बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता से बाहर होने के बाद भी छात्र आंदोलन जारी है। मंगलवार को ढाका के शहीद मीनार पर 30 लाख लोग जुटने की उम्मीद, जहां नाम बदलने और शरिया लागू करने की घोषणा हो सकती है।
Bangladesh: बांग्लादेश में जिस छात्र आंदोलन ने शेख हसीना को सत्ता से बाहर किया था, वह अब एक बार फिर सक्रिय हो गया है। ढाका के शहीद मीनार पर मंगलवार को छात्र नेताओं की बड़ी रैली आयोजित की जाएगी, जिसमें करीब 30 लाख लोगों के जुटने की उम्मीद है। इस रैली के दौरान बांग्लादेश के संविधान में बदलाव और देश में शरिया लागू करने जैसे अहम एलान किए जा सकते हैं।
जमात-ए-इस्लामी का समर्थन
बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी ने इस रैली का जमकर प्रचार किया है और इसे अपनी पूरी ताकत से समर्थन दिया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने छात्र नेताओं के सामने नतमस्तक हो कर स्वीकार किया कि वह जुलाई क्रांति का एलान करने की तैयारी कर रही है। छात्रों का कहना है कि इस क्रांति का एलान वे खुद करेंगे, और इसके लिए शहीद मीनार पर रैली की योजना बनाई गई है। हालांकि, बांग्लादेश सरकार ने इससे पल्ला झाड़ते हुए इसे खारिज कर दिया है और कहा कि ऐसी कोई योजना नहीं है।
'जुलाई क्रांति' का एलान
छात्र नेता जुलाई क्रांति के एलान के बाद बांग्लादेश में सत्ता की पूरी जिम्मेदारी लेने की योजना बना रहे हैं। उनका दावा है कि जुलाई-अगस्त में हुई विद्रोह की घटनाओं के जरिए फासीवादी शासन का अंत करके एक नई राजनीतिक व्यवस्था स्थापित की जाएगी। छात्रों के अनुसार, यह ऐतिहासिक बदलाव बांग्लादेश के इतिहास में एक नया अध्याय होगा।
बांग्लादेश का नाम बदलने की योजना
छात्र नेताओं का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश के संविधान में बदलाव करना है। उनका कहना है कि बांग्लादेश का नाम बदलकर "इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश" या "इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईस्ट पाकिस्तान" किया जा सकता है। इसके अलावा, बांग्लादेश में शरिया कानून को लागू किया जाएगा और सुन्नत को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
राष्ट्रपति और आर्मी चीफ से इस्तीफा लेने के बाद, बांग्लादेश में एक नए नेतृत्व की शुरुआत हो सकती है। मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश का नया राष्ट्रपति बनाए जाने की भी चर्चा हो रही है।
नया संविधान और मुजीबिस्ट चार्टर की आलोचना
छात्र नेताओं ने बांग्लादेश के मौजूदा संविधान को पूरी तरह से समाप्त करने का इरादा जताया है। उनका कहना है कि 1972 में तैयार किया गया संविधान, जिसे "मुजीबिस्ट चार्टर" कहा जाता है, भारत को बांग्लादेश पर हुकूमत करने का मौका देता है और इसे खत्म किया जाना चाहिए। हालांकि, बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीएनपी, जो खालिदा जिया के नेतृत्व में काम कर रही है, ने कहा कि अगर संविधान में कुछ गलत है तो उसे बदला जा सकता है, लेकिन पूरी तरह से इसे नष्ट करना सही नहीं होगा।
'मार्च फॉर यूनिटी' और छात्र आंदोलन की नई दिशा
छात्र नेताओं ने 'जुलाई क्रांति' को अब 'मार्च फॉर यूनिटी' नाम दिया है, जो एक नया कदम है बांग्लादेश में एकता और बदलाव की दिशा में। यह आंदोलन बांग्लादेश की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक हो सकता है, जहां युवा और कट्टरपंथी संगठनों की भूमिका अहम हो सकती है।