उत्तराखंड में नया UCC नियम लागू हुआ है, जिसके तहत एक साल से अधिक समय से रहने वालों के लिए विवाह या लिव-इन का पंजीकरण अनिवार्य होगा, लेकिन जनजातीय समुदाय पर यह लागू नहीं होगा।
UCC Uttarakhand: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े नियमों को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। नए प्रावधानों के तहत राज्य में एक वर्ष से अधिक समय से रहने वाले व्यक्तियों को विवाह या लिव-इन संबंध के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। हालांकि, इस नियम से कुछ श्रेणियों को छूट दी गई है।
जनजातीय समुदाय को मिलेगी छूट
यदि किसी लिव-इन जोड़े में से कोई एक भी व्यक्ति जनजातीय समुदाय से आता है, तो उनके लिए लिव-इन पंजीकरण अनिवार्य नहीं होगा। यह उनके विवेक पर निर्भर करेगा कि वे पंजीकरण कराना चाहते हैं या नहीं। दरअसल, जनजातीय समुदायों को समान नागरिक संहिता के दायरे से बाहर रखा गया है, इसलिए उन पर यह नियम लागू नहीं होगा।
राज्य से बाहर रहने वाले मूल निवासियों पर नियम लागू नहीं
उत्तराखंड का कोई स्थायी निवासी यदि राज्य से बाहर रहकर लिव-इन संबंध में है, तो वह इस कानून के दायरे में नहीं आएगा। यह नियम केवल उन्हीं लोगों पर लागू होगा जो उत्तराखंड में कम से कम एक वर्ष से अधिक समय से रह रहे हैं। राज्य से बाहर रहने वाले मूल निवासी स्वेच्छा से पंजीकरण करा सकते हैं, लेकिन उनके लिए यह अनिवार्य नहीं होगा।
लिव-इन रजिस्ट्रेशन को लेकर भ्रम और विरोध
उत्तराखंड में UCC लागू होने के बाद सबसे अधिक चर्चा लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर हो रही है। इसे लेकर कई भ्रांतियां भी फैली हुई हैं, और विभिन्न समूहों द्वारा इसका विरोध भी किया जा रहा है।
मुख्य सवाल यह हैं:
- लिव-इन में रहने वालों में से किन्हें पंजीकरण कराना अनिवार्य है?
- कौन से लोग इस नियम के दायरे से बाहर हैं?
- क्या पंजीकरण की सूचना गोपनीय रखी जाएगी?
- इसका मूल निवास से क्या संबंध है?
किसके लिए अनिवार्य होगा पंजीकरण?
समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट समिति में शामिल समाजसेवी मनु गौड़ के अनुसार, उत्तराखंड में एक वर्ष से अधिक समय से रहने वाले किसी भी व्यक्ति को विवाह करने या लिव-इन संबंध में रहने के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई युगल उत्तराखंड का मूल निवासी है लेकिन राज्य से बाहर लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा है, तो वे इस नियम के दायरे में नहीं आएंगे। इसका कारण यह है कि अन्य राज्यों में यह कानून लागू नहीं है।
लिव-इन पंजीकरण का उद्देश्य
UCC के तहत लिव-इन पंजीकरण को अनिवार्य करने का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। यह नियम उत्तराखंड में एक साल से अधिक समय से रह रहे लोगों पर लागू होगा और उन्हें इसे अनिवार्य रूप से मानना होगा।
हालांकि, अभी भी कई लोगों के मन में इसे लेकर सवाल बने हुए हैं। प्रशासन और विशेषज्ञ समय-समय पर स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि लोगों में कोई भ्रम न रहे।