जम्मू-कश्मीर में इस साल जून और जुलाई का महीना सूखा ही बीत गया। जिसके कारण श्रीनगर समेत अधिकांश इलाकों में तापमान सामान्य से कई डिग्री ऊपर पहुंच गया गई। श्रीनगर में पड़ रही गर्मी ने पिछले 130 साल का रिकॉर्ड चकनाचूर कर दिया है। इसी बीच मौसम विभाग ने राहत की खबर दी है कि 10 अगस्त तक मानसून सक्रिय रहने से घाटी में रोजाना बारिश होगी।
श्रीनगर: इस साल मानसून की शुरुआत बहुत अच्छी हुई, लेकिन जुलाई का महीना सूखा ही बीत गया। पिछले दो महीनों में घाटी में औसत से 60 प्रतिशत से भी कम बरसात हुई है। बता दें पिछले साल जून और जुलाई महीने में श्रीनगर में औसतन 120.5 मिलीमीटर बारिश हुई, लेकिन इस वर्ष मात्र 37.7 मिलीमीटर ही बारिश हुई। लगातार मौसम के शुष्क रहने और प्रचंड गर्मी के कारण घाटी का जनजीवन बहुत प्रभावित हुआ।
बताया गया है कि बारिश न होने से झेलम समेत घाटी के अधिकांश जलस्रोतों में जलस्तर नीचे गिर गया। झेलम में करीबन 35 प्रतिशत पानी कम हो गया। इस बीच मौसम विभाग ने राहत की खबर देते हुए प्रदेश में 10 अगस्त तक हर दिन वर्षा होने का अनुमान जताया है। मौसम विभाग ने बताया की बीतें दो महीने में श्रीनगर में 69 प्रतिशत, अनंतनाग में 60%, बड़गाम में 71%, बांडीपुर में 73%, कुपवाड़ा में 65%, कुलगाम में 75%, बारामूला में 59%, गांदरबल में 58% प्रतिशत, पुलवामा में 61 और शोपियां में 85 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई।
गर्मी ने तोडा 130 साल का रिकॉर्ड
जम्मू कश्मीर में जून और जुलाई के महीने में अधिकतर समय मौसम शुष्क ही रहा। जसिके प्रभाव से श्रीनगर समेत अधिकांश इलाकों में तापमान सामान्य से कई डिग्री ऊपर पहुंच गया। श्रीनगर में गर्मी ने पिछले 130 साल के रिकार्ड को तोड़ दिया। जिले में अधिकतम तापमान 36 डिग्री को क्रॉस कर गया था। बीतें दो-तीन दिनों से घाटी में रुक-रुक कर बरसात हो रही है, लेकिन मौसम में कोई परिवर्तन नहीं आया। मौसम विभाग ने 10 अगस्त तक मौनसून के सक्रिय रहने से प्रदेश में गरज के साथ बरसात होने की संभावना जताई हैं। जम्मू में दोपहर होते-होते चिलचिलाती धूप लोगों को चुबने लगती हैं।
प्रशासन द्वारा सिस्टम स्थापित करने की योजना
जम्मू कश्मीर में जियोग्राफी विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर परवेज खान अहमद ने टीम के साथ ग्लेशियर झीलों के फटने से पैदा होने वाले हालात पर विचार किया है। ग्लेशियर झीलों के फटने से अचानक आने वाली बाढ़ से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन सरकार के सहयोग से पूर्व चेतावनी सिस्टम स्थापित करने की नई योजना बना रहा है। इसलिए मुख्य सचिव अटल डुल्लू के निर्देश पर कश्मीर विश्वविद्यालय के जियोग्राफी और आपदा प्रबंधन विभाग की टीम ने शेषनाग और सोनासर ग्लेशियर झीलों का दौरा किया हैं। टीम ने ग्लेशियर झीलों में विस्फोट के कारण आने वाली बाढ़ से पैदा होने वाले हालात का जायजा लेकर रिपोर्ट तैयार की हैं।