राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं विज्ञान परीक्षा में विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। बारां जिले के तीन छात्रों ने यह शिकायत की कि उन्हें विज्ञान में बहुत कम अंक प्राप्त हुए हैं, जिसके बाद उनकी उत्तर पुस्तिकाओं की पुनर्गणना की गई। जांच में यह सामने आया कि उनकी उत्तर पुस्तिकाएं बिना जांचे ही जमा कर दी गई थीं, और मनमाने अंक प्रदान कर दिए गए थे।
Jaipur: जब एक छात्र पूरी मेहनत और लगन से दसवीं की परीक्षा की तैयारी करता है, तो उसकी आँखों में अनेक सपने और उम्मीदें होती हैं। वह अपनी पढ़ाई में पूरी तरह से डूबा रहता है, क्योंकि उसे विश्वास होता है कि परीक्षा में उसके प्रदर्शन का सही मूल्यांकन किया जाएगा और उसका भविष्य इन नतीजों पर निर्भर करेगा।
लेकिन क्या होगा अगर किसी ने बिना कॉपी को ठीक से देखे, मनमर्जी से नंबर देकर उसकी मेहनत को बर्बाद कर दिया?राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं विज्ञान परीक्षा के परिणामों में कुछ ऐसी ही चौंकाने वाली गड़बड़ियाँ सामने आई हैं।
खुलासे ने हिला दी शिक्षा प्रणाली
यह मामला तब सामने आया जब कुछ प्रतिभाशाली छात्रों को विज्ञान में अचानक से बहुत ही कम अंक मिले। इसके बाद इन छात्रों ने अपनी मेहनत पर सवाल उठाते हुए पुनर्गणना की मांग की। जांच के परिणामों ने जो तथ्य उजागर किए, उन्होंने न केवल छात्रों को, बल्कि संपूर्ण शिक्षा प्रणाली को हिलाकर रख दिया है।
तीन छात्रों की उत्तर पुस्तिकाएं की नहीं हुई जांच
राजस्थान के बारां जिले के तीन विद्यार्थियों ने अपनी उत्तर पुस्तिकाओं के संबंध में बोर्ड में शिकायत दर्ज करवाई थी। जब बोर्ड ने उनकी उत्तर पुस्तिकाएं डाउनलोड कीं, तो पता चला कि उनकी कॉपियां जांची ही नहीं गई थीं। बोर्ड ने इस गड़बड़ी को गंभीरता से लेते हुए तुरंत तीनों कॉपियों की पुनः जांच करने का आदेश दिया।
जांच के परिणामों में यह सामने आया कि उन छात्रों की एक भी उत्तर पुस्तिका में किसी भी प्रश्न का मूल्यांकन नहीं किया गया था। इस गलती का खामियाजा मयंक नागर जैसे प्रतिभाशाली छात्रों को भुगतना पड़ा, जिनके सही उत्तरों के बावजूद उन्हें शून्य अंक दिए गए और अंत में उन्हें केवल 58 अंक प्राप्त हुए।
किस परीक्षक ने चेक की थीं 840 कॉपियां
परीक्षक निमिषा, जो इन कॉपियों की जांच के लिए जिम्मेदार थीं, ने बोर्ड को लिखित में सूचित किया कि उन्होंने बिना जांच के ही उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पूरा कर लिया है। यह चौंकाने वाला खुलासा तब और गंभीर हो गया जब पता चला कि निमिषा को विज्ञान के दो बंडल्स, यानी 840 कॉपियों की जांच का कार्य सौंपा गया था। ऐसे में अब संदेह की सूई इन 840 उत्तर पुस्तिकाओं पर भी उठने लगी है।