Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव! दो गठबंधन, छह दल, लेकिन अलग-अलग सुर, इन 30 सीटों पर टिकी है बाजी

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव! दो गठबंधन, छह दल, लेकिन अलग-अलग सुर, इन 30 सीटों पर टिकी है बाजी
Last Updated: 16 घंटा पहले

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच एक तीव्र प्रतिस्पर्धा की संभावना है। 288 सीटों में से 30 ऐसी हैं, जो जीत-हार का फैसला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। राज्य में दो प्रमुख गठबंधन और छह पार्टियाँ हैं, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान सभी विभिन्न मुद्दों के साथ सक्रिय हैं। यहाँ जानें कि राज्य में कौन सी पार्टी किस जाति के वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है...

Maharashtra Election: महाराष्ट्र का 14वां विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। राज्य में दो गठबंधन और छह प्रमुख पार्टियां सत्ता और विपक्ष की भूमिका में हैं, लेकिन सभी दलों के सुर अलग-अलग नजर रहे हैं।

महायुति गठबंधन, जिसमें भाजपा, शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) शामिल हैं, के बीच आरक्षण के मुद्दे पर तीन अलग-अलग राय बनी हुई है। इसी तरह, विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) में भी कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद) के बीच विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग प्रचार की योजना है।

पिछले सप्ताह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के निवास पर हुई बैठक में यह आशंका जताई गई कि मराठा आरक्षण पर एकजुट होकर बोलने से तीनों दलों को नुकसान हो सकता है।

OBC - ST के वोटों पर बीजेपी की नजर

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि महाराष्ट्र में मराठा और मुस्लिम वोट का एक बड़ा हिस्सा महाविकास अघाड़ी का समर्थन करेगा। इस स्थिति में भाजपा ओबीसी और एसटी वोटों को अपनी ओर खींचने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। हाल ही में हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों से स्पष्ट हुआ है कि डोमिनेटिंग कास्ट के खिलाफ माहौल बन रहा है।

भाजपा को यह भी चिंता है कि ओबीसी और एसटी समुदायों की ओर से मराठा समुदाय को ओबीसी और धनगर को एसटी दर्जा देने के विरोध से महायुति को चुनाव में बड़ा नुकसान हो सकता है। इसीलिए, शिवसेना-शिंदे और एनसीपी-अजीत मराठा आरक्षण पर अपनी आवाज उठाने की योजना बना रहे हैं, जबकि भाजपा पंचायत स्तर पर ओबीसी और एसटी समुदायों को साधने की कोशिश कर रही है।

चुनाव में संभावित बदलाव

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है, जिसमें महायुति, महाविकास अघाड़ी और छोटे दलों का गठजोड़ शामिल हो सकता है। पिछले चुनावों में छोटी पार्टियों ने 16 सीटें जीती थीं और 13 निर्दलीय उम्मीदवार भी चुने गए थे। कुल 30 ऐसी सीटें हैं, जहां हार-जीत का अंतर 5000 वोट से कम था, जिससे ये सीटें किसी भी गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण बन जाती हैं।

महाराष्ट्र के छह क्षेत्र: किसका दबदबा?

महाराष्ट्र में कुल 288 सीटें हैं-

विदर्भ: 62 सीटें, महायुति ने पिछले तीन विधानसभा चुनावों में 55% सीटें जीती हैं।

पश्चिमी महाराष्ट्र: 70 सीटें, यहां 76% सीटें महाविकास अघाड़ी ने जीती हैं।

उत्तर महाराष्ट्र: 35 सीटें, महायुति ने 60% सीटें जीती हैं।

मराठवाड़ा: 46 सीटें, यहां महायुति 51% सीटों पर हारती आई है।

ठाणे-कोकण: 39 सीटें, दोनों गठबंधन का 50-50% जीत का रिकॉर्ड है।

मुंबई क्षेत्र: 36 सीटें, यहां 43% सीटों पर महाविकास अघाड़ी हारती आई है।

महाविकास अघाड़ी की रणनीति

महाविकास अघाड़ी में तीनों दलों को अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई हैं:

1. शिवसेना (उद्धव ठाकरे)- महाराष्ट्र के संसाधनों को गुजरात ले जाने और मराठी अस्मिता के मुद्दे पर जोर देने का कार्य।

2. कांग्रेस- शिंदे सरकार के कथित भ्रष्टाचार और घोटालों के खिलाफ अभियान चलाने की जिम्मेदारी।

3. एनसीपी (पवार)- अन्य मुद्दों पर जनता के बीच अपनी पैठ बनाने का कार्य।

कांग्रेस के मुद्दे

कांग्रेस ने महायुति सरकार से जुड़े पांच बड़े मामलों की सूची तैयार की है, जिसमें एंबुलेंस खरीद, स्वास्थ्य विभाग, आरटीओ, टीडीआर और धारावी रिहैबिलिटेशन प्रोजेक्ट शामिल हैं। कांग्रेस का आरोप है कि शिंदे सरकार के कार्यकाल में 15,000 करोड़ रुपये से अधिक के कथित घोटाले हुए हैं।

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