भारत की तीनों सेनाओं की क्षमता को अपग्रेड करने के प्रयासों में मोदी सरकार ने तेज़ी लाई है, जिससे चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ रही है। खासकर भारतीय नौसेना अपनी युद्धक क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित किया जा सके। इस दिशा में नौसेना अपनी ताकत में वृद्धि के लिए नए युद्धपोत, पनडुब्बियों और अन्य अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों को शामिल कर रही हैं।
नई दिल्ली: पीएम मोदी की अगुवाई में भारत लगातार सैन्य रूप से मजबूत होता जा रहा है, और तीनों सेनाओं की क्षमता को आधुनिक तकनीक और उपकरणों से अपग्रेड करने के प्रयास जारी हैं। इस सैन्य उन्नति से पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ रही है। भारतीय नौसेना विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अपनी युद्धक क्षमता को बढ़ा रही हैं।
नौसेना नए युद्धपोतों, पनडुब्बियों और अन्य अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों को शामिल कर रही है ताकि क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत किया जा सके। इसके साथ ही, भारत और अमेरिका के बीच एक बड़ी ड्रोन डील पर भी चर्चा हो रही है, जिससे भारत की सैन्य निगरानी और हमले की क्षमता में बढ़ोतरी होगी। यह डील हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को और सुदृढ़ करेगी।
डोभाल के दौरे के दौरान इन समझौते पर लग सकती है मुहर
30 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच पेरिस में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के कूटनीतिक सलाहकार इमैनुएल बोने के बीच भारत-फ्रांस रणनीतिक वार्ता होने वाली है। इस वार्ता में प्रमुख रक्षा डील्स भी एजेंडे का हिस्सा होंगी, जो दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करेंगी। इसके अलावा, डोभाल की फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों से मुलाकात की भी उम्मीद है, जिसमें वे रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के भारत के प्रयासों पर चर्चा करेंगे। मैक्रों पहले से ही युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों का समर्थन करते रहे हैं और भारत की इस दिशा में पहल पर उनकी विशेष रुचि हो सकती हैं।
US से MQ-9B ड्रोन डील पर बन सकती है बात
अमेरिका में हो रहे क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने द्विपक्षीय वार्ता की। इस महत्वपूर्ण बैठक में भारत और अमेरिका के बीच अरबों डॉलर के ड्रोन सौदे को अंतिम रूप दिया गया। इस सौदे से भारत की सैन्य क्षमताओं में वृद्धि होगी, विशेष रूप से निगरानी और रक्षा क्षेत्र में। दोनों नेताओं ने इस डील के अलावा कई अन्य मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा की, जिससे दोनों देशों के संबंध और अधिक मजबूत हो सकें। यह वार्ता दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में भविष्य के सहयोग को भी रेखांकित करता हैं।
तीन बिलियन डॉलर होगी ड्रोन की कीमत
भारत, अमेरिका से 31 MQ-9B स्काई गार्जियन और सी गार्जियन ड्रोन खरीदने की प्रक्रिया में है, जिसकी अनुमानित लागत करीब 3 बिलियन डॉलर है। यह सौदा भारत की सशस्त्र सेनाओं की निगरानी और सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है, खासतौर पर चीन के साथ सीमा पर। MQ-9B ड्रोन अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं और इनका इस्तेमाल हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों और लेजर-गाइडेड बमों के साथ किया जा सकता है। भारत और अमेरिका के बीच इस सौदे को लेकर पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से बातचीत चल रही है। पिछले साल जून में भारत ने इन सशस्त्र ड्रोन की खरीद को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी, जो भारत की रणनीतिक और रक्षा जरूरतों को पूरा करने में एक बड़ा कदम माना जा रहा हैं।