Dublin

एक गाँव की चौपाल और बंसी काका की तकलीफें

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शाम का समय था और गाँव की चौपाल पर लोग इकट्ठा थे। सरपंच और पंच बंसी काका का इंतजार कर रहे थे। बंसी काका एक साधारण किसान थे, जो गरीबी में अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। एक दिन उनके बेटे श्याम ने स्कूल में एक लड़ाई कर दी, जिसके बाद उनके खेत में बकरियों को छोड़ने का आरोप लगा और उनकी फसल नष्ट हो गई। यह विवाद गाँव में बढ़ गया और अब तक पहुंचा था पंचायत तक।

श्याम का साहस और सच का सामना

जब बंसी काका और श्याम चौपाल पर पहुंचे, तो सरपंच ने बंसी काका से गुस्से में आकर पूछा कि क्यों उनका बेटा श्याम स्कूल में झगड़ा कर रहा था। श्याम ने तुरंत सफाई दी, लेकिन बंसी काका ने फसल का पूरा सच सामने लाया और दिखाया कि उनके बेटे को भी चोटें आई थीं। यह सत्य सामने आने पर कुंवरपाल को झूठ बोलने की शर्मिंदगी हुई। मगर फिर भी, पंचायत ने बंसी काका को हर्जाना देने का आदेश दिया।

शहर की ओर बढ़ते कदम

अप्रत्याशित रूप से, श्याम ने अपने माता-पिता के साथ गाँव छोड़ने का निर्णय लिया और शहर में बसने का सोचा। वह जानते थे कि खेती से उनका भविष्य नहीं सुधर सकता था। वे शहर में अपनी मेहनत और संघर्ष से पैसा कमाने लगे, और धीरे-धीरे श्याम ने गाड़ी साफ करने का काम शुरू किया, जबकि बंसी काका ने मजदूरी करना शुरू किया। उनकी ज़िंदगी में अब उम्मीद की किरण थी, लेकिन इसके बाद एक अनजाना मोड़ उनकी ज़िंदगी बदलने वाला था।

एक बुर्जुग और एक अद्भुत मदद

एक दिन श्याम ने एक बुर्जुग से मुलाकात की, जो सड़क पर परेशान दिखाई दे रहे थे। श्याम ने अपनी मेहनत की कमाई का सौ रुपया उस बुर्जुग को दे दिया, बिना किसी उम्मीद के। इस नेक काम के बाद वह बुर्जुग श्याम से मिलने आया और उसने श्याम के परिवार को अपनी गाड़ी में बिठाया। वह बुर्जुग कोई और नहीं बल्कि एक बहुत बड़ा व्यापारी था, जिसने श्याम और उसके परिवार की मदद की। श्याम के माता-पिता को एक शानदार घर और खेत मिल गया, और श्याम को अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवाया।

वापसी और सम्मान

कुछ समय बाद, बुर्जुग श्याम के परिवार को उनके गाँव वापस ले आया और उनकी ज़मीन को सरपंच से छुड़ा लिया। गाँव वाले हैरान थे कि कैसे श्याम और बंसी काका इतने अमीर हो गए। अब बंसी काका और उनका परिवार महीनों में एक बार अपने गाँव लौटते थे और कभी-कभी बुर्जुग भी उनके साथ होते थे।

शिक्षा

यह कहानी हमें सिखाती है कि अच्छे कर्मों का फल हमेशा अच्छा ही मिलता है। श्याम ने अपने पिता के साथ मिलकर गरीबी को चुनौती दी और एक अच्छा इंसान बनने का रास्ता अपनाया, जिसकी बदौलत उसकी ज़िंदगी बदल गई।

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