सऊदी अरब में हाल ही में एक महत्वपूर्ण अरब-इस्लामिक सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें 50 से अधिक देशों के नेताओं ने भाग लिया। इस सम्मेलन का उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देना था। हालांकि, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान इस बैठक में उपस्थित नहीं हो सके और उन्होंने बताया कि उनकी व्यस्तता के कारण उनकी अनुपस्थिति रही।
विश्व: सऊदी अरब में एक प्रमुख अरब-इस्लामिक सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें खाड़ी क्षेत्र में जारी संघर्ष और इजरायल के खिलाफ सामूहिक रुख अपनाने पर चर्चा हुई। इस सम्मेलन में 50 से अधिक देशों के नेता शामिल हुए, लेकिन ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान इस बैठक में शामिल नहीं हो सके, उनके अनुसार अन्य व्यस्तताओं के कारण उनकी अनुपस्थिति रही।
सम्मेलन का एक मुख्य एजेंडा इजरायल के खिलाफ सामूहिक एकजुटता बनाना और क्षेत्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना था। सऊदी अरब समेत कई देशों ने इजरायल के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की मांग की। नेताओं ने इस मुद्दे पर एक साझा दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया और फिलिस्तीनी अधिकारों के समर्थन को लेकर एक मजबूत प्रस्ताव भी पारित किया।
सऊदी अरब का फूटा गुस्सा
सऊदी अरब में आयोजित इस महत्वपूर्ण अरब-इस्लामिक सम्मेलन में पहली बार इस्लामिक देशों ने एकजुट होकर लेबनान, गाजा और फिलिस्तीन में इजरायल की सैन्य कार्रवाइयों के खिलाफ आवाज उठाई। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने फिलिस्तीन के लोगों पर इजरायल के हमलों की कड़ी निंदा की और कहा कि इजरायल को तुरंत अपनी कार्रवाई रोक देनी चाहिए।
प्रिंस सलमान ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलिस्तीन एक स्वतंत्र देश है और उसे स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा मिलना चाहिए। सभी इस्लामिक देशों ने इजरायल की कार्रवाई को रोकने की अपील की और फिलिस्तीन के अधिकारों के प्रति अपना समर्थन दोहराया। इस सम्मेलन ने एक संयुक्त मोर्चा बनाकर इजरायल के खिलाफ खड़े होने और फिलिस्तीन की स्वतंत्रता और संप्रभुता की मांग को मजबूती से प्रस्तुत करने की कोशिश की, जिससे क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने का संदेश दिया गया।
राष्ट्रपति एर्दोगन ने की खास अपील
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन में गाजा में हो रही हिंसा और मानवीय संकट पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि मुस्लिम देशों को एकजुट होकर इस 'नरसंहार' की अधिक कड़ी आलोचना करनी चाहिए थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गाजा की स्थिति और बिगड़ रही है, जिसका मुख्य कारण मुस्लिम देशों का आपसी एकता की कमी है। एर्दोगन ने पश्चिमी देशों पर इजरायल का पक्ष लेने का आरोप भी लगाया और कहा कि मुस्लिम देशों की असहमति के कारण गाजा के लोगों को अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा हैं।
बैठक में इन मुद्दों पर हुई चर्चा
सऊदी अरब में आयोजित इस्लामिक शिखर सम्मेलन में यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। मुस्लिम नेताओं ने आरोप लगाया कि इजरायल बार-बार इस मस्जिद की पवित्रता का उल्लंघन कर रहा है, जिसे इस्लामी जगत के लिए अस्वीकार्य माना गया। सम्मेलन में इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की गई और सभी मुस्लिम देशों ने इस मस्जिद की सुरक्षा और पवित्रता को बनाए रखने के लिए एकजुट होकर आवाज उठाई।
सम्मेलन में प्रस्तुत 33 सूत्रीय मसौदे में फिलिस्तीन के प्रति एकजुटता व्यक्त की गई और लेबनान, ईरान, इराक, और सीरिया की संप्रभुता के उल्लंघन की निंदा की गई। इसके साथ ही, गाजा में जारी संघर्ष को समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप करने की अपील की गई। संयुक्त राष्ट्र से विशेष रूप से अनुरोध किया गया कि वह फिलिस्तीन की समस्याओं का स्थायी समाधान निकालने के प्रयासों को तेज करे।
सम्मेलन ने सभी देशों से गाजा में युद्धविराम स्थापित करने और वहां के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए भी अपील की, ताकि गाजा के नागरिकों को राहत मिल सके और शांति स्थापित हो सके।