सोने की बाली और गांव की एक नायाब कहानी

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एक छोटे से गांव में जमींदार की बेटी अंजली रहती थी। वह न केवल सुंदर थी, बल्कि अत्यधिक चुलबुली और नटखट भी थी। जमींदार होने के कारण उसके पिता का गांव में बहुत रौब था, और सभी लोग उनसे डरते थे। अंजली को बहुत लाड प्यार मिला था, और यही कारण था कि उसका मनमौजी स्वभाव और भी बढ़ गया था।

दूसरे गांव में एक किसान रामकिशन अपनी फसलें उगाता था, लेकिन जमींदार से उसकी कुछ पुरानी दुश्मनी थी। यह दुश्मनी इतनी बढ़ चुकी थी कि वह जमींदार को नुकसान पहुंचाने का तरीका तलाशने में लगा हुआ था।

सोने की बाली का रहस्य

एक दिन अंजली अपने दोस्तों के साथ खेतों में खेल रही थी। खेलने के दौरान उसकी सोने की एक बाली गिर जाती है, लेकिन इस घटना को किसी ने नोटिस नहीं किया। जब वह घर लौटती है, तो उसकी माँ और पिता को देख कर चिंता होती है कि उसकी एक बाली गायब है। जमींदार के लोग तुरंत बाली की तलाश में निकल पड़ते हैं और देखते हैं कि रामकिशन के खेत के पास बाली नहीं मिलती।

रामकिशन से पूछा जाता है, लेकिन वह साफ मना कर देता है। इस पर जमींदार के लोग उसे उठा कर जमींदार के पास ले जाते हैं। जमींदार गुस्से में कहता है, "रामकिशन, सच बता, मेरी बेटी की बाली कहाँ है। मैं पूरे गांव में आग लगा दूंगा, अगर मुझे बाली नहीं मिली।" रामकिशन कहता है, "मालिक, मैंने तो किसी को बाली को खेलते हुए भी नहीं देखा, मैं तो बहुत बाद में खेत में आया था।" लेकिन जमींदार उसकी बातों पर विश्वास नहीं करता और उसे मारने की सजा देता है।

गांववालों का शोषण और बाली की खोज

रामकिशन को बहुत मारा जाता है, और बाद में उसे उसके घर के सामने फेंक दिया जाता है। यह खबर पूरे गांव में फैल जाती है, और सब लोग सोचते हैं कि अब जमींदार क्या करेगा। अगले दिन जमींदार के आदमी पूरे गांव में घूमते हैं और कहते हैं, "जो भी इस बाली को ले गया है, वह हमारे सामने आ जाए, नहीं तो उसका मरना तय है।" गांव वाले परेशान हो जाते हैं और सोने की बाली की खोज में जुट जाते हैं, लेकिन बाली कहीं नहीं मिलती। जमींदार और भी गुस्से में आकर गांववालों से बुरी तरह से पेश आने लगता है और उनकी फसल का हिस्सा लेने लगता है। गांव वाले भूखों मरने लगते हैं।

इसी बीच, रामकिशन का बेटा एक दिन खेत में जाता है और उसे बाली मिल जाती है। वह बाली को अपने पिता को दिखाता है, और रामकिशन चुपचाप बाली को एक चिट्ठी के साथ जमींदार के पास भेज देता है। जमींदार बाली प्राप्त करता है और चिट्ठी में लिखा होता है, "यह बाली गांव के लोगों की खोज से मिली है।" जमींदार गांववालों को माफ कर देता है और उनका फसल का हिस्सा फिर से लौटाता है।

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। दूसरे गांव के लोग जमींदार की बेटी अंजली का अपहरण कर लेते हैं। जमींदार बेहद परेशान हो जाता है, लेकिन उसे कोई सुराग नहीं मिलता। तभी रामकिशन का बेटा जमींदार के पास आता है और कहता है कि उसके पास अंजली का पता है, लेकिन पहले उसे अपने पिता से माफी दिलवानी होगी। जमींदार राजी हो जाता है और रामकिशन से माफी मांगता है।

अंजली की वापसी और गांववालों का सम्मान

रामकिशन कहता है, "पुरानी बातें छोड़ो, पहले अंजली को ढूंढने चलते हैं, वह सिर्फ आपकी नहीं, पूरे गांव की बेटी है।" रामकिशन के इन शब्दों को सुनकर जमींदार उसकी ओर गिर जाता है और माफी मांगने लगता है। सुरेश (रामकिशन का बेटा) बताता है, "मैंने सामने वाले गांव के कुछ लोगों को अंजली को लेकर जाते हुए देखा था, और वहीं मुझे उसकी अंगूठी भी मिली थी।" जमींदार पहचान जाता है कि यह अंगूठी अंजली की है। वह अपने गांववालों के साथ दूसरे गांव की ओर चल पड़ता है। गांव पहुंचते ही जमींदार के लोग गांव पर हमला कर देते हैं। वहीं उस गांव के मुखिया आता है और माफी मांगता है, "हमें नहीं पता था कि आपकी बेटी को उठा लिया गया था, हमें माफ कर दीजिए।"

मुखिया अपनी माफी के साथ अंजली को लाता है और गुंडों को पुलिस के हवाले कर देता है। जमींदार अपनी बेटी को पूरी इज्जत और सम्मान के साथ घर लौटाता है।

कहानी की सीख

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि गलतियाँ होती हैं, लेकिन माफी और समझदारी से हम किसी भी मुश्किल को हल कर सकते हैं। साथ ही यह भी दिखाती है कि हर गांव, हर इंसान की अपनी अहमियत होती है और हमें एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए।

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