सरकार ने अवैध अप्रवास रोकने के लिए अप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025 पेश किया। इसमें सख्त सजा, विदेशी नागरिकों की निगरानी और पुराने कानूनों को हटाकर आधुनिक नियम लागू करने का प्रावधान है।
Parliament: अवैध अप्रवास और घुसपैठ को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने लोकसभा में अप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025 पेश किया। गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को यह विधेयक पेश करते हुए कहा कि इसका मकसद किसी को देश में आने से रोकना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि जो भी विदेशी भारत आएं, वे यहां के नियमों का पालन करें। इस विधेयक के तहत सरकार को विदेशी नागरिकों के प्रवेश, निवास और प्रस्थान को नियंत्रित करने की अधिक शक्ति मिलेगी। हालांकि, कांग्रेस और टीएमसी ने इस विधेयक का विरोध किया है।
क्यों लाया गया यह विधेयक?
इस विधेयक का उद्देश्य भारत के इमिग्रेशन नियमों को आधुनिक बनाना और उन्हें मजबूत करना है। यह विधेयक सरकार को वीजा और रजिस्ट्रेशन संबंधी नियमों को लागू करने की शक्ति देगा।
- यह बिल राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा माने जाने वाले किसी भी विदेशी के प्रवेश या निवास पर प्रतिबंध लगाता है।
- सभी विदेशी नागरिकों को भारत आने पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।
- प्रतिबंधित या संरक्षित क्षेत्रों में विदेशी नागरिकों की एंट्री पूरी तरह बैन होगी।
- शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और अन्य संगठनों को विदेशी नागरिकों की जानकारी इमिग्रेशन अधिकारियों को देनी होगी।
नियम तोड़ने पर कड़ी सजा
प्रस्तावित विधेयक के तहत अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वालों के लिए कड़े दंड का प्रावधान किया गया है।
- बिना वैध पासपोर्ट या वीजा के प्रवेश पर 5 साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना।
- जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल पर 2 से 7 साल की सजा और 1 लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना।
- वीजा शर्तों के उल्लंघन पर 3 साल की सजा और 3 लाख रुपये तक का जुर्माना।
- बिना उचित दस्तावेजों के विदेशियों को लाने-ले जाने वाले ट्रांसपोर्टर्स पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना और भुगतान न करने पर वाहन जब्त किया जाएगा।
- आव्रजन अधिकारियों को बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार भी मिलेगा।
चार पुराने कानूनों की जगह लेगा नया विधेयक
यह विधेयक चार पुराने कानूनों को हटाकर एक नया, व्यापक कानून लाने की कोशिश है।
विदेशी अधिनियम 1946
पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920
विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम 1939
आव्रजन (वाहक दायित्व) अधिनियम 2000
सरकार का कहना है कि ये कानून अब पुराने हो चुके हैं और भारत की सुरक्षा जरूरतों के अनुरूप एक आधुनिक, एकीकृत कानून की आवश्यकता है।
विपक्ष का विरोध
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बिल पेश करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से संविधान सम्मत है और सातवीं अनुसूची के तहत लाया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार किसी को रोकने के लिए यह कानून नहीं बना रही, बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जो भी विदेशी भारत आएं, वे देश के कानूनों का पालन करें।
हालांकि, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक संविधान के अनुरूप नहीं है और विदेशी नागरिकों के अस्पताल में भर्ती होने तक की जानकारी मांगता है, जो मेडिकल एथिक्स के खिलाफ है। तिवारी ने इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने या वापस लेने की मांग की।