Haryana Crime News: पानीपत का अनुराग बना टेररिस्ट, कोचिंग में पढ़ने गया था कोटा, जाने कैसे शुरू हुआ आतंक का सफर

Haryana Crime News: पानीपत का अनुराग बना टेररिस्ट, कोचिंग में पढ़ने गया था कोटा, जाने कैसे शुरू हुआ आतंक का सफर
Last Updated: 27 मार्च 2024

हरियाणा खुफिया एजेंसी की टीम ने हारिस फारूकी और अनुराग सिंह के बांग्लादेश सीमा को पार कर जाने के बाद बुधवार को असम के धुबरी जिले में दोनों को दबिश देकर गिरफ्तार कर लिया गया है। फारूकी देहरादून के चकराता गांव का निवासी हैं।

पानीपत: असम के धुबरी जिला में गिरफ्तार किए आतंकी संगठन आइएस के मुख्य हारिस खां फारुकी के साथ खुंखार आतंकी अनुराग सिंह (उर्फ रेहान) को अरेस्ट कर लिया गया. यह पानीपत का रहने वाला है। उसका परिवार 23 वर्षों से दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र में रह रहा है। अनुराग के घर वालों ने बताया कि 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अनुराग कोटा में आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) की कोचिंग लेने गया था।

अनुराग से रेहान कैसे बना?

अधिकारी ने Subkuz.com को बताया कि शायद अनुराग पढाई के दौरान आइएस के संपर्क में आया।बताया कि अनुराग रेलवे में सेक्शन इंजीनियर के पद पर ड्यूटी करता है। उसका बड़ा भाई चिराग कुमार सिंह इस्पात मंत्रालय में कार्य करता है। उन्हें इस बात की जमकारी नहीं है कि अनुराग कब आतंकी रेहान बन गया? उसकी गिरफ्तारी के बाद मालूम हुआ कि उसने धर्म परिवर्तन भी कर लिया है. जानकरी मिली है कि उसने बांग्लादेश की महिला से विवाह भी कर लिया हैं।

मां ने कहां अनुराग नहीं है मेरा बेटा

Subkuz.com के पत्रकार ने दिल्ली में रहने वाली अनुराग की माता सरोज देवी से सम्पर्क किया उस दौरान उन्होंने बताया कि आतंकी अनुराग मेरा पुत्र नहीं है। दिवाना गांव में रहने वाले अनुराग के चाचा महराम सिंह ने बताया कि अनुराग के पिता श्री मनबीर कुमार सिंह पेशे से वकील थे। उनका वर्ष 1992 में देह लोकगमन हो गया था। उनके मरने के पांच महीने बाद अनुराग का जन्म हुआ था। अनुराग जब छठी कक्षा में पढता था उसी दौरान उसकी मां सरोज अपने बड़े बेटे चिराग और छोटे बेटे अनुराग को लेकर पूर्वजों के गांव सोनीपत चली गई थी।

आतंकी होने की घर वालों को नहीं लगी भनक

गांव के लोगों ने Subkuz.com के पत्रकार को बताया कि गांव में उनकी तकरीबन आठ एकड़ जमीन है, जिसको ठेकेदार को लीज पर देने के लिए हर साल सरोज देवी अपने बड़े बेटे के साथ गांव आती-जाती रहती है। गांव में स्थित पुस्तैनी मकान को उन्होंने किराये पर दे रखा है। चिराग और अनुराग दोनों ही पढ़ाई में बहुत अच्छे थे।

गांव के लोगों ने बताया कि अनुराग 25 वर्ष की आयु में चार से पांच बार गांव में आया। वह आतंकी संगठन आइएस से मिला हुआ, लेकिन उसने इस बात की भनक तक नहीं लगने दी। अनुराग ने बांग्लादेशी महिला से शादीकर ली और उसने बांग्लादेश की नागरिकता भी प्राप्त कर ली है. अनुराग ने इन सब के बारे में किसी को भी पता नहीं चलने दिया। वह कब हिंदुत्व को छोड़कर इस्लाम से जुड़ा, कब आतंकी संगठन के लिए काम करने लगा, इन इस के बारे में परिवार के लोगों को कुछ भी मालूम नहीं है और ना ही गांव में किसी को पता था। दोनों खूंखार आतंकियों को पुलिस ने एनआइए (नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी) को सौंप दिया है।

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