चीन ने अमेरिका पर किया बड़ा साइबर हमला, प्रमुख राजनीतिक हस्तियों को बनाया निशाना

चीन ने अमेरिका पर किया बड़ा साइबर हमला, प्रमुख राजनीतिक हस्तियों को बनाया निशाना
Last Updated: 6 घंटा पहले

अमेरिकी चुनाव 2024: अमेरिका में 5 नवंबर को देश के सर्वोच्च पद के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। इस चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और वर्तमान उप राष्ट्रपति कमला हैरिस एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं।

अमेरिका पर साइबर हमले, अमेरिका में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों से पहले, चीनी हैकर्स के एक समूह ने उम्मीदवारों से जुड़े डेटा पर कथित तौर पर हमला किया है। इस चीनी हैकर्स ग्रुप ने डोनाल्ड ट्रंप, कमला हैरिस और जेडी वेंस के संचार उपकरणों को अपना लक्ष्य बनाया है।

उल्लेखनीय है कि अमेरिका के खिलाफ इस हैकिंग प्रयास को ‘साल्ट टाइफून नाम से जाना जाता है। हालांकि, इस समूह द्वारा कितने डेटा की चोरी की गई है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, साल्ट टाइफून ने टेलीकम्यूनिकेशन नेटवर्क में घुसपैठ की है और वेरिजोन सहित कई अन्य सेवा प्रदाताओं के महत्वपूर्ण डेटा तक पहुंचने की कोशिश की है। रिपोर्टों के अनुसार, साल्ट टाइफून के निशाने पर डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी अभियान के साथ-साथ कमला हैरिस और उनके सहयोगी टिम वाल्ज भी हैं।

साल्ट टाइफून का क्या मतलब है रिपोर्ट के अनुसार

साल्ट टाइफून के कारण अमेरिका को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए अमेरिकी संघीय एजेंसियाँ प्रयास कर रही हैं। दरअसल, माइक्रोसॉफ्ट की साइबर सुरक्षा टीम ने चीनी हैकरों के इस समूह को 'साल्ट टाइफून' नाम दिया है।

माइक्रोसॉफ्ट चीनी हैकरों के लिए 'टाइफून' शब्द का प्रयोग करता है, जबकि ईरानी हैकर्स के लिए 'सैंडस्टॉर्म' और रूस के हैकर्स के लिए 'ब्लिजार्ड' शब्द का उपयोग किया जाता है। हालांकि, चीनी हैकरों के लिए 'टाइफून' के साथ 'साल्ट' शब्द जोड़ने का उद्देश्य कॉर्पोरेट डेटा चोरी या वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित साइबर अपराधों के बजाय काउंटर इंटेलिजेंस को उजागर करना है।

राजनेताओं को क्यों बनाया गया निशाना

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, साल्ट टाइफून हमलों का मुख्य लक्ष्य चुनाव के दौरान महत्वपूर्ण अमेरिकी संपत्तियों और संस्थानों की गुप्त जानकारी इकट्ठा करना है। इस संदर्भ में, साल्ट टाइफून ने नेताओं और उनके कर्मचारियों के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों से जुड़े फोन नंबरों को निशाना बनाया है।

इसके अलावा, एफबीआई और साइबर सुरक्षा एवं अवसंरचना सुरक्षा एजेंसी ने इस खतरे को गंभीरता से लेते हुए एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि साइबर सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए निजी कंपनियों के साथ समन्वयात्मक प्रयास किए जा रहे हैं।

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