महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर व्यापक इंतजार किया जा रहा है, न केवल आम जनता, बल्कि विपक्षी दलों की ओर से भी इस पर गहरी नजरें हैं। सबसे बड़ी उत्सुकता मुख्यमंत्री (सीएम) के चेहरे को लेकर है, क्योंकि यह राज्य की राजनीति के लिए अहम मोड़ साबित हो सकता हैं।
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद मुख्यमंत्री के पद को लेकर बड़ा पेच फंसा हुआ है, जिसमें बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के बीच संघर्ष देखने को मिल रहा है। सूत्रों के अनुसार बीजेपी की ओर से देवेंद्र फडणवीस का नाम लगभग फाइनल हो गया है, लेकिन इस घोषणा को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया हैं।
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर फडणवीस का नाम तय हो चुका है, तो इस पर जल्दी से घोषणा की जाए। उन्होंने यह भी सवाल किया कि महाराष्ट्र की जनता से किए गए वादों से क्यों वंचित किया जा रहा है और सरकार के गठन में हो रही देरी को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा हैं।
प्रियंका चतुर्वेदी ने महायुति पर बोला हमला
प्रियंका चतुर्वेदी ने महायुति (बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन) पर हमला करते हुए कहा कि अगर बीजेपी 132 सीटों के साथ बहुमत के करीब है, तो उसे देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने में कोई रोक नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता के लिए इन दलों में इतनी खींचतान हो रही है कि सही निर्णय नहीं लिया जा रहा हैं।
चतुर्वेदी ने महाराष्ट्र के आर्थिक नुकसान का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में रोजगार उत्पन्न करने वाली एक रिफाइनरी गुजरात और आंध्र प्रदेश जा रही है। इसके साथ ही उन्होंने राज्य में चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाए, खासतौर पर ईवीएम के उपयोग को लेकर। उनका दावा था कि राज्य के कुछ हिस्सों में वोटिंग और काउंटिंग में असमानताएं देखने को मिली हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या ईवीएम का इस्तेमाल वोटों की संख्या में गड़बड़ी करने के लिए किया जा रहा हैं।
उन्होंने चुनाव आयोग की आलोचना करते हुए कहा कि जब इस मुद्दे पर सवाल उठाए जाते हैं, तो आयोग इसे नकारने की आदत बना चुका है, बजाय इसके कि वह स्थिति को स्पष्ट करने के लिए इसे गंभीरता से ले।
प्रियंका ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कहा कि
प्रियंका चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से संबंधित जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज करने के बाद इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग इस मुद्दे को हमेशा खारिज करता रहा है, हालांकि अब जनता और राजनीतिक दल भी इस पर सवाल उठा रहे हैं।
उनका कहना था कि जब बीजेपी सत्ता में नहीं थी, तब पार्टी के वरिष्ठ नेता एल.के. आडवाणी ने ईवीएम पर एक किताब लिखी थी और आज भी यह मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है। प्रियंका चतुर्वेदी ने जोर देते हुए कहा कि यदि ईवीएम पर व्यापक चर्चा होती है, तो इसके गड़बड़ियों से संबंधित तथ्य सामने आ सकते हैं।