राजस्थान के बाड़मेर जिले की 58 वर्षीय शांति देवी सोनी ने मृत्यु के बाद भी अपनी मानवता का परिचय देते हुए चार लोगों को जीवनदान दिया। जोधपुर एम्स में ब्रेन डेड घोषित होने के बाद उनके परिवार ने उनका अंगदान करने का बड़ा फैसला लिया, जिससे जरूरतमंद मरीजों को नई जिंदगी मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
बाड़मेर: राजस्थान के बाड़मेर जिले की 58 वर्षीय शांति देवी सोनी ने मृत्यु के बाद भी चार लोगों को जीवनदान देकर मानवता की मिसाल पेश की। ब्रेन डेड घोषित होने के बाद परिवार ने उनके अंगदान का बड़ा फैसला लिया, जिससे जरूरतमंद मरीजों को नई जिंदगी मिल सकी। बाड़मेर में स्वर्णकार समाज ने उनके सम्मान में श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया, और कई नेताओं ने इस फैसले की सराहना की। शांति देवी का यह कदम समाज के लिए प्रेरणास्रोत बना।
परिवार ने दिखाया अनुकरणीय साहस
शांति देवी के दामाद मुकेश सोनी ने बताया कि वह पिछले एक महीने से ब्रेन हेमरेज से पीड़ित थीं। पहले बाड़मेर और फिर जोधपुर में इलाज के दौरान 10 दिन पहले डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। हालांकि, परिवार ने उम्मीद नहीं छोड़ी और समाज और रिश्तेदारों से सलाह-मशविरा करने के बाद अंगदान का महत्वपूर्ण निर्णय लिया।
समाज ने किया श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन
बाड़मेर पहुंचने पर स्वर्णकार समाज के लोगों ने फूलों से सजी एंबुलेंस का स्वागत किया और पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। पूरे समाज में इस निर्णय की सराहना की जा रही है, क्योंकि यह राजस्थान के स्वर्णकार समाज में पहला अंगदान है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने शांति देवी के परिवार की प्रशंसा करते हुए कहा कि "अंगदान कर उन्होंने मानवता की अनूठी मिसाल पेश की है। यह कार्य समाज के लिए प्रेरणा बनेगा।"
शांति देवी का योगदान बना प्रेरणास्रोत
शांति देवी भले ही इस दुनिया से चली गईं, लेकिन उनके अंग अब चार लोगों के शरीर में जीवित रहेंगे। उनका यह पुनीत कार्य अंगदान को बढ़ावा देने के लिए समाज में प्रेरणा का स्रोत बनेगा।