मौलाना अरशद मदनी ने Waqf Board Amendment Bill पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अगर यह कानून पारित होता है, तो बीजेपी की सत्ता उस पर निर्भर रहेगी। उन्होंने इस बिल में "जहर" होने का आरोप लगाया है, जिससे देश के मौलिक मुद्दों पर गंभीर असर पड़ सकता है।
Waqf Board Amendment Bill: जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने रविवार (3 नवंबर 2024) को वक्फ बोर्ड संशोधन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि देश में मौजूदा फिरकापरस्त मानसिकता का प्रभाव है और वक्फ बिल एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को चुनौती दी, कि वे मुसलमानों के जज़्बात को समझने के लिए अपने बंगलों से बाहर निकलें, क्योंकि वे इस मुद्दे की गंभीरता को नहीं समझ सकते।
उन्होंने कहा कि मैं नायडू का आभार व्यक्त करता हूं। बीजेपी की सरकार को देश की जनता ने हरा दिया है, लेकिन बीजेपी की सरकार दो बैसाखियों पर टिकी हुई है। नवाब जान, जो TDP के उपाध्यक्ष हैं, नायडू साहब द्वारा यहां भेजे गए हैं, जो यहाँ की स्थिति को उन्हें बताएंगे। इस महीने के अंत में, 15 दिसंबर को, हम नायडू के क्षेत्र में 5 लाख मुसलमानों को एकत्रित करेंगे।
मौलाना अरशद मदनी का आरोप
मौलाना अरशद मदनी ने चेतावनी दी है कि यदि वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पारित हो गया, तो इसका असर बीजेपी की सत्ता पर भी पड़ेगा, क्योंकि वे जिन "बैसाखियों" पर आधारित हैं, उनकी जिम्मेदारी होगी। उन्होंने कहा कि इस बिल में ऐसा जहर भरा हुआ है जो मुसलमानों को नुकसान पहुंचाएगा।
AIMPLB का बयान- 'मुसलमानों की आवाज़ अनसुनी न की जाए'
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक के खिलाफ एक ठोस रुख अपनाया है। बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहम्मद फजलूर्रहीम मुजद्दीदी ने बेंगलुरु में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर मुसलमान इस विधेयक में संशोधन नहीं चाहते हैं, तो सरकार को इसे दरकिनार कर देना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि महज 13 दिन में 3.66 करोड़ से अधिक मुसलमानों ने ईमेल के माध्यम से विधेयक का विरोध किया है।
मुसलमानों की इच्छाओं पर करें विचार
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीबी) ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड को कमजोर करेगा। बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहम्मद फजलूर्रहीम मुजद्दीदी ने कहा कि जब संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने जनता की राय मांगी थी, तब यह स्पष्ट हो गया था कि मुसलमानों की इच्छाओं पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले सभी संशोधनों का उद्देश्य वक्फ बोर्ड को मजबूत करना था, लेकिन मौजूदा विधेयक इसके विपरीत है। एआईएमपीबी ने संकेत दिया है कि वे इस मामले को कानूनी तरीके से निपटाने का भी प्रयास करेंगे।