पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में शिया और सुन्नी समुदायों के बीच हिंसा 21 नवंबर को शुरू हुई। शिया समुदाय के काफिले पर घातक हमले में 42 लोग मारे गए। यह घटना धार्मिक संघर्ष की नई मिसाल बन गई।
Pakistan: पाकिस्तान में शिया और सुन्नी समुदायों के बीच चल रही हिंसा ने खैबर पख्तूनख्वा (KPK) प्रांत के कुर्रम जिले को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। इस संघर्ष में अब तक 150 लोग जान गंवा चुके हैं। हिंसा की शुरुआत 21 नवंबर को हुई, जब शिया समुदाय के एक काफिले पर घात लगाकर हमला किया गया, जिसमें 42 लोग मारे गए थे। इसके बाद शिया समुदाय ने जवाबी हमला किया और स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई।
भूमि विवाद: हिंसा की मुख्य वजह
इस हिंसा के पीछे मुख्य कारण भूमि विवाद है। शिया बहुल जनजाति मालेखेल और सुन्नी बहुल जनजाति मडगी कलाय के बीच कृषि भूमि को लेकर संघर्ष हो रहा है। यह भूमि शिया जनजाति के स्वामित्व में है, जबकि सुन्नी समुदाय को इसे खेती के लिए पट्टे पर दिया गया था। इस साल जुलाई में पट्टे की समय सीमा समाप्त हो गई, लेकिन सुन्नी समुदाय ने जमीन लौटाने से मना कर दिया, जिससे हिंसा भड़की।
बैठक के बाद सीजफायर का निर्णय
स्थिति को देखते हुए KPK सरकार ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें दोनों समुदाय के बुजुर्गों ने सीजफायर का निर्णय लिया। बैठक में यह भी तय हुआ कि मारे गए लोगों के शवों को एक-दूसरे को लौटा दिया जाएगा और बंधक बनाए गए लोगों को भी मुक्त किया जाएगा, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं।
कुर्रम जिला: हिंसा का संवेदनशील क्षेत्र
कुर्रम जिला अपनी जटिल सामाजिक-राजनीतिक संरचना के कारण बहुत संवेदनशील है। यह अफगानिस्तान सीमा के निकट स्थित है और आतंकवादी समूहों की मौजूदगी के कारण लगातार संघर्षों का सामना कर रहा है। यहां शिया और सुन्नी दोनों समुदायों की बड़ी आबादी है, और पिछले कुछ महीनों में हुई हिंसा में करीब 150 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
हालांकि इस समय हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही, लेकिन बैठक में जो समझौते हुए हैं, वे उम्मीद जगाते हैं कि दोनों समुदायों के बीच शांति स्थापित हो सकेगी। पाकिस्तान में सांप्रदायिक हिंसा की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए इस संघर्ष को शांति की ओर मोड़ना एक बड़ी चुनौती बन चुका है।