NATO की नई एडवाइजरी: 'भोजन, पानी, दवाओं और पावर बैकअप का रखें स्टॉक', क्या नाटो और EU देश युद्ध में होंगे शामिल ?

NATO की नई एडवाइजरी: 'भोजन, पानी, दवाओं और पावर बैकअप का रखें स्टॉक', क्या नाटो और EU देश युद्ध में होंगे शामिल ?
Last Updated: 18 घंटा पहले

बाइडन द्वारा यूक्रेन को 300 किलोमीटर रेंज की एटीएसीएमएस मिसाइलों से रूस पर हमले की अनुमति देने से तनाव और बढ़ गया है। रूस की तरफ से पलटवार की धमकी से नॉर्वे, स्वीडन और फिनलैंड जैसे तीन नाटो देशों में भी चिंता का माहौल है। इन देशों ने अपने नागरिकों को आवश्यक सामान का स्टॉक करने और सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार रहने की सलाह दी है।

हेलसिंकी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन को 300 किलोमीटर रेंज की एटीएसीएमएस (अटैक डेम्स) मिसाइलों से रूस पर हमला करने की अनुमति दी है। इसके बाद मंगलवार को यूक्रेन ने रूस पर छह मिसाइलें दागीं, जिससे तनाव और बढ़ गया है।

इस बढ़ते तनाव का असर रूस की सीमा से सटे तीन नाटो देशोंनॉर्वे, स्वीडन और फिनलैंड पर भी पड़ा है। रूस की पलटवार की धमकी के कारण इन देशों में डर का माहौल है। इन तीनों देशों ने अपने नागरिकों को जीवन के जरूरी सामान का स्टॉक रखने और सैनिकों को जंग के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं।

नाटो का संस्थापक सदस्य नॉर्वे, जो रूस से 195 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, ने पर्चे और पंपलेट बांटकर नागरिकों को युद्ध के लिए चेताया है। स्वीडन ने भी जनता को पर्चे भेजे हैं और इन देशों ने परमाणु हमले के दौरान विकिरण से बचने के लिए आयोडीन की गोलियां रखने का निर्देश दिया है।

नाटो सदस्य फिनलैंड की नई एडवाइजरी

फिनलैंड, जो रूस के साथ 1340 किलोमीटर से अधिक सीमा साझा करता है, ने हाल ही में एक नई वेबसाइट लॉन्च की है, जिससे वह अपने नागरिकों को युद्ध जैसी स्थितियों में सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान कर रहा है।

फिनलैंड सरकार ने एक ऑनलाइन मैसेज जारी किया, जिसमें यह बताया गया है कि अगर देश पर हमले होते हैं तो सरकार क्या कदम उठाएगी। नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे बिजली कटौती की संभावना को ध्यान में रखते हुए बैक-अप पावर सप्लाई का इंतजाम रखें। इसके अलावा, कम ऊर्जा में पकने वाले या बिना पकाए खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों का स्टॉक रखने के लिए भी कहा गया है, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटा जा सके।

इन केस ऑफ क्राइसिस ऑफ वार

स्वीडन, जो नाटो का सबसे नया सदस्य है और रूस से सीधे सीमा नहीं साझा करता, ने अपने नागरिकों के लिए एक नई गाइडलाइन जारी की है। इस गाइडलाइन का नाम है 'इन केस ऑफ क्राइसिस ऑफ वार' (In Case of Crisis of War), जो युद्ध की स्थिति में नागरिकों को आपातकालीन तैयारी के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रदान करती है।

इस बुकलेट में कहा गया है कि युद्ध के दौरान आपात स्थिति से निपटने के लिए नागरिकों को 72 घंटे का भोजन, पीने का पानी और जरूरी दवाएं स्टोर करके रखनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, गाइडलाइन में यह भी सुझाव दिया गया है कि लोग आलू, गोभी, गाजर और अंडे जैसे खाद्य पदार्थों का भरपूर स्टॉक करें, ताकि किसी भी संकट की स्थिति में उन्हें आवश्यक वस्तुएं आसानी से मिल सकें।

बाइडन के फैसले से नाटो और ईयू के देश नाराज

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा यूक्रेन को 300 किलोमीटर रेंज की एटीएसीएमएस (अटैक डेफेंस मिसाइल सिस्टम) मिसाइलों से रूस पर हमले की मंजूरी देने के बाद नाटो और यूरोपीय संघ (ईयू) के कुछ देशों ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है।

स्लोवाकिया के राष्ट्रपति रॉबर्ट फिको ने बाइडन के इस निर्णय को लेकर आलोचना की, यह कहते हुए कि पश्चिमी देशों का उद्देश्य यूक्रेन में युद्ध को किसी भी कीमत पर जारी रखना है, जिससे उन्हें कुछ कुछ लाभ हो। फिको ने यह भी कहा कि यह कदम यूक्रेन के लिए केवल खतरा पैदा करेगा, बल्कि पूरे यूरोप को और भी असुरक्षित बना देगा।

हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सिज्जार्टो ने भी बाइडन के फैसले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति युद्धोन्माद को बढ़ावा दे रहे हैं और जनमत को नजरअंदाज कर रहे हैं। स्लोवाकिया और हंगरी दोनों ही नाटो के सदस्य देश हैं और यूरोपीय संघ (ईयू) का हिस्सा भी हैं, और इन देशों की चिंता पश्चिमी देशों के भीतर इस फैसले के असर को लेकर है।

बाल्टिक सागर में इंटरनेट केबल कटने से बढ़ा हाइब्रिड युद्ध का खतरा

यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध के तनाव का असर अब समुद्र तक पहुंच गया है। जर्मनी और फिनलैंड ने 17 और 18 नवंबर को बाल्टिक सागर में दो महत्वपूर्ण संचार केबलों के कटने का आरोप लगाया है। दोनों देशों ने इस घटना की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए तुरंत जांच शुरू कर दी है।

बाल्टिक सागर एक अहम शिपिंग रूट है, जिस पर नौ देशों की सीमाएं स्थित हैं। इन देशों में रूस, फिनलैंड, स्वीडन, डेनमार्क, और जर्मनी जैसे देश शामिल हैं। इस क्षेत्र में संचार केबलों का कटना वैश्विक सुरक्षा और शिपिंग नेटवर्क पर गहरे प्रभाव डाल सकता है।

NATO क्या है?

नाटो एक अंतर्राष्ट्रीय सैन्य गठबंधन है, जिसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 को की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों की स्वतंत्रता, सुरक्षा की रक्षा करना और सदस्य राष्ट्रों के बीच सैन्य एवं राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना है। नाटो का मुख्यालय ब्रसेल्स, बेल्जियम में स्थित है।

वर्तमान में नाटो के 31 सदस्य देश हैं, जो मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका और यूरोप के हैं। नाटो की प्रमुख भूमिका सदस्य देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करना, सामूहिक सुरक्षा की अवधारणा पर काम करना, और किसी भी बाहरी आक्रमण से बचाव करना है।

नाटो का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुआ था, ताकि यूरोप में स्थिरता और सुरक्षा बनाई जा सके। यह गठबंधन सामूहिक रक्षा की नीति पर आधारित है, जिसके अनुसार, अगर नाटो के किसी सदस्य पर हमला किया जाता है, तो अन्य सभी सदस्य देशों को उसकी रक्षा करनी होती है।

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