ रहे हैं।
महायुति का बदलाव
पहले मराठा और ओबीसी आरक्षण का समर्थन करने वाली महायुति गठबंधन की रणनीति अब बदल चुकी है। बीजेपी और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट ने अब "सबको साथ लेकर चलने" पर जोर दिया है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक हैं तो सेफ हैं’ जैसे नारों से यह साफ है कि महायुति मराठा और ओबीसी दोनों वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है। हाल ही में महायुति ने प्रमुख अखबारों में एक विज्ञापन भी जारी किया, जिसमें सभी समुदायों को एकजुट करने का संदेश दिया गया था।
मराठा वोट बैंक: राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय का राजनीतिक प्रभाव हमेशा से मजबूत रहा है। राज्य में करीब 28 फीसदी मराठा हैं, और यह समुदाय मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र जैसे प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन इलाकों में विधानसभा की 116 सीटें हैं, जिन पर मराठा समुदाय का असर है। 2019 विधानसभा चुनावों में 160 विधायकों का चुनाव मराठा समुदाय से हुआ था। लोकसभा चुनाव में भी मराठा उम्मीदवारों ने अच्छा प्रदर्शन किया था, जो उनकी राजनीतिक ताकत को दिखाता है।
ओबीसी वोट बैंक: राज्य का सबसे बड़ा वर्ग
ओबीसी समुदाय महाराष्ट्र में सबसे बड़ा वोट बैंक है, जिनकी संख्या करीब 52 फीसदी है। ओबीसी वोटरों का असर विदर्भ क्षेत्र में अधिक है, जहां 62 विधानसभा सीटें हैं। इस वर्ग का समर्थन हासिल करने के लिए हर राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बना रहा है। ओबीसी के साथ-साथ मराठा वोट बैंक को साधने की कोशिश राजनीतिक दलों के लिए चुनौती बन चुकी है।
वोट बंटने की वजह से कई दल सक्रिय
महाराष्ट्र में मराठा और ओबीसी दोनों वोट बैंक बंटे हुए हैं, और कोई भी राजनीतिक दल इन दोनों वर्गों को पूरी तरह से अपने पक्ष में नहीं ले पा रहा। यही कारण है कि राज्य में हर प्रमुख राजनीतिक दल अपनी उपस्थिति साबित करने में जुटा हुआ है। एनसीपी, शिवसेना, बीजेपी, कांग्रेस और अन्य दल लगातार चुनावी मैदान में सक्रिय हैं। इन दलों के बीच प्रतिस्पर्धा जारी है, ताकि ये दोनों बड़े वोट बैंक अपने पक्ष में कर सकें।
महायुति और एमवीए की रणनीतियां
इस चुनाव में मराठा और ओबीसी वोटरों को आकर्षित करने के लिए महायुति और एमवीए दोनों ही गठबंधन अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। महायुति का ध्यान मराठा और ओबीसी दोनों वर्गों को साधने पर है, जबकि एमवीए ने मराठा आरक्षण की मांग का समर्थन किया है और ओबीसी के आरक्षण को लेकर अपनी बात रखी है। इसके साथ ही महायुति धनगर जाति को भी समर्थन दे रही है, जो अब अनुसूचित जनजाति का दर्जा मांग रही है।
दोनों वर्गों का समीकरण
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मराठा और ओबीसी वोटों का समीकरण हर राजनीतिक दल के लिए चुनौती बना हुआ है। यह चुनावी समीकरण राज्य की राजनीति को पूरी तरह से प्रभावित कर सकता है, क्योंकि इन दोनों वर्गों के वोट बैंक का सहयोग किसी भी दल के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। चुनावी प्रचार में इन मुद्दों को लेकर कोई भी दल खुलकर बात नहीं कर रहा है, लेकिन इन दोनों मुद्दों का असर चुनाव परिणामों पर जरूर पड़ेगा।